स्टारलिंक की भारत में एंट्री लगभग तय:सिंधिया बोले- डेटा सिक्योरिटी रूल्स मानो तो लाइसेंस मिलेगा, नियमों पर कंपनी पहले से सहमत
इलॉन मस्क की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनी स्टारलिंक जल्द ही भारत में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करना शुरू कर सकती है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कहा कि हम किसी भी कंपनी को लाइसेंस देने के लिए तैयार हैं। सिंधिया ने कहा, 'स्टारलिंक हो या कोई अन्य कंपनी सभी को हमारे सिक्योरिटी और अन्य नियमों को मानने के लिए तैयार रहना होगा। लाइसेंस देना एक स्पेसिफिक प्रोसेस है, आपको सभी बॉक्स चेक करने होंगे। जब आप सभी बॉक्स चेक करते हैं, तो आपको लाइसेंस मिल जाता है।' भारत सरकार के नियमों को मानने के लिए तैयार है स्टारलिंक एक दिन पहले खबर आई थी कि टेलीकॉम डिपार्टमेंट के साथ मीटिंग में स्टारलिंक ने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज लाइसेंस के लिए डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी से जुड़े नियमों को मानने के लिए तैयार हो गई है। हालांकि कंपनी की ओर से इसके लिए अभी एग्रीमेंट दाखिल नहीं किया गया है। ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट सर्विसेज (GMPCS) लाइसेंस, सैटेलाइट इंटरनेट के सेटअप की दिशा में पहला कदम है। जिसके बाद मामूली ऐप्लिकेशन फीस देकर टेस्टिंग के लिए स्पेक्ट्रम हासिल किया जा सकता है। सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी को पूरा डेटा देश में रखना अनिवार्य सिक्योरिटी से जुड़े नियमों के मुताबिक देश में काम कर रही सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी को पूरा डेटा देश के भीतर रखना अनिवार्य है। स्टारलिंक को भी यह बताने की जरूरत पड़ सकती है कि अगर इंटेलिजेंस एजेंसियों को जरूरत पड़ी तो उन्हें डेटा कैसे मिलेगा। स्टारलिंक ने अक्टूबर 2022 में लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था स्टारलिंक ने अक्टूबर 2022 में इस लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। इसके बाद कंपनी ने स्पेस रेगुलेटर, इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) से भी मंजूरी के लिए अप्लाई किया था। IN-SPACe के पास जो ऐप्लीकेशन है, वह भी आगे बढ़ चुका है, लेकिन फाइनल अप्रूवल के लिए एडिशनल डीटेल्स मांगी गई है। भारत सरकार प्राइसिंग और स्पेक्ट्रम एलोकेशन के रूल्स तय करेगी भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज तब शुरू होंगी, जब सरकार प्राइसिंग और स्पेक्ट्रम एलोकेशन के रूल्स तय करेगी। यह प्रोसेस तभी शुरू हो सकती है, जब टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) अपनी सिफारिशें जारी करेगा, जिसके दिसंबर के आखिरी तक आने की उम्मीद है। भारतीय कंपनियों का स्टारलिंक जैसी ग्लोबल कंपनियों से मुकाबला होगा सैटेलाइट सर्विसेज सेक्टर में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया जैसी भारत की कंपनियों की अमेजन के मालिक जेफ बेजोस की कुइपर और मस्क की स्टारलिंक जैसी ग्लोबल कंपनियों से भिड़ंत होगी। पिछले सप्ताह एक ओपन हाउस सेशन में तीनों भारतीय कंपनियों के रिप्रेजेंटेटिव ने कहा था कि शहरी या रिटेल कंज्यूमर्स को सैटेलाइट से जुड़ी सर्विसेज देने के लिए सिर्फ नीलामी वाले सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ही इस्तेमाल होना चाहिए। वहीं स्टारलिंक ने इस मांग को लेकर कहा था कि टेलीकॉम/जमीनी सेवाएं और सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस सैद्धांतिक रूप से अलग हैं, तो इनकी तुलना नहीं की जानी चाहिए। स्पेक्ट्रम नीलामी की बजाय प्रशासनिक तौर पर एलोकेट किया जाना चाहिए स्टारलिंक इंडिया के डायरेक्टर पर्निल उर्ध्वरेशे ने कहा था कि अगर टेलीकॉम कंपनियों के बीच 5G मोबाइल स्पेक्ट्रम साझा किया जाता है, तो इसे नीलामी की बजाय प्रशासनिक तौर पर एलोकेट किया जाना चाहिए। IN-SPACe का अनुमान है कि देश की स्पेस इकोनॉमी 2033 तक बढ़कर 4,400 करोड़ डॉलर की हो सकती है और इसकी ग्लोबल मार्केट में हिस्सेदारी अभी के करीब 2% से बढ़कर 8% के करीब हो सकती है। सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट? ------------------------------------------------------- स्टारलिंक से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज देगी स्टारलिंक: नीलामी के जरिए स्पैक्ट्रम नहीं देगी सरकार, रिलायंस-एयरटेल ने इसकी मांग की थी; मस्क ने विरोध किया था सरकार ने सैटेलाइट कम्युनिकेशन (सैटकॉम) स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक रूप से आवंटित करने का फैसला किया है। इससे पहले रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी और एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने सरकार से स्पेक्ट्रम का एलोकेशन नीलामी के जरिए करने की बात कही थी। सरकार के इस फैसले पर स्टारलिंक और स्पेसएक्स के मालिक इलॉन मस्क ने भारत में सैटेलाइड ब्रॉडबैंड सर्विस देने का वादा किया है। उन्होंने अपने X पोस्ट में इस बात की जानकारी दी। इससे पहले मस्क ने दोनों भारतीय बिजनेसमैन के सलाह पर आपत्ति जताई थी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें....
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