सर्दी नहीं पड़ने से प्रभावित हो सकती हैं फसलें, इसलिए बुवाई से डर रहे किसान

भास्कर न्यूज | इटावा नवंबर माह की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन मौसम में अभी तक ठंडक न घुलने के कारण रबी सीजन में भी किसानों को मौसम का साथ नहीं मिल पा रहा है। किसानों द्वारा फसलों की बुवाई नहीं की जा रही है। किसान बोवनी से बच रहे हैं, क्योंकि किसान मानते हैं कि यदि कमजोर ठंड की स्थिति में बोवनी होगी तो फसल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। हालांकि खरीफ सीजन में पर्याप्त बारिश भी हुई थी, फिर भी सोयाबीन, धान सहित अन्य फसलों में नुकसान हुआ है। उसको लेकर भी आगामी फसलों को लेकर किसान संशय में है। किसान जुगल नागर बताया कि किसानों ने खेत तैयार कर बोवनी की तैयारी तो कर ली, लेकिन फिलहाल बुवाई नहीं चाहते क्योंकि मौसम को लेकर स्थिति अनुकूल दिखाई नहीं दे रही है। किसानों को नवंबर माह के शुरू में ही ठंड बढ़ने के आसार थे। हालांकि ठंड तो नहीं बढ़ी, लेकिन गर्मी जरूर अपने तेवर दिखा रही है। ऐसे में किसान फिलहाल गेहूं की बुआई से पीछे हट रहे हैं। अभी मौसम में बदलाव का इंतजार का बना हुआ है। लेकिन सरसों, चने की बुआई जारी हैं, जो एक सप्ताह तक और चलेगी। ऐसे में एक सप्ताह के भीतर ठंड नहीं बढ़ी तो सरसों की ग्रोथ में भी रुकावट लग सकती है। इटावा क्षेत्र में अक्टूबर से अब तक गर्मी पड़ रही है, हालात यह हैं कि अब तक दिन का पारा 28 डिग्री से नीचे नहीं आया है। जिससे यह फसलों की बुवाई के अनुरूप तापमान नहीं है। मौसम के कारण किसानों की चिंता लगातार बढ़ी हुई है। तापमान कम नहीं होने से रबी सीजन की अक्टूबर माह में बुआई वाली सरसों, चने की फसलें प्रभावित होने लगी हैं। किसानों ने बताया ठंड नहीं बढ़ने से फसलों की बढ़ोतरी नहीं होगी और फसलों में कीट लगने की संभावना बनी हुई हैं, कुछ किसानों ने पहले बुआई कर दी, ऐसे में अनुकूल तापमान नहीं मिलने के चलते खेतों में सरसों की फसल को नुकसान हुआ है वहीं कई किसानों ने दोबारा सरसों की बुआई करनी पड़ रही है। मौसम का मिजाज ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में फसलों को नुकसान होगा। किसानों ने बताया कि दिन में लगातार तापमान का एक जैसा बने रहने से सरसों का सही तरीके से ग्रोथ नहीं होगी,साथ ही जमीन भी पानी को अधिक समय तक सहेज कर नहीं रख सकती। इसके चलते सरसों की फसल में पानी की अधिक आवश्यकता होगी। हालांकि रात के समय मौसम में हल्की ठंडक भी महसूस की जा रही है। किसानों को उम्मीद है कि जल्दी ही ठंड का असर बढ़े, क्योंकि जितनी अच्छी ठंड होगी, उतनी अच्छी फसल होगी। सहायक कृषि अधिकारी लेखराज मीणा ने बताया कि इटावा क्षेत्र में 61423 हेक्टर कृषि भूमि में फसलों की बुवाई होगी। क्षेत्र के किसान बीज व भूमि उपचार करके ही फसल बुआई का काम करें। इससे फसल में उनको फायदा हो सकेगा। मौसम अनुकूल होने पर ही बुवाई से ज्यादा फायदा सामान्य से अधिक तापमान रहने के कारण फसल की शुरुआत अवस्था में कीट व्याधि आने की संभावना बन सकती है। इसलिए फसलों की सतत निगरानी करते रहे। उन्होंने बताया कि अभी थोड़ी गर्मी है, इससे अक्टूबर माह से बुआई वाली फसलें जरूर प्रभावित हुई है, मौसम अनुकूल होने पर ही किसान फसलों की बुवाई करे। किसान को अगर डीएपी नहीं मिले तो एनपीके खाद खेत में डाल सकते है। इटावा सहित क्षेत्र में करीब पिछले एक पखवाड़े से पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद नहीं मिलने से किसान खाद के लिए चक्कर लगाने और भटकने को मजबूर हैं। डीएपी खाद के लिए किसान निजी डीलरों के चक्कर लगा रहे है। वही सहकारी संस्थाओं में भी उपलब्ध नहीं होने के कारण किसान आगामी अपनी फसलों की बुवाई को लेकर चिंतित है। डीएपी खाद को लेकर किसान इस बार बेहद परेशान है और खाद के जुगाड़ के लिए सुबह से किसान घर से निकलते हैं लेकिन शाम तक भी खाद नहीं मिलने की सूचना पर निराश होकर वापस लौट जाते है। इटावा मार्केटिंग सोसाइटी ओर ग्राम सेवा सहकारियों में पिछले एक पखवाड़े में पर्याप्त डीएपी खाद नहीं आया जिससे किसानों का सब्र टूटता जा रहा है। किसान निराश और परेशान हैं। इटावा. क्षेत्र में किसानों ने फसलों की बुवाई के लिए तैयार किए खेत ।

Nov 5, 2024 - 04:35
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सर्दी नहीं पड़ने से प्रभावित हो सकती हैं फसलें, इसलिए बुवाई से डर रहे किसान
भास्कर न्यूज | इटावा नवंबर माह की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन मौसम में अभी तक ठंडक न घुलने के कारण रबी सीजन में भी किसानों को मौसम का साथ नहीं मिल पा रहा है। किसानों द्वारा फसलों की बुवाई नहीं की जा रही है। किसान बोवनी से बच रहे हैं, क्योंकि किसान मानते हैं कि यदि कमजोर ठंड की स्थिति में बोवनी होगी तो फसल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। हालांकि खरीफ सीजन में पर्याप्त बारिश भी हुई थी, फिर भी सोयाबीन, धान सहित अन्य फसलों में नुकसान हुआ है। उसको लेकर भी आगामी फसलों को लेकर किसान संशय में है। किसान जुगल नागर बताया कि किसानों ने खेत तैयार कर बोवनी की तैयारी तो कर ली, लेकिन फिलहाल बुवाई नहीं चाहते क्योंकि मौसम को लेकर स्थिति अनुकूल दिखाई नहीं दे रही है। किसानों को नवंबर माह के शुरू में ही ठंड बढ़ने के आसार थे। हालांकि ठंड तो नहीं बढ़ी, लेकिन गर्मी जरूर अपने तेवर दिखा रही है। ऐसे में किसान फिलहाल गेहूं की बुआई से पीछे हट रहे हैं। अभी मौसम में बदलाव का इंतजार का बना हुआ है। लेकिन सरसों, चने की बुआई जारी हैं, जो एक सप्ताह तक और चलेगी। ऐसे में एक सप्ताह के भीतर ठंड नहीं बढ़ी तो सरसों की ग्रोथ में भी रुकावट लग सकती है। इटावा क्षेत्र में अक्टूबर से अब तक गर्मी पड़ रही है, हालात यह हैं कि अब तक दिन का पारा 28 डिग्री से नीचे नहीं आया है। जिससे यह फसलों की बुवाई के अनुरूप तापमान नहीं है। मौसम के कारण किसानों की चिंता लगातार बढ़ी हुई है। तापमान कम नहीं होने से रबी सीजन की अक्टूबर माह में बुआई वाली सरसों, चने की फसलें प्रभावित होने लगी हैं। किसानों ने बताया ठंड नहीं बढ़ने से फसलों की बढ़ोतरी नहीं होगी और फसलों में कीट लगने की संभावना बनी हुई हैं, कुछ किसानों ने पहले बुआई कर दी, ऐसे में अनुकूल तापमान नहीं मिलने के चलते खेतों में सरसों की फसल को नुकसान हुआ है वहीं कई किसानों ने दोबारा सरसों की बुआई करनी पड़ रही है। मौसम का मिजाज ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में फसलों को नुकसान होगा। किसानों ने बताया कि दिन में लगातार तापमान का एक जैसा बने रहने से सरसों का सही तरीके से ग्रोथ नहीं होगी,साथ ही जमीन भी पानी को अधिक समय तक सहेज कर नहीं रख सकती। इसके चलते सरसों की फसल में पानी की अधिक आवश्यकता होगी। हालांकि रात के समय मौसम में हल्की ठंडक भी महसूस की जा रही है। किसानों को उम्मीद है कि जल्दी ही ठंड का असर बढ़े, क्योंकि जितनी अच्छी ठंड होगी, उतनी अच्छी फसल होगी। सहायक कृषि अधिकारी लेखराज मीणा ने बताया कि इटावा क्षेत्र में 61423 हेक्टर कृषि भूमि में फसलों की बुवाई होगी। क्षेत्र के किसान बीज व भूमि उपचार करके ही फसल बुआई का काम करें। इससे फसल में उनको फायदा हो सकेगा। मौसम अनुकूल होने पर ही बुवाई से ज्यादा फायदा सामान्य से अधिक तापमान रहने के कारण फसल की शुरुआत अवस्था में कीट व्याधि आने की संभावना बन सकती है। इसलिए फसलों की सतत निगरानी करते रहे। उन्होंने बताया कि अभी थोड़ी गर्मी है, इससे अक्टूबर माह से बुआई वाली फसलें जरूर प्रभावित हुई है, मौसम अनुकूल होने पर ही किसान फसलों की बुवाई करे। किसान को अगर डीएपी नहीं मिले तो एनपीके खाद खेत में डाल सकते है। इटावा सहित क्षेत्र में करीब पिछले एक पखवाड़े से पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद नहीं मिलने से किसान खाद के लिए चक्कर लगाने और भटकने को मजबूर हैं। डीएपी खाद के लिए किसान निजी डीलरों के चक्कर लगा रहे है। वही सहकारी संस्थाओं में भी उपलब्ध नहीं होने के कारण किसान आगामी अपनी फसलों की बुवाई को लेकर चिंतित है। डीएपी खाद को लेकर किसान इस बार बेहद परेशान है और खाद के जुगाड़ के लिए सुबह से किसान घर से निकलते हैं लेकिन शाम तक भी खाद नहीं मिलने की सूचना पर निराश होकर वापस लौट जाते है। इटावा मार्केटिंग सोसाइटी ओर ग्राम सेवा सहकारियों में पिछले एक पखवाड़े में पर्याप्त डीएपी खाद नहीं आया जिससे किसानों का सब्र टूटता जा रहा है। किसान निराश और परेशान हैं। इटावा. क्षेत्र में किसानों ने फसलों की बुवाई के लिए तैयार किए खेत ।

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