ललितपुर पुलिस ने 4 साइबर अपराधियों को किया गिरफ्तार:छात्रों को जाल में फंसाकर खुलवाते थे बैंक खाता
ललितपुर में ऑनलाइन खाता खोलकर उसमें पैसे जमा कराने के बाद बैंक खाते से रजिस्टर मोबाइल नंबर बदलकर लोगों के पैसे ठगने वाले 4 आरोपियों को कोतवाली पुलिस ने मंगलवार की शाम गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से 14 सिम कार्ड, एक स्कॉर्पियो कार के अलावा चार मोबाइल, नकदी बरामद किए गए है। मंगलवार की शाम 7 बजे पुलिस लाइन स्थित सभागार में ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा करते हुए सीओ सदर अभय नारायण राय ने बताया कि साइबर फ्रॉड करने वाले लोग स्कूली छात्र-छात्राओं को फंसाकर उनके ऑनलाइन खाते खुलवाकर बाद में खाते में रजिस्टर दर्ज मोबाइल नंबर को बदल देते थे। उन खातों को साइबर क्राइम करने वाले लोगों के बेच देते थे।यही नहीं खाते में आने वाले पैसों को निकाल लेते थे। फेडरल बैंक में खुलवाया ऑनलाइन खाता ऐसे ही गिरोह के खिलाफ बीते दिनों कोतवाली सदर क्षेत्र के एक युवक ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि कुछ महीने पहले उसके पास कोतवाली महरौनी अंतर्गत ग्राम छायन निवासी रितिक मिश्रा पुत्र सुनील कुमार, देवगढ़ रोड़ गांधीनगर निवासी अमन मिश्रा पुत्र रामकुमार मिश्रा, झांसी जिले के मेडिकल कॉलेज के गेट नंबर 2 करगुवां निवासी शिवम यादव पुत्र रविन्द्र यादव, अंकुश यादव पुत्र महेश यादव उसे मिले और उसका ऑनलाइन खाता फेडरल बैंक में खुलवाया था। खाता किट अपने पास मंगवा ली थी। इसके एवज में उसे पैसे का लालच दिया था। खाते में एक लाख रुपए का वैलिड ट्रांजेक्शन होगा। बाद में उन लोगों द्वारा उसके खाते से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदलकर अन्य नंबर डाल लिया था। खाते में साइबर क्राइम का पैसा डालवाते इसके बाद में उसे पता चला कि रितिक मिश्रा अपने साथियों के साथ मिलकर खाते खुलवाकर साइबर क्राइम का पैसा डालवाते है। पुलिस ने इस मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। इस गिरोह के सदस्यों को पकड़ने के लिए साइबर टीम, सर्विलांस टीम द्वारा आरोपियों को पकड़ने के लिए कई स्थानों पर लगे सीसीटीवी फुटेज देखे गए। रूट मेपिंग की गई, तब कहीं जाकर मंगलवार को कोतवाली सदर क्षेत्र के गोविंद सागर बांध के पास से आरोपियों को धर दबोचा है। खातों को बेचने के बदले में मिलता है रुपए पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि उनका एक संगठित गिरोह है। जिसमें वह भोले भाले लोगों को गुमराह कर लोन दिलवाने व अन्य लालच देकर खाता फेडरल बैंक में खुलवा देते है। उनके खातों में धोखाधड़ी कर उसमें अपना कम्युनिकेशन पता डाल देते है। जिससे खाते में आने-जाने वाले पैसे की जानकारी उन लोगों को हो जाती है। खाता धारक को कुछ भी पता नहीं चलता है और इन्हीं खातों के साइबर अपराधियों को बेच देते है। इन खातों को बेचने के बदले उन्हें काफी रुपए मिलता है। जिसे वह आपस में बांट लेते है।
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