रणथम्भौर से 10 साल में 29 टाइगर गायब:टी-86 बाघ की मौत के बाद जागा वन विभाग, लापता बाघों के रिकॉर्ड खंगालेगी कमेटी

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में 3 नवंबर को बाघ टी-86 की हुई मौत के बाद खलबली मची है। लगातार हो रही बाघों की मौत और इनके गायब होने की घटनाओं ने विभागीय अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं। 4 नवंबर को चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (CWLW) पवन कुमार उपाध्याय ने रणथम्भौर से गायब बाघों की जांच को लेकर तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी अगले 2 महीने में रिपोर्ट देगी। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से पिछले 10 साल में 29 बाघ, बाघिन और शावक गायब हुए हैं। बाघ की हत्या के बाद मची खलबली कुछ दिन पहले ही रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में टाइगर टी-86 की हत्या का मामला सामने आया था। बारूद से हमला करके टाइगर को मौत के घाट उतारा गया था। इसके अलावा उसकी बॉडी पर चोट के भी निशान थे। इस घटना ने एक बार फिर बाघों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए थे। आला अधिकारियों तक यह मामला पहुंचा और बाघों की कम हो रही संख्या को लेकर जवाब-तलब होने लगा। पुराने रिकॉर्ड खंगाले जाने लगा। बाघों को ढूंढने के क्या प्रयास हुए, इसकी भी जांच होगी कमेटी में राजेश कुमार गुप्ता APCCF (अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अध्यक्ष, CF टी. मोहनराज (जयपुर) और मानस सिंह DFO (केवलादेव, भरतपुर) को सदस्य नियुक्त किया गया है। अब कमेटी गायब हुए बाघों के रिकॉर्ड की भी जांच करेगी। साथ ही, फील्ड में जाकर हालातों का जायजा लेगी। खास बात यह है कि कमेटी यह भी पता लगाएगी कि गायब बाघों को ढूंढने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों ने आखिर किस तरह के प्रयास किए। किसी भी स्तर पर लापरवाही मिलती है तो संबंधित अफसर-कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। खामियों को दूर करने के दिए जाएंगे सुझाव कमेटी की ओर से रणथम्भौर की खामियों को दूर करने लिए सुझाव रिपोर्ट में दिए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर यह कमेटी विशेषज्ञों की राय भी ले सकती है। 15 जनवरी तक जांच रिपोर्ट आने की संभावना है। जल्द रणथंभौर पहुंचेगी कमेटी कमेटी के अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता का कहना है कि सबसे पहले सारे रिकाॅर्ड की स्टडी की जा रही है। इसके बाद फील्ड में जाएंगे। टाइगर टैबिटाट के चलते इसे सनसनीखेज नहीं कहा जा सकता है। कमेटी के सदस्य मानस सिंह का कहना है कि अध्यक्ष के निर्देशानुसार सवाई माधोपुर आकर जांच शुरू की जाएगी। ट्रैंकुलाइज करते समय ओवरडोज होने से हुई थी बाघ की मौत साल 2023 के पहले ही महीने में 1 बाघ, 1 बाघिन और 1 शावक की मौत हुई है। 10 जनवरी को बाघ T-57, 31 जनवरी को बाघिन T-114 और उसके शावक की मौत हो गई थी। इसके अगले महीने में ही 9 फरवरी को बाघिन T-19 (कृष्णा) की मौत हो गई थी। मई 2023 में फिर एक टाइगर ने दुनिया छोड़ दी थी। 10 मई को बाघ T-104 को ट्रैंकुलाइज करते समय ओवरडोज देने से उदयपुर में उसकी मौत हो गई। सितंबर में फिर बाघिन T-79 के दो शावकों की मौत हो गई और बाघिन का पता लगाने में वन विभाग विफल रहा। 11 दिसंबर को बाघिन T-69 के शावक की मौत हो गई। इस तरह साल 2023 में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में कुल 8 बाघ-बाघिन और शावकों ने दम तोड़ दिया। प्रसव पीड़ा भी जानलेवा जनवरी 2024 में 1 बाघिन और 2 शावकों की मौत हो गई। इसी साल जनवरी में बाघिन टी-99 प्री मैच्योर डिलीवरी के चलते गर्भपात का शिकार हुई और उसकी जान चली गई। बाघिन टी-60 व उसके शावक ने प्रसव पीड़ा के दौरान दम तोड़ दिया था। इसके बाद 7 जुलाई 2024 को बाघ टी-58 और 3 नवंबर 2024 को बाघ टी-86 की मौत हो गई थी। 2 साल में 25 बाघ, बाघिन और शावक गायब रणथम्भौर में पिछले 2 साल में 25 बाघ-बाघिन और शावक गायब हुए हैं। इसको लेकर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पीके उपाध्याय ने सीसीएफ को कई लेटर लिखे। इसके बाद भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद कमेटी का गठन किया गया है। गायब बाघों को खोजने में वन विभाग नाकाम रणथम्भौर नेचर गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष और वन्यजीव विशेषज्ञ यादवेंद्र सिंह कहते हैं- रणथम्भौर में जिस तरह से बाघों की संख्या बढ़ रही है, उसके अनुसार बाघों को टेरेटरी के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से बाघों में आपसी संघर्ष बढ़ रहा है। कमजोर बाघ रणथम्भौर से बाहर निकल रहे हैं। कई मर्तबा ताकतवर बाघ से संघर्ष होने पर कमजोर बाघ की मौत भी हो जाती है। विभागीय अधिकारियों की कमजोर मॉनिटरिंग के चलते कई बार मृत बाघों का पता नहीं चल पाता और विभाग उस बाघ को मिसिंग मान लेता है। पथिक लोक सेवा समिति के सचिव व वन्यजीव प्रेमी मुकेश सीट कहते हैं- देखने वाली बात यह होगी कि उच्च स्तरीय जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट में क्या देती है। रणथम्भौर के किस-किस अधिकारी पर गाज गिरती है या महज जांच के नाम पर लीपापोती ही की जाती है। यह भी पढ़ें...

Nov 11, 2024 - 14:55
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रणथम्भौर से 10 साल में 29 टाइगर गायब:टी-86 बाघ की मौत के बाद जागा वन विभाग, लापता बाघों के रिकॉर्ड खंगालेगी कमेटी
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में 3 नवंबर को बाघ टी-86 की हुई मौत के बाद खलबली मची है। लगातार हो रही बाघों की मौत और इनके गायब होने की घटनाओं ने विभागीय अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं। 4 नवंबर को चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (CWLW) पवन कुमार उपाध्याय ने रणथम्भौर से गायब बाघों की जांच को लेकर तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी अगले 2 महीने में रिपोर्ट देगी। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से पिछले 10 साल में 29 बाघ, बाघिन और शावक गायब हुए हैं। बाघ की हत्या के बाद मची खलबली कुछ दिन पहले ही रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में टाइगर टी-86 की हत्या का मामला सामने आया था। बारूद से हमला करके टाइगर को मौत के घाट उतारा गया था। इसके अलावा उसकी बॉडी पर चोट के भी निशान थे। इस घटना ने एक बार फिर बाघों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए थे। आला अधिकारियों तक यह मामला पहुंचा और बाघों की कम हो रही संख्या को लेकर जवाब-तलब होने लगा। पुराने रिकॉर्ड खंगाले जाने लगा। बाघों को ढूंढने के क्या प्रयास हुए, इसकी भी जांच होगी कमेटी में राजेश कुमार गुप्ता APCCF (अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अध्यक्ष, CF टी. मोहनराज (जयपुर) और मानस सिंह DFO (केवलादेव, भरतपुर) को सदस्य नियुक्त किया गया है। अब कमेटी गायब हुए बाघों के रिकॉर्ड की भी जांच करेगी। साथ ही, फील्ड में जाकर हालातों का जायजा लेगी। खास बात यह है कि कमेटी यह भी पता लगाएगी कि गायब बाघों को ढूंढने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों ने आखिर किस तरह के प्रयास किए। किसी भी स्तर पर लापरवाही मिलती है तो संबंधित अफसर-कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। खामियों को दूर करने के दिए जाएंगे सुझाव कमेटी की ओर से रणथम्भौर की खामियों को दूर करने लिए सुझाव रिपोर्ट में दिए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर यह कमेटी विशेषज्ञों की राय भी ले सकती है। 15 जनवरी तक जांच रिपोर्ट आने की संभावना है। जल्द रणथंभौर पहुंचेगी कमेटी कमेटी के अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता का कहना है कि सबसे पहले सारे रिकाॅर्ड की स्टडी की जा रही है। इसके बाद फील्ड में जाएंगे। टाइगर टैबिटाट के चलते इसे सनसनीखेज नहीं कहा जा सकता है। कमेटी के सदस्य मानस सिंह का कहना है कि अध्यक्ष के निर्देशानुसार सवाई माधोपुर आकर जांच शुरू की जाएगी। ट्रैंकुलाइज करते समय ओवरडोज होने से हुई थी बाघ की मौत साल 2023 के पहले ही महीने में 1 बाघ, 1 बाघिन और 1 शावक की मौत हुई है। 10 जनवरी को बाघ T-57, 31 जनवरी को बाघिन T-114 और उसके शावक की मौत हो गई थी। इसके अगले महीने में ही 9 फरवरी को बाघिन T-19 (कृष्णा) की मौत हो गई थी। मई 2023 में फिर एक टाइगर ने दुनिया छोड़ दी थी। 10 मई को बाघ T-104 को ट्रैंकुलाइज करते समय ओवरडोज देने से उदयपुर में उसकी मौत हो गई। सितंबर में फिर बाघिन T-79 के दो शावकों की मौत हो गई और बाघिन का पता लगाने में वन विभाग विफल रहा। 11 दिसंबर को बाघिन T-69 के शावक की मौत हो गई। इस तरह साल 2023 में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में कुल 8 बाघ-बाघिन और शावकों ने दम तोड़ दिया। प्रसव पीड़ा भी जानलेवा जनवरी 2024 में 1 बाघिन और 2 शावकों की मौत हो गई। इसी साल जनवरी में बाघिन टी-99 प्री मैच्योर डिलीवरी के चलते गर्भपात का शिकार हुई और उसकी जान चली गई। बाघिन टी-60 व उसके शावक ने प्रसव पीड़ा के दौरान दम तोड़ दिया था। इसके बाद 7 जुलाई 2024 को बाघ टी-58 और 3 नवंबर 2024 को बाघ टी-86 की मौत हो गई थी। 2 साल में 25 बाघ, बाघिन और शावक गायब रणथम्भौर में पिछले 2 साल में 25 बाघ-बाघिन और शावक गायब हुए हैं। इसको लेकर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पीके उपाध्याय ने सीसीएफ को कई लेटर लिखे। इसके बाद भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद कमेटी का गठन किया गया है। गायब बाघों को खोजने में वन विभाग नाकाम रणथम्भौर नेचर गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष और वन्यजीव विशेषज्ञ यादवेंद्र सिंह कहते हैं- रणथम्भौर में जिस तरह से बाघों की संख्या बढ़ रही है, उसके अनुसार बाघों को टेरेटरी के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से बाघों में आपसी संघर्ष बढ़ रहा है। कमजोर बाघ रणथम्भौर से बाहर निकल रहे हैं। कई मर्तबा ताकतवर बाघ से संघर्ष होने पर कमजोर बाघ की मौत भी हो जाती है। विभागीय अधिकारियों की कमजोर मॉनिटरिंग के चलते कई बार मृत बाघों का पता नहीं चल पाता और विभाग उस बाघ को मिसिंग मान लेता है। पथिक लोक सेवा समिति के सचिव व वन्यजीव प्रेमी मुकेश सीट कहते हैं- देखने वाली बात यह होगी कि उच्च स्तरीय जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट में क्या देती है। रणथम्भौर के किस-किस अधिकारी पर गाज गिरती है या महज जांच के नाम पर लीपापोती ही की जाती है। यह भी पढ़ें...

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