हरियाणा में पार्टी छोड़ने वालों की BJP में एंट्री मुश्किल:गुपचुप चक्कर काट लॉबिंग कर रहे; CM सैनी ने केंद्रीय नेतृत्व से परमिशन को कहा
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का माहौल देख पार्टी छोड़ने वालों की BJP में एंट्री मुश्किल हो गई है। प्रदेश में फिर सरकार बनने के बाद ऐसे नेता 5 साल तक विपक्ष के बजाय फिर से सत्ता पक्ष में आना चाहते हैं। हालांकि CM नायब सैनी ने इन नेताओं की एंट्री पर फुल स्टॉप लगा दिया है। उन्होंने प्रदेश के संगठन को दो टूक कह दिया है कि ऐसे नेताओं की पार्टी में वापसी का फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा। जिससे BJP में वापसी का जुगाड़ लगा रहे या लॉबिंग में जुटे नेताओं को झटका लगा है। माना जा रहा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच पार्टी को धोखा देने वालों से केंद्रीय नेतृत्व खासा नाराज है। यही वजह है कि अब इन पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व ने अपने हाथ में लिया है। ऐसे में उनकी एंट्री मुश्किल ही मानी जा रही है। कौन से नेता वापसी की कोशिश में BJP से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पार्टी में वापसी की कोशिश में टिकट न मिलने पर नाराज होने से लेकर बागी चुनाव लड़ने और पूर्व सांसद-पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। जो प्रदेश के नेताओं के जरिए केंद्रीय नेतृत्व में अपनी पैरवी चाहते थे। संगठन को मजबूत दिखाने के लिए प्रदेश के कुछ नेता एक्टिव भी हो चुके थे। हालांकि जैसे ही CM नायब सैनी को इसकी भनक लगी तो उन्होंने साफ कह दिया कि पार्टी में आने के इच्छुक पहले केंद्रीय नेतृत्व से परमिशन लेकर आएं। प्रदेश में चुनाव के बीच पार्टी छोड़ने वाले 3 बड़े चेहरे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह: पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं। वह लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्हें भाजपा के हिसार से टिकट कटने का डर था। हालांकि कांग्रेस ने उनकी हिसार-सोनीपत की दावेदारी खारिज कर लोकसभा टिकट ही नहीं दी। विधानसभा चुनाव में उन्हें जींद की उचाना सीट से उतारा लेकिन वह भाजपा उम्मीदवार देवेंद्र अत्री से चुनाव हार गए। रणजीत चौटाला: पूर्व डिप्टी PM देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से बगावत की। जब बीजेपी ने उन्हें रानियां से टिकट देने से इनकार कर दिया तो वह नाराज होकर बागी तेवर दिखाने लगे। हालांकि वह 5 साल BJP सरकार में ही बिजली मंत्री रहे। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने कुलदीप बिश्नोई की दावेदारी को दरकिनार कर हिसार से लोकसभा चुनाव लड़वाया था लेकिन वह हार गए। विधानसभा चुनाव में बगावत करने के बाद उन्होंने JJP के समर्थन के साथ रानियां से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए। अशोक तंवर: तंवर के भाजपा छोड़ने की सबसे दिलचस्प कहानी है। वह भाजपा उम्मीदवार के लिए रैली कर रहे थे। उसी दिन राहुल गांधी की महेंद्रगढ़ में रैली थी। चुनाव प्रचार के आखिरी दौर के बीच वह अचानक मंच पर पहुंचे और राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस जॉइन कर ली। हालांकि उनकी जॉइनिंग से भूपेंद्र हुड्डा खासे खुश नजर नहीं आ रहे थे। तंवर पहले भी कांग्रेस में थे लेकिन 2019 में टिकट बंटवारे को लेकर हुड्डा से अनबन के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और AAP में भी गए लेकिन बाद में भाजपा में आ गए। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में सिरसा से सिटिंग सांसद सुनीता दुग्गल की टिकट काटकर तंवर को दी लेकिन वह हार गए। मगर, वोटिंग से 2 दिन पहले वह कांग्रेस में वापस लौट आए। 2 बागी जो चुनाव जीते लेकिन उनकी वापसी में कानूनी पेंच... भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने वालीं देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल और गन्नौर से होटेलियर देवेंद्र कादियान जीत गए। वह भाजपा को समर्थन दे चुके हैं लेकिन पार्टी में शामिल होने पर उनका कानूनी पेंच है। हरियाणा के राजनीतिक विश्लेषक और कानूनी मामलों के जानकार हेमंत कुमार कहते हैं ... निर्दलीयों की बीजेपी में जॉइनिंग पर उनकी सदस्यता जा सकती है। हालांकि वह सरकार या किसी राजनीतिक दल को बाहर से समर्थन दे सकते हैं। सरकार में वह मंत्री या अन्य लाभ के पद पर भी रह सकते हैं, लेकिन पार्टी में शामिल होने पर स्पीकर उनकी सदस्यता खारिज कर सकता है। बागी होकर चुनाव जीते निर्दलीय विधायकों के बारे में जानें... BJP सांसद की मां सावित्री जिंदल विधानसभा चुनाव में हरियाणा की हिसार विधानसभा सीट इस बार सुर्खियों में रही। इसकी वजह थी, यहां से देश की सबसे अमीर महिला और कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल निर्दलीय चुनाव लड़ी थीं। सावित्री जिंदल बीजेपी से टिकट मांग रही थीं, लेकिन बीजेपी ने पूर्व मंत्री डॉ. कमल गुप्ता को दोबारा उम्मीदवार बना दिया था। हालांकि बीजेपी उम्मीदवार यहां से चुनाव हार गए। इसके बाद अब सावित्री जिंदल बीजेपी को समर्थन दे रही हैं। सूत्रों का कहना है कि उनकी वापसी में कोई रोड़ा नहीं है, वह पहले भी भाजपा में ही थीं। सबसे अहम बात यह है कि बागी चुनाव लड़ने के बाद भी उन्हें पार्टी ने निष्कासित नहीं किया था। कभी राहुल गांधी के करीबी रहे देवेंद्र कादियान देवेंद्र कादियान मन्नत ग्रुप होटल्स के चेयरमैन हैं। उन्होंने राजनीति की शरुआत युवा कांग्रेस में की। वे राहुल गांधी के करीबी रहे हैं। युवा कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं। 2018 में कांग्रेस छोड़ कर उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली थी। 2019 में मनोहर लाल खट्टर ने रथ यात्रा निकली थी। तब कादियान ने गन्नौर में रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया था, इस दौरान भी वे गन्नौर भाजपा में टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन भाजपा ने टिकट निर्मल चौधरी को दे दी। इसके बाद कादियान बागी हो गए। तब मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें मनाया था। इस बार भी उनकी टिकट काट दी गई, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता। अब कादयान ने बीजेपी को समर्थन दिया है। BJP ने 8 नेताओं को 6 साल के लिए निकाला था हरियाणा विधानसभा चुनाव में बागी हुए 8 नेताओं पर भाजपा ने कार्रवाई की थी। उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाला गया था। इनमें बिजली मंत्री रहे रणजीत चौटाला, गन्नौर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले देवेंद्र कादियान, लाडवा
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