शारदा सिन्हा ने BHU में किया था कार्यक्रम:2018 में छठ गीत को सुनने पहुंचे थे हजारों छात्र, बाबा के चरणों में सुरों से हाजिरी लगाने की इच्छा थी
केलवा के पात पर... शारदा सिन्हा द्वारा गया यह छठ गीत हर साल देशभर में घाटों पर गूंजते हैं। व्रती महिलाएं भी घर से लेकर घाट तक उनके छठ गीत गुनगुनाती हैं। लेकिन, वह सोमवार को वेंटिलेटर पर गईं और मंगलवार को छठ के नहाय खाय की शाम छठी मइया ने उन्हें बुला लिया। शारदा सिन्हा ने निधन के तीन दिन पहले ही अपना अंतिम छठ एल्बम एम्स से ही रिलीज कराया था। वाराणसी से रहा है काफी लगाव शारदा सिन्हा का काशी से भी काफी ज्यादा लगाव था। उनके बेटे अंशुमान ने वाराणसी के राजघाट स्थित बसंत स्कूल से हुई थी। उसे दौरान उनका काशी आना-जाना काफी ज्यादा था। इसके अलावा वह कई काशी आई उन्होंने यहां पर कई कार्यक्रमों में भी हिस्सा भी लिया। जानकार बताते हैं कि शारदा सिन्हा गंगा महोत्सव में भी एक बार कार्यक्रम की थी। बीएचयू के पंडित ओंकार नाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में गाया था छठ गीत शारदा सिन्हा को काशी के कार्यक्रम का बुलावा आता था वो खुद को रोक नहीं पाती थीं। साल 2018 के अक्तूबर माह की पांच तारीख को बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय में लोककला और संस्कृति के संवर्द्धन को लेकर तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन शारदा सिन्हा पहुंची और उनको सुनने श्रोताओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। शारदा सिन्हा ने बीएचयू के पंडित ओंकार नाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में अपनी गायिकी से सबको सराबोर कर दिया था। उन्होंने काशी को प्रणाम भी किया था और छठ माता का गीत गुनगुनाया था। बीएचयू में युवाओं से बोली थीं बीएचयू में कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि भोजपुरी समाज बहुत समृद्ध है। परम्पराओं व बोलियों का बदलता स्वरूप चिंता का विषय है। कहा कि लोक संस्कृति के मूल संग खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आर्थिक स्वार्थ के लिए फूहड़ सामग्री परोसने वाली कंपनियों को प्रतिबंधित करना चाहिए। उन्होंने वहां मौजूद युवा कलाकारों को नसीहत देते हुए कहा था कि युवा धैर्य रखें, जल्द प्रसिद्धि पाने के चक्कर में कुछ भी समाज को ना परोसें। काशी विश्वनाथ मंदिर में गीत गाने की थी अंतिम इच्छा शारदा सिन्हा ने राममंदिर उद्घाटन के समय काशी आने की इच्छा जताते हुए बाबा विश्वनाथ के आंगन में एक गीत प्रस्तुत करनी की इच्छा जताई थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि मुझे तो काशी जाकर बाबा के चरणों में सुरों से हाजिरी लगानी है।
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