'रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा':बाराबंकी में विष्णु सक्सेना ने जमाया रंग, बोले- तू जो ख्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे

देवा मेला के ऑडिटोरियम में गुरुवार की रात एक भव्य अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस कवि सम्मेलन का संयोजन श्री राय स्वरेश्वर बली और सह-संयोजक डॉ. अम्बरीष अम्बर ने किया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए नामचीन कवियों ने अपनी अद्भुत रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। लखनऊ की कवयित्री शशि श्रेया ने माँ सरस्वती वंदना पढ़कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद अंबेडकर नगर के ओज कवि अभय सिंह निर्भीक ने देशभक्ति से ओत-प्रोत अपनी कविता सुनाई। कवि सम्मेलन में गूंजे देशभक्ति के नारें मैनपुरी के हास्य कवि विनोद राजयोगी ने अपनी रचना "रोज किसी दुकान का ताला टूट रहा है" पेश की, जिससे ऑडिटोरियम तालियों से गूंज उठा। दिल्ली की कवयित्री शैलजा सिंह ने "यहीं कहीं पर खो गया कॉलेज वाला प्यार" पढ़कर दर्शकों की वाहवाही बटोरी। विख्यात गीतकार विष्णु सक्सेना ने अपनी रचनाओं से दिल छू लिया। उनकी कविताएँ "रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा" और "तू जो ख्वाबों में भी आ जाये तो मेला कर दे" ने सभी को भावुक कर दिया। रातभर चलता रहा काव्य उत्सव इस शानदार कवि सम्मेलन की अध्यक्षता बलिया के ओज कवि नंद जी नंदा ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी रायबरेली के ओज कवि डॉ. नीरज पांडेय 'शून्य' ने निभाई। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर एसीजेएम रोहित शाही, एडीएम अरुण कुमार सिंह, और एसडीएम आर जगत साईं जैसे कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया। देवा मेला में आयोजित यह कवि सम्मेलन साहित्य प्रेमियों के लिए एक अनमोल अनुभव रहा, जिसमें कविता, हास्य और देशभक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला।

Oct 25, 2024 - 09:45
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'रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा':बाराबंकी में विष्णु सक्सेना ने जमाया रंग, बोले- तू जो ख्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे
देवा मेला के ऑडिटोरियम में गुरुवार की रात एक भव्य अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस कवि सम्मेलन का संयोजन श्री राय स्वरेश्वर बली और सह-संयोजक डॉ. अम्बरीष अम्बर ने किया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए नामचीन कवियों ने अपनी अद्भुत रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। लखनऊ की कवयित्री शशि श्रेया ने माँ सरस्वती वंदना पढ़कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद अंबेडकर नगर के ओज कवि अभय सिंह निर्भीक ने देशभक्ति से ओत-प्रोत अपनी कविता सुनाई। कवि सम्मेलन में गूंजे देशभक्ति के नारें मैनपुरी के हास्य कवि विनोद राजयोगी ने अपनी रचना "रोज किसी दुकान का ताला टूट रहा है" पेश की, जिससे ऑडिटोरियम तालियों से गूंज उठा। दिल्ली की कवयित्री शैलजा सिंह ने "यहीं कहीं पर खो गया कॉलेज वाला प्यार" पढ़कर दर्शकों की वाहवाही बटोरी। विख्यात गीतकार विष्णु सक्सेना ने अपनी रचनाओं से दिल छू लिया। उनकी कविताएँ "रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा" और "तू जो ख्वाबों में भी आ जाये तो मेला कर दे" ने सभी को भावुक कर दिया। रातभर चलता रहा काव्य उत्सव इस शानदार कवि सम्मेलन की अध्यक्षता बलिया के ओज कवि नंद जी नंदा ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी रायबरेली के ओज कवि डॉ. नीरज पांडेय 'शून्य' ने निभाई। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर एसीजेएम रोहित शाही, एडीएम अरुण कुमार सिंह, और एसडीएम आर जगत साईं जैसे कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया। देवा मेला में आयोजित यह कवि सम्मेलन साहित्य प्रेमियों के लिए एक अनमोल अनुभव रहा, जिसमें कविता, हास्य और देशभक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला।

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