श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई:नई बेंच में दोनों पक्ष पेश करेंगे अपनी दलीलें, मुस्लिम पक्ष को दाखिल करना है हलफनामा

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई तीन घंटे तक चली थी। तब चूंकि यह अहम मामला हाईकोर्ट की नई बेंच को चला गया, ऐसे में कोर्ट ने दोनों पक्षों की बातें सुनीं थीं। अब इस केस की सुनवाई जस्टिस न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र करने लगे हैं। इस केस की सुनवाई इससे पहले न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे थे, जिनके सेवा अवकाश के कारण नई एकल पीठ गठित की गई । अब नई बेंच सुनवाई कर रही है। 19 नवंबर को हुई सुनवाई में बेंच ने दोनों पक्षों की बातें सुनीं थीं। केस के पहलुओं पर चर्चा की थी। उससे पहले 23 अक्टूबर को सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी खारिज कर दी थी। यह फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने सुनाया था। अब कोर्ट सभी 15 याचिकाएं एक साथ सुनेगा। हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े 15 मामलों को एक साथ सुनवाई करने का फैसला दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर कर हिंदू पक्ष की याचिकाओं को अलग-अलग सुनने के लिए अर्जी दाखिल की थी। 16 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। मुस्लिम पक्ष ने कहा था- मामला उलझाया जा रहा 16 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे से हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई जो 3.30 बजे तक चली। मुस्लिम पक्ष ने कहा- ये वाद सुनवाई योग्य नहीं हैं। सभी मुकदमों की अलग-अलग सुनवाई की जाए। इस पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि पक्ष की तरफ से कहा गया कि मामला उलझाया जा रहा है। हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। एक अगस्त को हाईकोर्ट का आदेश- 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगीश्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एक अगस्त को मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस मयंक कुमार जैन ने कहा- हिंदू पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी। हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिकाओं में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया मस्जिद नहीं है। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि का गर्भगृह है। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1968 में हुए समझौते के तहत मस्जिद के लिए जगह दी गई थी। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई लायक नहीं हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुस्लिम पक्ष की इस दलील को स्वीकार नहीं किया। 2020 में रंजना अग्निहोत्री ने 6 अन्य लोगों के साथ मिलकर याचिका डाली25 सितंबर, 2020 को लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री ने 6 अन्य लोगों के साथ मिलकर सिविल कोर्ट में एक याचिका डाली थी। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद को मंदिर परिसर से हटाने की मांग की गई थी। रंजना ने श्रीराम जन्मभूमि पर भी एक किताब लिखी है। उन्होंने श्रीकृष्ण विराजमान के परिजन की ओर से यह मुकदमा करने का दावा किया था। याचिकाकर्ताओं में से एक महेंद्र सिंह ने अपने तर्क में कहा कि जिस मूल कारागार, यानी जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, वह ईदगाह मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी की ओर से बनाए गए कंस्ट्रक्शन के नीचे है। उनका कहना है कि खुदाई के बाद कोर्ट के सामने सही तथ्य आ सकेंगे। 5 दिन बाद ही याचिका खारिज हुई30 सितंबर 2020 को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज छाया शर्मा ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भगवान श्रीकृष्ण के पूरी दुनिया में असंख्य भक्त हैं। अगर हर भक्त की याचिका पर सुनवाई की इजाजत देंगे तो न्यायिक और सामाजिक व्यवस्था चरमरा जाएगी। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता न तो पक्षकार है और न ही ट्रस्टी, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। बिना देर किए 30 सितंबर को ही इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने सभी मामले अपने पास ट्रांसफर करा लिए अभी लोअर कोर्ट में मामले की सुनवाई चल ही रही थी कि 26 मई 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा विवाद से जुड़े सभी मामले अपने पास ट्रांसफर करा लिए। 4 महीने तक अलग-अलग मौकों पर हुई सुनवाई के बाद 16 नवंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया गया। 14 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट ने ईदगाह का सर्वे कराने की अनुमति दी। अगले ही दिन 15 दिसंबर को मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्वे की इजाजत दे दी।

Nov 28, 2024 - 10:50
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई:नई बेंच में दोनों पक्ष पेश करेंगे अपनी दलीलें, मुस्लिम पक्ष को दाखिल करना है हलफनामा
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई तीन घंटे तक चली थी। तब चूंकि यह अहम मामला हाईकोर्ट की नई बेंच को चला गया, ऐसे में कोर्ट ने दोनों पक्षों की बातें सुनीं थीं। अब इस केस की सुनवाई जस्टिस न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र करने लगे हैं। इस केस की सुनवाई इससे पहले न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे थे, जिनके सेवा अवकाश के कारण नई एकल पीठ गठित की गई । अब नई बेंच सुनवाई कर रही है। 19 नवंबर को हुई सुनवाई में बेंच ने दोनों पक्षों की बातें सुनीं थीं। केस के पहलुओं पर चर्चा की थी। उससे पहले 23 अक्टूबर को सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी खारिज कर दी थी। यह फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने सुनाया था। अब कोर्ट सभी 15 याचिकाएं एक साथ सुनेगा। हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े 15 मामलों को एक साथ सुनवाई करने का फैसला दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर कर हिंदू पक्ष की याचिकाओं को अलग-अलग सुनने के लिए अर्जी दाखिल की थी। 16 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। मुस्लिम पक्ष ने कहा था- मामला उलझाया जा रहा 16 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे से हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई जो 3.30 बजे तक चली। मुस्लिम पक्ष ने कहा- ये वाद सुनवाई योग्य नहीं हैं। सभी मुकदमों की अलग-अलग सुनवाई की जाए। इस पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि पक्ष की तरफ से कहा गया कि मामला उलझाया जा रहा है। हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। एक अगस्त को हाईकोर्ट का आदेश- 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगीश्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एक अगस्त को मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस मयंक कुमार जैन ने कहा- हिंदू पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी। हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिकाओं में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया मस्जिद नहीं है। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि का गर्भगृह है। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1968 में हुए समझौते के तहत मस्जिद के लिए जगह दी गई थी। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई लायक नहीं हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुस्लिम पक्ष की इस दलील को स्वीकार नहीं किया। 2020 में रंजना अग्निहोत्री ने 6 अन्य लोगों के साथ मिलकर याचिका डाली25 सितंबर, 2020 को लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री ने 6 अन्य लोगों के साथ मिलकर सिविल कोर्ट में एक याचिका डाली थी। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद को मंदिर परिसर से हटाने की मांग की गई थी। रंजना ने श्रीराम जन्मभूमि पर भी एक किताब लिखी है। उन्होंने श्रीकृष्ण विराजमान के परिजन की ओर से यह मुकदमा करने का दावा किया था। याचिकाकर्ताओं में से एक महेंद्र सिंह ने अपने तर्क में कहा कि जिस मूल कारागार, यानी जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, वह ईदगाह मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी की ओर से बनाए गए कंस्ट्रक्शन के नीचे है। उनका कहना है कि खुदाई के बाद कोर्ट के सामने सही तथ्य आ सकेंगे। 5 दिन बाद ही याचिका खारिज हुई30 सितंबर 2020 को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज छाया शर्मा ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भगवान श्रीकृष्ण के पूरी दुनिया में असंख्य भक्त हैं। अगर हर भक्त की याचिका पर सुनवाई की इजाजत देंगे तो न्यायिक और सामाजिक व्यवस्था चरमरा जाएगी। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता न तो पक्षकार है और न ही ट्रस्टी, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। बिना देर किए 30 सितंबर को ही इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने सभी मामले अपने पास ट्रांसफर करा लिए अभी लोअर कोर्ट में मामले की सुनवाई चल ही रही थी कि 26 मई 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा विवाद से जुड़े सभी मामले अपने पास ट्रांसफर करा लिए। 4 महीने तक अलग-अलग मौकों पर हुई सुनवाई के बाद 16 नवंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया गया। 14 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट ने ईदगाह का सर्वे कराने की अनुमति दी। अगले ही दिन 15 दिसंबर को मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्वे की इजाजत दे दी।

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