यूपी में राहुल ने अखिलेश के लिए छोड़ा मैदान:दोनों नेताओं ने फोन पर तय की रणनीति; यह सियासी दांव या मजबूरी...
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच आखिरकार समझौता हो गया है। कांग्रेस यूपी में चुनाव नहीं लड़ेगी। वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव लड़ाएगी। बुधवार देर रात सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद अखिलेश यादव ने इसका एलान किया। अखिलेश यादव के एक्स पोस्ट के बाद तमाम कयासों पर विराम लग गया है। अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि ‘बात सीट की नहीं जीत की है’ इस रणनीति के तहत ‘इंडिया गठबंधन’ के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ के निशान पर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक बड़ी जीत के लिए एकजुट होकर, कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी है। इंडिया गठबंधन इस उपचुनाव में, जीत का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ आने से समाजवादी पार्टी की शक्ति कई गुना बढ़ गयी है। इस अभूतपूर्व सहयोग और समर्थन से सभी 9 विधानसभा सीटों पर ‘इंडिया गठबंधन’ का एक-एक कार्यकर्ता जीत का संकल्प लेकर नयी ऊर्जा से भर गया है। ये देश का संविधान, सौहार्द और PDA का मान-सम्मान बचाने का चुनाव है। इसीलिए हमारी सबसे अपील है एक भी वोट न घटने पाए, एक भी वोट न बँटने पाए। देशहित में ‘इंडिया गठबंधन’ की सद्भाव भरी ये एकता और एकजुटता आज भी नया इतिहास लिखेगी और कल भी। इससे पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान की खबरें आ रही थीं। दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे थे। सपा के लोग कह रहे थे कि कांग्रेस जवाब नहीं दे रही और कांग्रेस के लोग कह रहे थे कि सपा ने बगैर पूछे टिकट घोषित कर दिए। लेकिन जब अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच सीधी बात हुई तो तमाम आरोप-प्रत्यारोप और कयासबाजी धरी रह गई। पहले दो, बाद में तीन सीट के लिए राजी हो गई थी सपा समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के लिए दो सीटें छोड़ी थीं। इसमें एक गाजियाबाद और दूसरी खैर सीट थी। कांग्रेस इन दोनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी। कांग्रेस की मांग पांच सीटों की थी, लेकिन बाद में वह चार सीटों पर आ गए थे। कांग्रेस गाजियाबाद और खैर के साथ मीरापुर और फूलपुर सीट भी चाहती थी। अखिर में सपा कांग्रेस को फूलपुर सीट देने को भी राजी हो गई, लेकिन कांग्रेस नहीं मानी। बुधवार शाम तक लग रहा था कि सपा-कांग्रेस के बीच दरार पैदा हो गई है, लेकिन दोनों पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बातचीत ने कई दिनों की कशमकश को मिनटों में दूर कर दिया। वहीं, जब अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी तब भी कांग्रेस नेताओं का कहना था कि उनकी जानकारी में यह सब नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि वे इसी मुद्दे पर बात करने के लिए दिल्ली आए हैं। लेकिन वायनाड में प्रियंका गांधी के नामांकन के चलते कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता वायनाड में थे, इस लिए उनसे बात नहीं हो पाई। कांग्रेस इस पर कल अपनी स्थिति साफ करेगी। उधर, हरियाणा के नतीजों के बाद बसपा भी बयानबाजी के मामले में खामोश नजर आ रही है। आइए जानते हैं कि बात कहां बिगड़ रही थी? सपा और कांग्रेस दोनों ही दल 15 अक्टूबर को चुनाव की घोषणा होने से पहले से ही कह रहे थे कि मिलकर लड़ेंगे। लेकिन दोनों ओर से सीट शेयरिंग को लेकर बात बनती नजर नहीं आ रही थी। सीट बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव ने नरम रुख जरूर दिखाया था, लेकिन कांग्रेस ने कोई तवज्जो नहीं दे रही थी। कांग्रेस ने 2022 के चुनाव में सपा की हारी हुई सीट पर दावेदारी पेश की थी। इसमें पांच सीटें शामिल थीं। सपा ने इस प्रस्ताव को न सिर्फ ठुकरा दिया था, बल्कि हरियाणा चुनाव के नतीजे आए तो समाजवादी पार्टी ने अपने 9 में से छह प्रत्याशी घोषित कर दिए। कांग्रेस के लिए दो सीटें गाजियाबाद सदर और अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट छोड़ दी थी। कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने सपा की ओर से छोड़ी गई सीटों को लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। कांग्रेस का कहना था कि उसे कम से कम एक ऐसी सीट मिलती, जिसपर वह जोर लगाकर जीत हासिल कर सकती। लेकिन सपा ने ऐसी कोई सीट उसे नहीं दी। वहीं, सपा नेताओं का कहना है कि जिन सीटों पर उसके उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं, उन सीटों पर उसने प्रत्याशी उतार दिए हैं। जहां कांग्रेस कभी मजबूत रही है, वह सीटें कांग्रेस को दी गई। सपा फूलपुर सीट देने पर भी हो गई थी राजी सूत्रों का कहना है कि सपा फूलपुर सीट भी कांग्रेस के लिए छोड़ने के लिए राजी हो गई थी। लेकिन कांग्रेस ने कुछ और शर्तें सपा के सामने रख दी थीं। कांग्रेस फूलपुर और मीरापुर सीट लेने पर अड़ी हुई थी। सपा की ओर से साफ कर दिया गया था कि मीरापुर सीट वह नहीं छोड़ेगी। दरअसल, फूलपुर प्रयागराज जिले का हिस्सा है, इलाहाबाद में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी जबकि फूलपुर लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी मामूली अंतर से हारी थी। कांग्रेस का मानना है कि इस क्षेत्र में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ा है, इसलिए इस सीट पर कांग्रेस जीत हासिल कर सकती है। कुंदरकी के टिकट को लेकर असमंजस कायम समाजवादी पार्टी ने अभी तक कुंदरकी से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि सपा हाजी रिजवान को ही अपना प्रत्याशी बनाएगी। देरी इसलिए की जा रही है कि सपा के शीर्ष नेतृत्व पर पार्टी के कार्यकर्ता किसी तरह का दबाव बनाने न पहुंच जाएं। क्योंकि कुंदरकी से सपा के लिए दावेदारों की संख्या अधिक है। इसकी सबसे बड़ी वजह मुस्लिम बाहुल्य सीट होना भी है। माना जा रहा है कि गुरुवार को समाजवादी पार्टी इस सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा करेगी और उसी दिन प्रत्याशी की ओर से नामांकन भी किया जाएगा। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी कुंदरकी के साथ-साथ अब गाजियाबाद और खैर में भी अपने उम्मीदवार घाेषित कर देगी। हरियाणा के नतीजों के बाद बसपा का अग्रेशन नदारद लंबे अरसे बाद बहुजन समाज पार्टी किसी उपचुनाव में हिस्सा लेने जा रही है। उसने
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच आखिरकार समझौता हो गया है। कांग्रेस यूपी में चुनाव नहीं लड़ेगी। वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव लड़ाएगी। बुधवार देर रात सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद अखिलेश यादव ने इसका एलान किया। अखिलेश यादव के एक्स पोस्ट के बाद तमाम कयासों पर विराम लग गया है। अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि ‘बात सीट की नहीं जीत की है’ इस रणनीति के तहत ‘इंडिया गठबंधन’ के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ के निशान पर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक बड़ी जीत के लिए एकजुट होकर, कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी है। इंडिया गठबंधन इस उपचुनाव में, जीत का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ आने से समाजवादी पार्टी की शक्ति कई गुना बढ़ गयी है। इस अभूतपूर्व सहयोग और समर्थन से सभी 9 विधानसभा सीटों पर ‘इंडिया गठबंधन’ का एक-एक कार्यकर्ता जीत का संकल्प लेकर नयी ऊर्जा से भर गया है। ये देश का संविधान, सौहार्द और PDA का मान-सम्मान बचाने का चुनाव है। इसीलिए हमारी सबसे अपील है एक भी वोट न घटने पाए, एक भी वोट न बँटने पाए। देशहित में ‘इंडिया गठबंधन’ की सद्भाव भरी ये एकता और एकजुटता आज भी नया इतिहास लिखेगी और कल भी। इससे पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान की खबरें आ रही थीं। दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे थे। सपा के लोग कह रहे थे कि कांग्रेस जवाब नहीं दे रही और कांग्रेस के लोग कह रहे थे कि सपा ने बगैर पूछे टिकट घोषित कर दिए। लेकिन जब अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच सीधी बात हुई तो तमाम आरोप-प्रत्यारोप और कयासबाजी धरी रह गई। पहले दो, बाद में तीन सीट के लिए राजी हो गई थी सपा समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के लिए दो सीटें छोड़ी थीं। इसमें एक गाजियाबाद और दूसरी खैर सीट थी। कांग्रेस इन दोनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी। कांग्रेस की मांग पांच सीटों की थी, लेकिन बाद में वह चार सीटों पर आ गए थे। कांग्रेस गाजियाबाद और खैर के साथ मीरापुर और फूलपुर सीट भी चाहती थी। अखिर में सपा कांग्रेस को फूलपुर सीट देने को भी राजी हो गई, लेकिन कांग्रेस नहीं मानी। बुधवार शाम तक लग रहा था कि सपा-कांग्रेस के बीच दरार पैदा हो गई है, लेकिन दोनों पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बातचीत ने कई दिनों की कशमकश को मिनटों में दूर कर दिया। वहीं, जब अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी तब भी कांग्रेस नेताओं का कहना था कि उनकी जानकारी में यह सब नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि वे इसी मुद्दे पर बात करने के लिए दिल्ली आए हैं। लेकिन वायनाड में प्रियंका गांधी के नामांकन के चलते कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता वायनाड में थे, इस लिए उनसे बात नहीं हो पाई। कांग्रेस इस पर कल अपनी स्थिति साफ करेगी। उधर, हरियाणा के नतीजों के बाद बसपा भी बयानबाजी के मामले में खामोश नजर आ रही है। आइए जानते हैं कि बात कहां बिगड़ रही थी? सपा और कांग्रेस दोनों ही दल 15 अक्टूबर को चुनाव की घोषणा होने से पहले से ही कह रहे थे कि मिलकर लड़ेंगे। लेकिन दोनों ओर से सीट शेयरिंग को लेकर बात बनती नजर नहीं आ रही थी। सीट बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव ने नरम रुख जरूर दिखाया था, लेकिन कांग्रेस ने कोई तवज्जो नहीं दे रही थी। कांग्रेस ने 2022 के चुनाव में सपा की हारी हुई सीट पर दावेदारी पेश की थी। इसमें पांच सीटें शामिल थीं। सपा ने इस प्रस्ताव को न सिर्फ ठुकरा दिया था, बल्कि हरियाणा चुनाव के नतीजे आए तो समाजवादी पार्टी ने अपने 9 में से छह प्रत्याशी घोषित कर दिए। कांग्रेस के लिए दो सीटें गाजियाबाद सदर और अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट छोड़ दी थी। कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने सपा की ओर से छोड़ी गई सीटों को लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। कांग्रेस का कहना था कि उसे कम से कम एक ऐसी सीट मिलती, जिसपर वह जोर लगाकर जीत हासिल कर सकती। लेकिन सपा ने ऐसी कोई सीट उसे नहीं दी। वहीं, सपा नेताओं का कहना है कि जिन सीटों पर उसके उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं, उन सीटों पर उसने प्रत्याशी उतार दिए हैं। जहां कांग्रेस कभी मजबूत रही है, वह सीटें कांग्रेस को दी गई। सपा फूलपुर सीट देने पर भी हो गई थी राजी सूत्रों का कहना है कि सपा फूलपुर सीट भी कांग्रेस के लिए छोड़ने के लिए राजी हो गई थी। लेकिन कांग्रेस ने कुछ और शर्तें सपा के सामने रख दी थीं। कांग्रेस फूलपुर और मीरापुर सीट लेने पर अड़ी हुई थी। सपा की ओर से साफ कर दिया गया था कि मीरापुर सीट वह नहीं छोड़ेगी। दरअसल, फूलपुर प्रयागराज जिले का हिस्सा है, इलाहाबाद में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी जबकि फूलपुर लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी मामूली अंतर से हारी थी। कांग्रेस का मानना है कि इस क्षेत्र में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ा है, इसलिए इस सीट पर कांग्रेस जीत हासिल कर सकती है। कुंदरकी के टिकट को लेकर असमंजस कायम समाजवादी पार्टी ने अभी तक कुंदरकी से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि सपा हाजी रिजवान को ही अपना प्रत्याशी बनाएगी। देरी इसलिए की जा रही है कि सपा के शीर्ष नेतृत्व पर पार्टी के कार्यकर्ता किसी तरह का दबाव बनाने न पहुंच जाएं। क्योंकि कुंदरकी से सपा के लिए दावेदारों की संख्या अधिक है। इसकी सबसे बड़ी वजह मुस्लिम बाहुल्य सीट होना भी है। माना जा रहा है कि गुरुवार को समाजवादी पार्टी इस सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा करेगी और उसी दिन प्रत्याशी की ओर से नामांकन भी किया जाएगा। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी कुंदरकी के साथ-साथ अब गाजियाबाद और खैर में भी अपने उम्मीदवार घाेषित कर देगी। हरियाणा के नतीजों के बाद बसपा का अग्रेशन नदारद लंबे अरसे बाद बहुजन समाज पार्टी किसी उपचुनाव में हिस्सा लेने जा रही है। उसने अपने प्रत्याशी भी घोषित कर रखे हैं। बसपा के साथ दिक्कत यह है कि उसके पास नेताओं की कमी है। मायावती के उत्तराधिकारी के तौर पर खुद को साबित करने में अब तक नाकाम रहे आकाश आनंद को यूपी के उपचुनाव से दूर रखा गया है। वह उपचुनाव में नहीं दिखेंगे। मायावती आम चुनावों में भी कम से कम रैलियां करती हैं, वह उप चुनाव में निकलेंगी, इसकी संभावना न के बराबर है। बहुजन समाज पार्टी का मुख्य फोकस जिन दो सीटों पर है, उसमें एक है कटेहरी व दूसरी है खैर। खैर में 2022 के चुनाव में बसपा को 56 हजार वोट मिले थे। इस सीट पर जाटव वोट अच्छी संख्या में हैं। इसी तरह कटेहरी सीट भी बसपा की परंपरागत सीट रही है। इस सीट पर बसपा के पूर्व नेता लालजी वर्मा का वर्चस्व रहा है। वह अब सपा में हैं और उनकी पत्नी उपचुनाव में प्रत्याशी हैं। बसपा लालजी वर्मा के वर्चस्व को कम करने के लिए अपना पूरा जोर लगाएगी। ---------------------------------------- ये भी पढ़ें... सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी नामांकन से पहले फूट-फूटकर रोईं:कानपुर में बेटी और सास को गले लगाया; कहा- पहली बार बिना पति यहां आई हूं कानपुर में सीसामऊ सीट से बुधवार दोपहर सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी नामांकन करने पहुंचीं। जेल में बंद पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम ने रोते हुए सास और बेटी को गले लगाया। इसके बाद नॉमिनेशन रूम में दाखिल हुईं। नसीम सोलंकी ने कहा- मैं पहली बार बिना पति के यहां आई हूं। इसलिए मुझे ठीक नहीं लग रहा था। इस वजह से मैं भावुक हो गई। मेरे साथ मेरी सास और मां भी आई थीं। पढ़ें पूरी खबर...