मिर्जापुर में धूमधाम से मनाई गई भैया दूज:बहनों ने भाई के लिए की पूजा-अर्चना, गाय के गोबर से यम-यमी की बनाई मूर्ति

मिर्जापुर में भैया दूज का पर्व परम्परागत ढंग से मनाया गया। विभिन्न क्षेत्रों में बहनों ने शनिदेव के पुत्र यमराज और यमी की पूजा अर्चना की। साथ ही भाइयों के लंबी उम्र की कामना की। पूजा करने के लिए महिलाओं और बालिका की भीड़ पूजन स्थल पर लगी रही। परम्परा के अनुसार बहनों ने गाय के गोबर से यम और यमी की आकृति बनाने के साथ ही गोबर से कुआं बनाया। जिसमें दूध भरकर भाई बहन के पर्व पर विधिवत पूजा अर्चना किया। इस मौके पर कहानी सुनाया गया। पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज और यमुना भगवान सूर्य नारायण की पत्नी संज्ञा के बच्चे हैं। यमुना अपने भाई से बहुत प्यार करती थीं। अक्सर उनसे अपने घर आने का निवेदन करती थीं। लेकिन यमराज बहन के घर नहीं जा पाते थे। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना ने फिर से यमराज से घर आने का निवेदन किया। इस बार यमराज ने बहन के घर आने का वादा किया। जाते समय नर्क में रहने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज जब बहन के घर पहुंचे तो यमुना ने उनका स्वागत तिलक लगाकर और आरती उतारकर किया। भाई यमराज को दिव्य भोजन कराया। बहन की आवभगत से खुश होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा। यमुना ने कहा कि अब से हर साल इसी दिन आप मेरे घर आएं। यमराज तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र और आभूषण देकर यमलोक के लिए प्रस्थान कर गए। भाई बहन जी प्रेम का पर्व भाई दूज की परंपरा शुरू हुई।पूजन के बाद बहनों ने भाई का टीका कर उनकी खुशहाली और लंबी उम्र की कामना भगवान यमराज से की।

Nov 3, 2024 - 16:55
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मिर्जापुर में धूमधाम से मनाई गई भैया दूज:बहनों ने भाई के लिए की पूजा-अर्चना, गाय के गोबर से यम-यमी की बनाई मूर्ति
मिर्जापुर में भैया दूज का पर्व परम्परागत ढंग से मनाया गया। विभिन्न क्षेत्रों में बहनों ने शनिदेव के पुत्र यमराज और यमी की पूजा अर्चना की। साथ ही भाइयों के लंबी उम्र की कामना की। पूजा करने के लिए महिलाओं और बालिका की भीड़ पूजन स्थल पर लगी रही। परम्परा के अनुसार बहनों ने गाय के गोबर से यम और यमी की आकृति बनाने के साथ ही गोबर से कुआं बनाया। जिसमें दूध भरकर भाई बहन के पर्व पर विधिवत पूजा अर्चना किया। इस मौके पर कहानी सुनाया गया। पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज और यमुना भगवान सूर्य नारायण की पत्नी संज्ञा के बच्चे हैं। यमुना अपने भाई से बहुत प्यार करती थीं। अक्सर उनसे अपने घर आने का निवेदन करती थीं। लेकिन यमराज बहन के घर नहीं जा पाते थे। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना ने फिर से यमराज से घर आने का निवेदन किया। इस बार यमराज ने बहन के घर आने का वादा किया। जाते समय नर्क में रहने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज जब बहन के घर पहुंचे तो यमुना ने उनका स्वागत तिलक लगाकर और आरती उतारकर किया। भाई यमराज को दिव्य भोजन कराया। बहन की आवभगत से खुश होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा। यमुना ने कहा कि अब से हर साल इसी दिन आप मेरे घर आएं। यमराज तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र और आभूषण देकर यमलोक के लिए प्रस्थान कर गए। भाई बहन जी प्रेम का पर्व भाई दूज की परंपरा शुरू हुई।पूजन के बाद बहनों ने भाई का टीका कर उनकी खुशहाली और लंबी उम्र की कामना भगवान यमराज से की।

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