हरदोई के झाड़ी शाह मेले में ऑल इंडिया मुशायरा सम्पन्न:पूर्व कैबिनेट मंत्री अब्दुल ने किया आगाज, देर रात तक चला आयोजन

हरदोई के संडीला शहर में चल रहे प्रसिद्ध झाड़ी शाह मेले के दूसरे दिन गुरुवार रात ऑल इंडिया मुशायरे का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर से आए शायरों ने अपनी शानदार शायरी से समां बांध दिया। मुशायरे की अध्यक्षता मशहूर शायर अज्म शाकिरी ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी नदीम फर्रुख ने निभाई। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व काबीना मंत्री अब्दुल मन्नान ने किया, जिन्होंने शमा रोशन कर मुशायरे की शुरुआत की और शायरों को हौसला अफजाई की। इस मौके पर सबसे पहले नातिया कलाम पेश किया गया। मुशायरे में शायरों ने अपने दिल को छूने वाले कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मेराज बिजनौरी ने कहा, "मोहब्बत से रहो तुम भी और मोहब्बत से रहे हम भी, जरा सी जिंदगी है दुश्मनी अच्छी नहीं लगती"। उनकी यह पंक्तियां श्रोताओं के बीच जमकर हिट हुईं। वहीं, अब्दुल्लाह मिन्हाज ने "गैर तो गैर है, गैरों से कोई बात नहीं, काम वह भी नहीं आता है जो मेरा है यहां" के माध्यम से अपनी बात रखी। नदीम फर्रुख ने शेर सुनाया, "मुझको इंसान ही रहने दो फरिश्ता ना बना, इतनी तारीफ भी मत कर कि मैं पत्थर हो जाऊं", जो श्रोताओं में गूंज उठा। गाजीपुर से आए शायर राशिद ने भी अपनी शायरी से तालियां बटोरी। हिमांशी बाबरा ने अपनी नज्म "तेरी दस्तक की आस रहती है जब तबीयत उदास रहती है" के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त किया, और इल्मा हाशमी के शेर "ऐसे वह जाने लगा मुझको दिलासा देकर, जैसे बच्चे को कोई जाए खिलौना देकर" ने भी खूब सराहना बटोरी। इसके अलावा, नईम आफताब, उस्मान मीनाइ, कामिल, अमान, जुनैद, शाहिद, आसिम काकोरवी, दावर रजा आदि ने भी अपना बेहतरीन कलाम प्रस्तुत किया। हिंदुस्तान के मशहूर शायरों के कलाम को सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग देर रात तक मौजूद रहे। इस शानदार आयोजन के लिए मेला अध्यक्ष सूफी शाहनवाज का धन्यवाद व्यक्त किया गया। मुशायरे के समापन पर मुशायरा संयोजक अमान अली ने सभी शायरों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

Nov 8, 2024 - 08:40
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हरदोई के झाड़ी शाह मेले में ऑल इंडिया मुशायरा सम्पन्न:पूर्व कैबिनेट मंत्री अब्दुल ने किया आगाज, देर रात तक चला आयोजन
हरदोई के संडीला शहर में चल रहे प्रसिद्ध झाड़ी शाह मेले के दूसरे दिन गुरुवार रात ऑल इंडिया मुशायरे का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर से आए शायरों ने अपनी शानदार शायरी से समां बांध दिया। मुशायरे की अध्यक्षता मशहूर शायर अज्म शाकिरी ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी नदीम फर्रुख ने निभाई। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व काबीना मंत्री अब्दुल मन्नान ने किया, जिन्होंने शमा रोशन कर मुशायरे की शुरुआत की और शायरों को हौसला अफजाई की। इस मौके पर सबसे पहले नातिया कलाम पेश किया गया। मुशायरे में शायरों ने अपने दिल को छूने वाले कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मेराज बिजनौरी ने कहा, "मोहब्बत से रहो तुम भी और मोहब्बत से रहे हम भी, जरा सी जिंदगी है दुश्मनी अच्छी नहीं लगती"। उनकी यह पंक्तियां श्रोताओं के बीच जमकर हिट हुईं। वहीं, अब्दुल्लाह मिन्हाज ने "गैर तो गैर है, गैरों से कोई बात नहीं, काम वह भी नहीं आता है जो मेरा है यहां" के माध्यम से अपनी बात रखी। नदीम फर्रुख ने शेर सुनाया, "मुझको इंसान ही रहने दो फरिश्ता ना बना, इतनी तारीफ भी मत कर कि मैं पत्थर हो जाऊं", जो श्रोताओं में गूंज उठा। गाजीपुर से आए शायर राशिद ने भी अपनी शायरी से तालियां बटोरी। हिमांशी बाबरा ने अपनी नज्म "तेरी दस्तक की आस रहती है जब तबीयत उदास रहती है" के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त किया, और इल्मा हाशमी के शेर "ऐसे वह जाने लगा मुझको दिलासा देकर, जैसे बच्चे को कोई जाए खिलौना देकर" ने भी खूब सराहना बटोरी। इसके अलावा, नईम आफताब, उस्मान मीनाइ, कामिल, अमान, जुनैद, शाहिद, आसिम काकोरवी, दावर रजा आदि ने भी अपना बेहतरीन कलाम प्रस्तुत किया। हिंदुस्तान के मशहूर शायरों के कलाम को सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग देर रात तक मौजूद रहे। इस शानदार आयोजन के लिए मेला अध्यक्ष सूफी शाहनवाज का धन्यवाद व्यक्त किया गया। मुशायरे के समापन पर मुशायरा संयोजक अमान अली ने सभी शायरों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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