संस्कृत विद्यालय में नसीरुद्दीन की पदोन्नति, बंगाल की छात्राओं को मिलेगी छात्रवृत्ति, CM ने SIT जांच के आदेश दिए
रैबार डेस्क: क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि केदार की धरती रुद्रप्रयाग में संस्कृत... The post संस्कृत विद्यालय का संचालक बना नसीरुद्दीन, बंगाल की छात्राओं को एडमिशन और स्कॉलरशिप, CM ने दिए घोटाले की SIT जांच के आदेश appeared first on Uttarakhand Raibar.

संस्कृत विद्यालय में नसीरुद्दीन की पदोन्नति, बंगाल की छात्राओं को मिलेगी छात्रवृत्ति, CM ने SIT जांच के आदेश दिए
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में संस्कृत विद्यालय का संचालक नसीरुद्दीन को बनाया गया है, और इस विद्यालय में पश्चिम बंगाल की छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं। हाल ही में सामने आया छात्रवृत्ति घोटाला, जिसने विशेष रूप से अल्पसंख्यक छात्राओं को प्रभावित किया है, जिसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने SIT जांच के आदेश दिए हैं।
घोटाले का परिचय
उत्तराखंड में एक अनोखा छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है, जिसमें सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल और अन्य संस्कृत विद्यालयों को 'मदरसा' के रूप में स्थापित किया गया है। यह सब तब हुआ जब छात्रवृत्ति के लिए आवेदनों में छात्राओं का रिकॉर्ड बंगाल, बिहार और झारखंड के पते के साथ दर्ज किया गया। यह छात्रवृत्ति योजना केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाती है, जो माइनॉरिटी के छात्रों को कक्षा एक से 10वीं तक शैक्षणिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
घोटाले से पर्दा उठाने वाली तहकीकात
ऊधम सिंह नगर जिले में वित्तीय वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के दौरान राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति आवेदकों की दस्तावेजों की जांच की गई। उधम सिंह नगर जिले के 796 बच्चों के दस्तावेजों में से 456 बच्चों का रिकॉर्ड संदिग्ध पाया गया। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, किच्छा भी शामिल है, जिसका संचालक मोहम्मद शारिक-अतीक बताया गया है।
एसआईटी जांच की पहल
जैसे ही यह मामला उजागर हुआ, मुख्यमंत्री धामी ने इस बात पर संज्ञान लिया कि राज्य में छात्रवृत्ति योजना में किसी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आदेश दिया कि दोषियों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएं और एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए।
स्कूलों का निष्कर्ष
बसुकेदार संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य के अनुसार, इस मामले के सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने जांच की थी, लेकिन कोई भी अनियमितता नहीं मिली। उन्होंने कहा कि यह साजिश केवल छात्रों और विद्यालय के साथ नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की जनता के साथ खिलवाड़ है।
मामले का अंतर्राष्ट्रीय पहलू
इस घोटाले ने न केवल उत्तराखंड में शिक्षा प्रणाली को प्रभावित किया है, बल्कि इससे यह सवाल उठता है कि क्या शिक्षा संस्थानों को पब्लिक फंडिंग का लाभ उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए। सत्यान्वेषी पदों का गठन इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शिक्षा का लाभ वास्तव में उन जरूरतमंद विद्यार्थियों को मिले।
ये घटनाएं हमें शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता की आवश्यकता की याद दिलाती हैं। राज्य सरकार को त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए ताकि इस प्रकार के घोटाले पुनः न हों और शिक्षा का अधिकार काबिज किया जा सके।
इस मामले में और जानकारी के लिए आप [India Twoday](https://indiatwoday.com) पर जा सकते हैं।
सॉरी, यह हमारी शिक्षा प्रणाली के लिए एक शर्मनाक क्षण है। हमें इसे सही दिशा में ले जाने की आवश्यकता है।
सादर, टीम इंडिया टुडे
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