सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक को नोटिस भेजा:केस जम्मू से नई दिल्ली ट्रांसफर करने से जुड़ा; सरकार बोली- फिजिकल पेशी की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक से जुड़े मामले की सुनवाई की। मामला जम्मू से नई दिल्ली केस ट्रांसफर करने से जुड़ा है। यह याचिका CBI ने लगाई थी। जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मलिक और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया और उन्हें 18 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि अपहरण मामले में मलिक को ट्रायल के लिए जम्मू कोर्ट में फिजिकल पेशी की जरूरत नहीं है क्योंकि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा वाली कोर्ट है। इससे पहले 21 नवंबर को पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था- आतंकी अजमल कसाब को फेयर ट्रायल मिल सकता है, तो यासीन मलिक को क्यों नहीं। इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी। 21 नवंबर को पिछली सुनवाई में 3 बड़ी बातें... सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सुनवाई के लिए जेल में ही बने स्पेशल बेंच 21 नवंबर की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि मलिक को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है। पीठ ने इस बात पर सहमति जताई कि सुनवाई के लिए जेल में ही कोर्ट बनाया जा सकता है। इसके बाद पीठ ने केंद्र से पूछा कि कितने गवाह पेश होंगे और उनकी सुरक्षा व्यवस्था क्या होगी। पीठ ने कहा, हमें यह देखना होगा कि जज को सिर्फ़ इसी कोर्ट के लिए जेल में कैसे तैनात किया जाएगा। क्या था मामला? यह मामला 1990 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या और 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा है। दोनों मामलों में यासीन मलिक मुख्य आरोपी है। ...................... यासीन मलिक से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें.... CBI कोर्ट में गवाह ने यासीन मलिक को पहचाना:कहा- मलिक ने ही वायुसेना के 4 जवानों पर गोली चलाई थी, 40 नागरिक भी घायल हुए थे JKLF प्रमुख यासीन मलिक ने बंदूक निकाली और भारतीय वायुसेना के जवानों पर गोलियां चला दीं... यह बात स्पेशल CBI कोर्ट को उस चश्मदीद ने बताईं जो 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में हुए आतंकी हमले के वक्त मौजूद था। ये गवाह पूर्व IAF कॉर्पोरल राजवार उमेश्वर सिंह हैं, जो उस आतंकी हमले में बच गए थे। पूरी खबर पढ़ें…

Nov 28, 2024 - 14:05
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सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक को नोटिस भेजा:केस जम्मू से नई दिल्ली ट्रांसफर करने से जुड़ा; सरकार बोली- फिजिकल पेशी की जरूरत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक से जुड़े मामले की सुनवाई की। मामला जम्मू से नई दिल्ली केस ट्रांसफर करने से जुड़ा है। यह याचिका CBI ने लगाई थी। जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मलिक और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया और उन्हें 18 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि अपहरण मामले में मलिक को ट्रायल के लिए जम्मू कोर्ट में फिजिकल पेशी की जरूरत नहीं है क्योंकि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा वाली कोर्ट है। इससे पहले 21 नवंबर को पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था- आतंकी अजमल कसाब को फेयर ट्रायल मिल सकता है, तो यासीन मलिक को क्यों नहीं। इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी। 21 नवंबर को पिछली सुनवाई में 3 बड़ी बातें... सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सुनवाई के लिए जेल में ही बने स्पेशल बेंच 21 नवंबर की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि मलिक को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है। पीठ ने इस बात पर सहमति जताई कि सुनवाई के लिए जेल में ही कोर्ट बनाया जा सकता है। इसके बाद पीठ ने केंद्र से पूछा कि कितने गवाह पेश होंगे और उनकी सुरक्षा व्यवस्था क्या होगी। पीठ ने कहा, हमें यह देखना होगा कि जज को सिर्फ़ इसी कोर्ट के लिए जेल में कैसे तैनात किया जाएगा। क्या था मामला? यह मामला 1990 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या और 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा है। दोनों मामलों में यासीन मलिक मुख्य आरोपी है। ...................... यासीन मलिक से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें.... CBI कोर्ट में गवाह ने यासीन मलिक को पहचाना:कहा- मलिक ने ही वायुसेना के 4 जवानों पर गोली चलाई थी, 40 नागरिक भी घायल हुए थे JKLF प्रमुख यासीन मलिक ने बंदूक निकाली और भारतीय वायुसेना के जवानों पर गोलियां चला दीं... यह बात स्पेशल CBI कोर्ट को उस चश्मदीद ने बताईं जो 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में हुए आतंकी हमले के वक्त मौजूद था। ये गवाह पूर्व IAF कॉर्पोरल राजवार उमेश्वर सिंह हैं, जो उस आतंकी हमले में बच गए थे। पूरी खबर पढ़ें…

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