वाराणसी के गंगा घाट पर छठ व्रतियों की भीड़:गंगा में खड़ी होकर महिलाएं सूर्योदय का कर रही है इंतजार, अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न होगा छठ-महापर्व
लोक आस्था के महापर्व पर शुक्रवार की सुबह गंगा तट पर व्रती महिलाओं और आस्थावानो का जनसैलाब उमड़ा। ढोल नगाड़े के साथ बैंड बाजे पर थिरकते हुए श्रद्धालु मां जाह्नवी के तट पर पहुंचे। व्रती महिलाए गंगा स्नान के पश्चात विधि विधान से पूजन कर रही है और सूर्योदय का इंतजार का रही है। शुक्रवार को सूर्य की पहली किरण के साथ ही अर्घ्य देने के पश्चात छठ का महापर्व संपन्न होगा। वाराणसी के गंगा तट पर श्रद्धालुओं के जनसैलाब की सुरक्षा में पुलिस के जवान तैनात है। सामने घाट से लेकर राजघाट तक छठी मैया की जय, भगवान भास्कर की जय और हर-हर महादेव के उद्घोष ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना हुआ हैं। व्रती महिलाओं का कहना है कि छठी मैया हम साल भर आपका इंतजार करेंगे... हम सभी को सुखी और निरोगी रखते हुए अपनी कृपा बनाए रखना...। सतयुग में राम-सीता ने रखा था महाव्रत घाट पुरोहित ने बताया कि इस महाव्रत को सबसे पहले सतयुग में श्रीराम-सीता ने किया । महाभारत काल में कुंती ने सूर्य की आराधना की। द्रौपदी ने भी छठ पूजा की थी। इस पर्व को मनाने के पीछे कई कारण और मान्यताएं हैं जैसे छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर के किनारे यह पूजा की जाती है। इन सब मान्यताओं के साथ लोगों का विश्वास भी है जो इस पर्व को और भी बड़ा बना देता है।
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