रामगंगा स्थित चौबारी मेले में लगा घोड़ों का नकासा:देशभर से आए घोड़े, लाखों रुपये में बिकते हैं

बरेली में रामगंगा पर कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर चौबारी घाट पर मेला लगाया गया है। इस मेले में एक ओर जहां खाने-पीने की चीजें बिक रही हैं, वहीं बच्चों के लिए बड़े-बड़े झूले भी लगाए गए हैं। इन सब के बीच घोड़ा नकासा मेले की खास पहचान है। नकासा में देशभर से हजारों घोड़े आते हैं। देश के विभिन्न राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश समेत सभी राज्यों से घोड़े के शौकीन अपने घोड़े लेकर इस घोड़ा नकासा में पहुंचते हैं और फिर एक सप्ताह तक इस मेले की शोभा बढ़ाते हैं। घोड़ा नकासा में घोड़े की रेस भी होती है, जिसमें 5,000 रुपये से लेकर 1,00,000 रुपये तक का इनाम रखा जाता है। वहीं, घोड़ा नकासा में घोड़े के शौकीन घोड़े भी खरीदते हैं, जहां 20,000 रुपये से लेकर लाखों रुपये तक के घोड़े बिकते हैं। लोग महाराणा प्रताप जैसा चाहते हैं चेतक घोड़ा कई एकड़ में घोड़ों का नकासा लगा हुआ है। घोड़ा नकासा में इस बार जिला प्रशासन की तरफ से बिजली की व्यवस्था भी की गई है और पूरा घोड़ा नकासा मेला दूधिया रोशनी में नहा रहा है। रामगंगा चौबारी घाट पर लगे घोड़ा नकासा मेले में हर तरफ घोड़े ही घोड़े नजर आ रहे हैं। लोग अपने-अपने घोड़े के साथ रेस की प्रैक्टिस कर रहे हैं। हर कोई चाहता है कि उनका घोड़ा भी इस रेस में जीते। हर कोई चाहता है कि उनका घोड़ा महाराणा प्रताप के घोड़े की तरह चेतक बनकर पूरे देश में प्रसिद्ध हो। घोड़ा एक शक्तिशाली और गतिशील पशु घोड़ा एक शक्तिशाली और गतिशील पशु है, जो अपनी तेज़ दौड़ने की क्षमता, साहस और मजबूती के लिए जाना जाता है। यह चार पैरों वाला और मांसाहारी वन्य प्रजाति के करीबी रिश्ते में पाया जाता है, जिसे प्रायः घरेलू जीवन में उपयोग किया जाता है। घोड़े की शारीरिक संरचना में लंबी टांगें, मजबूत मांसपेशियां, और चौड़ी छाती होती है, जो उसे तेज़ गति से दौड़ने की क्षमता प्रदान करती हैं। घोड़ा युद्ध में भी होता है उपयोग घोड़े का स्वभाव आमतौर पर कोमल और संवेदनशील होता है, लेकिन यह अपनी सुरक्षा के लिए आक्रामक भी हो सकता है। इसे विभिन्न कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, जैसे कि सवारी, कृषि कार्य, खेल (जैसे पोलो, घुड़सवारी) और युद्ध में भी इसका उपयोग हुआ है। घोड़ा शाकाहारी है, जो मुख्य रूप से घास, भूसा, और अन्य पौधों को खाता है। सवारी और परिवहन के लिए घोड़ों का इस्तेमाल घोड़े का सबसे सामान्य उपयोग सवारी के लिए होता है। यह प्राचीन काल से लेकर आज तक मनुष्यों द्वारा यात्रा करने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और पर्वतीय इलाकों में घोड़ा अभी भी परिवहन का प्रमुख साधन है। कारवां और माल ढुलाई घोड़े का उपयोग माल ढोने के लिए भी किया जाता है, विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जहां सड़कों की स्थिति ठीक नहीं होती या जहां मोटरवाहन नहीं जा सकते। युद्ध में घोड़ों की होती है जरूरत प्राचीन और मध्यकाल में घोड़ा एक महत्वपूर्ण युद्ध सामग्री था। घोड़े पर सवार होकर सैनिक युद्ध में भाग लेते थे। खासतौर पर शाही सेनाओं में घोड़ों का बहुत महत्व था। घोड़े की गति और ताकत से सेना जल्दी से युद्ध भूमि पर पहुँच सकती थी। घुड़सवार सैनिक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। ये तेज़ गति से दुश्मन पर हमला कर सकते थे और युद्ध के मैदान में लचीलापन प्रदान करते थे। खेल और प्रतिस्पर्धा: घुड़सवारी यह एक प्रमुख खेल है जिसमें सवार घोड़े पर बैठकर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। इसमें शामिल हैं: ड्रेसेज, जंपिंग, वेस्टर्न राइडिंग, और पोलो। घुड़दौड़ एक लोकप्रिय खेल है जिसमें घोड़े की दौड़ की जाती है। यह खेल न केवल मनोरंजन का स्रोत है बल्कि यह एक बड़ा व्यावसायिक उद्योग भी है। पुलिस और सुरक्षा कुछ शहरों में पुलिस घोड़े का उपयोग कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता है। ये घोड़े बड़े आयोजनों में भीड़ नियंत्रण, गश्त, और सुरक्षा कार्यों के लिए इस्तेमाल होते हैं। घोड़े का उपयोग विशेष रूप से बड़े और खुले क्षेत्रों में गश्त लगाने के लिए किया जाता है, जैसे कि राष्ट्रीय उद्यान, समुद्र तट, या बड़े मेला क्षेत्रों में। कई संस्कृतियों में घोड़ा पारंपरिक उत्सवों और समारोहों का हिस्सा होता है। उदाहरण के लिए, भारतीय शादियों में घोड़ा सवारी का प्रचलन है, जिसमें दूल्हा घोड़े पर बैठकर शादी के स्थल पर पहुँचता है। विभिन्न संस्कृतियों में घोड़ा एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसे शक्ति, साहस, और स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है। कई पुरानी किवदंतियों और मिथकों में भी घोड़े का महत्वपूर्ण स्थान है। घोड़ा सवारी पर्यटन, शिकार में उपयोग कई पर्यटक स्थलों पर घोड़ा सवारी की सुविधा उपलब्ध होती है। यह पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, पहाड़ी इलाकों और रेगिस्तानी क्षेत्रों में घोड़े की सवारी विशेष रूप से लोकप्रिय है। पर्वतीय इलाकों में ट्रैकिंग और साहसिक गतिविधियों के लिए भी उपयोगी है, क्योंकि यह कठिन रास्तों पर यात्रा करने में सहायक होता है। प्राचीन काल में घोड़ा शिकार के लिए भी उपयोग किया जाता था। घोड़े की गति और साहस ने शिकारियों को कठिन इलाकों में घुसने और शिकार करने में मदद की। घोड़ा मनुष्य का सहायक और मित्र है।

Nov 14, 2024 - 07:20
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रामगंगा स्थित चौबारी मेले में लगा घोड़ों का नकासा:देशभर से आए घोड़े, लाखों रुपये में बिकते हैं
बरेली में रामगंगा पर कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर चौबारी घाट पर मेला लगाया गया है। इस मेले में एक ओर जहां खाने-पीने की चीजें बिक रही हैं, वहीं बच्चों के लिए बड़े-बड़े झूले भी लगाए गए हैं। इन सब के बीच घोड़ा नकासा मेले की खास पहचान है। नकासा में देशभर से हजारों घोड़े आते हैं। देश के विभिन्न राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश समेत सभी राज्यों से घोड़े के शौकीन अपने घोड़े लेकर इस घोड़ा नकासा में पहुंचते हैं और फिर एक सप्ताह तक इस मेले की शोभा बढ़ाते हैं। घोड़ा नकासा में घोड़े की रेस भी होती है, जिसमें 5,000 रुपये से लेकर 1,00,000 रुपये तक का इनाम रखा जाता है। वहीं, घोड़ा नकासा में घोड़े के शौकीन घोड़े भी खरीदते हैं, जहां 20,000 रुपये से लेकर लाखों रुपये तक के घोड़े बिकते हैं। लोग महाराणा प्रताप जैसा चाहते हैं चेतक घोड़ा कई एकड़ में घोड़ों का नकासा लगा हुआ है। घोड़ा नकासा में इस बार जिला प्रशासन की तरफ से बिजली की व्यवस्था भी की गई है और पूरा घोड़ा नकासा मेला दूधिया रोशनी में नहा रहा है। रामगंगा चौबारी घाट पर लगे घोड़ा नकासा मेले में हर तरफ घोड़े ही घोड़े नजर आ रहे हैं। लोग अपने-अपने घोड़े के साथ रेस की प्रैक्टिस कर रहे हैं। हर कोई चाहता है कि उनका घोड़ा भी इस रेस में जीते। हर कोई चाहता है कि उनका घोड़ा महाराणा प्रताप के घोड़े की तरह चेतक बनकर पूरे देश में प्रसिद्ध हो। घोड़ा एक शक्तिशाली और गतिशील पशु घोड़ा एक शक्तिशाली और गतिशील पशु है, जो अपनी तेज़ दौड़ने की क्षमता, साहस और मजबूती के लिए जाना जाता है। यह चार पैरों वाला और मांसाहारी वन्य प्रजाति के करीबी रिश्ते में पाया जाता है, जिसे प्रायः घरेलू जीवन में उपयोग किया जाता है। घोड़े की शारीरिक संरचना में लंबी टांगें, मजबूत मांसपेशियां, और चौड़ी छाती होती है, जो उसे तेज़ गति से दौड़ने की क्षमता प्रदान करती हैं। घोड़ा युद्ध में भी होता है उपयोग घोड़े का स्वभाव आमतौर पर कोमल और संवेदनशील होता है, लेकिन यह अपनी सुरक्षा के लिए आक्रामक भी हो सकता है। इसे विभिन्न कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, जैसे कि सवारी, कृषि कार्य, खेल (जैसे पोलो, घुड़सवारी) और युद्ध में भी इसका उपयोग हुआ है। घोड़ा शाकाहारी है, जो मुख्य रूप से घास, भूसा, और अन्य पौधों को खाता है। सवारी और परिवहन के लिए घोड़ों का इस्तेमाल घोड़े का सबसे सामान्य उपयोग सवारी के लिए होता है। यह प्राचीन काल से लेकर आज तक मनुष्यों द्वारा यात्रा करने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और पर्वतीय इलाकों में घोड़ा अभी भी परिवहन का प्रमुख साधन है। कारवां और माल ढुलाई घोड़े का उपयोग माल ढोने के लिए भी किया जाता है, विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जहां सड़कों की स्थिति ठीक नहीं होती या जहां मोटरवाहन नहीं जा सकते। युद्ध में घोड़ों की होती है जरूरत प्राचीन और मध्यकाल में घोड़ा एक महत्वपूर्ण युद्ध सामग्री था। घोड़े पर सवार होकर सैनिक युद्ध में भाग लेते थे। खासतौर पर शाही सेनाओं में घोड़ों का बहुत महत्व था। घोड़े की गति और ताकत से सेना जल्दी से युद्ध भूमि पर पहुँच सकती थी। घुड़सवार सैनिक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। ये तेज़ गति से दुश्मन पर हमला कर सकते थे और युद्ध के मैदान में लचीलापन प्रदान करते थे। खेल और प्रतिस्पर्धा: घुड़सवारी यह एक प्रमुख खेल है जिसमें सवार घोड़े पर बैठकर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। इसमें शामिल हैं: ड्रेसेज, जंपिंग, वेस्टर्न राइडिंग, और पोलो। घुड़दौड़ एक लोकप्रिय खेल है जिसमें घोड़े की दौड़ की जाती है। यह खेल न केवल मनोरंजन का स्रोत है बल्कि यह एक बड़ा व्यावसायिक उद्योग भी है। पुलिस और सुरक्षा कुछ शहरों में पुलिस घोड़े का उपयोग कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता है। ये घोड़े बड़े आयोजनों में भीड़ नियंत्रण, गश्त, और सुरक्षा कार्यों के लिए इस्तेमाल होते हैं। घोड़े का उपयोग विशेष रूप से बड़े और खुले क्षेत्रों में गश्त लगाने के लिए किया जाता है, जैसे कि राष्ट्रीय उद्यान, समुद्र तट, या बड़े मेला क्षेत्रों में। कई संस्कृतियों में घोड़ा पारंपरिक उत्सवों और समारोहों का हिस्सा होता है। उदाहरण के लिए, भारतीय शादियों में घोड़ा सवारी का प्रचलन है, जिसमें दूल्हा घोड़े पर बैठकर शादी के स्थल पर पहुँचता है। विभिन्न संस्कृतियों में घोड़ा एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसे शक्ति, साहस, और स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है। कई पुरानी किवदंतियों और मिथकों में भी घोड़े का महत्वपूर्ण स्थान है। घोड़ा सवारी पर्यटन, शिकार में उपयोग कई पर्यटक स्थलों पर घोड़ा सवारी की सुविधा उपलब्ध होती है। यह पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, पहाड़ी इलाकों और रेगिस्तानी क्षेत्रों में घोड़े की सवारी विशेष रूप से लोकप्रिय है। पर्वतीय इलाकों में ट्रैकिंग और साहसिक गतिविधियों के लिए भी उपयोगी है, क्योंकि यह कठिन रास्तों पर यात्रा करने में सहायक होता है। प्राचीन काल में घोड़ा शिकार के लिए भी उपयोग किया जाता था। घोड़े की गति और साहस ने शिकारियों को कठिन इलाकों में घुसने और शिकार करने में मदद की। घोड़ा मनुष्य का सहायक और मित्र है।

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