रामपुर में आवारा कुत्तों का आतंक:लोगों में डर, हमले में कई लोगों की जा चुकी हैं जानें

रामपुर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने से लोग बहुत परेशान हैं। नगर पालिका, जो इनसे निपटने की जिम्मेदार है, वही इस समस्या को नजर अंदाज कर रही है। शहर के प्रमुख स्थानों जैसे कलेक्ट्रेट, जिला अस्पताल और चौराहों पर आवारा कुत्तों की भरमार है। ये कुत्ते बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर देते हैं, जिससे कई बार हादसे हो चुके हैं। स्थिति यह है कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डरते हैं। दिन में ये कुत्ते मासूम बच्चों और बुजुर्गों को निशाना बनाते हैं, जबकि रात में झुंड बनाकर लोगों को घेर लेते हैं। इस वजह से कई हादसे हुए हैं, जिनमें मासूम बच्चों की जान भी चली गई है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। नगर पालिका में ही आवारा कुत्तों की भरमार है नगर पालिका ने कुछ दिनों तक खानापूर्ति के लिए कुत्तों को पकड़कर सुनसान इलाकों में छोड़ा, लेकिन फिर यह अभियान बंद कर दिया गया। लाखों रुपये खर्च कर दिखावे के लिए कुछ दिनों तक काम किया गया, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही। जब नगर पालिका चेयरपर्सन सना खान से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। लोगों की शिकायत है कि चेयरपर्सन जनता के फोन नहीं उठातीं और समस्या पर ध्यान नहीं देतीं। ऐसे में जब खुद नगर पालिका में ही आवारा कुत्तों की भरमार है, तो शहरवासियों को इससे राहत कैसे मिलेगी?

Oct 30, 2024 - 12:50
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रामपुर में आवारा कुत्तों का आतंक:लोगों में डर, हमले में कई लोगों की जा चुकी हैं जानें
रामपुर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने से लोग बहुत परेशान हैं। नगर पालिका, जो इनसे निपटने की जिम्मेदार है, वही इस समस्या को नजर अंदाज कर रही है। शहर के प्रमुख स्थानों जैसे कलेक्ट्रेट, जिला अस्पताल और चौराहों पर आवारा कुत्तों की भरमार है। ये कुत्ते बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर देते हैं, जिससे कई बार हादसे हो चुके हैं। स्थिति यह है कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डरते हैं। दिन में ये कुत्ते मासूम बच्चों और बुजुर्गों को निशाना बनाते हैं, जबकि रात में झुंड बनाकर लोगों को घेर लेते हैं। इस वजह से कई हादसे हुए हैं, जिनमें मासूम बच्चों की जान भी चली गई है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। नगर पालिका में ही आवारा कुत्तों की भरमार है नगर पालिका ने कुछ दिनों तक खानापूर्ति के लिए कुत्तों को पकड़कर सुनसान इलाकों में छोड़ा, लेकिन फिर यह अभियान बंद कर दिया गया। लाखों रुपये खर्च कर दिखावे के लिए कुछ दिनों तक काम किया गया, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही। जब नगर पालिका चेयरपर्सन सना खान से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। लोगों की शिकायत है कि चेयरपर्सन जनता के फोन नहीं उठातीं और समस्या पर ध्यान नहीं देतीं। ऐसे में जब खुद नगर पालिका में ही आवारा कुत्तों की भरमार है, तो शहरवासियों को इससे राहत कैसे मिलेगी?

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