​​​​​​​हिमाचल की छोटी काशी में होली का जश्न:सेरी मंच में उमड़ी भीड़, एक दूसरे को लगा रहे गुलाल, PHOTOS में देखे खुशियों के रंग

पूरा देश अगले कल रंगों का त्योहार मनाएगा। मगर हिमाचल की छोटी काशी मंडी में आज इस पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंडी के सेरी मंच में सैकड़ों लोग एक दूसरे को गुलाल लगा रहे हैं। यहां पर सुबह 11 बजे से होली की सेलिब्रेशन शुरू हो गई है, जो कि दोपहर बाद तक चलेगी रहेगी। डीजे की धुन पर लोग थिरक रहे हैं। एक दूसरे को इस पर्व की बधाई दी जा रही है। मंडी में सदियों से ही होली एक दिन पहले मनाई जाती है। इसके पीछे कोई खास वजह नहीं है। राजशाही के दिनों से ही यहां एक दिन पहले लोग गुलाल लगाकर इसे मनाते हैं। इसे देखते हुए मंडी में हर साल लोकल होलीडे अनाउंस की जाती है, ताकि सभी लोग इस पर्व को हर्षोल्लास से मना सके। एक दिन पहले होली मनाने पर क्या बोले जानकार ... छोटी काशी में सभी त्योहार शास्त्र अनुसार मनाए जाते हैं: राम लाल वहीं, अगर ज्योतिष गणना की बात करें तो उसके अनुसार भी होली का त्योहार हर वर्ष फाल्गुनी पूर्णिमा को मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित राम लाल शर्मा ने बताया कि इस बार फाल्गुणी पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर शुरू हो रही है,जोकि 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि छोटी काशी में सभी त्योहार और पर्व शास्त्र अनुसार ही मनाए जाते हैं। माधव राय के भ्रमण के साथ संपन्न होता है होली पर्व: रूपेश्वरी वरिष्ठ नागरिक रूपेश्वरी शर्मा बताती हैं कि पहले जहां गली-मोहल्लों में लोग एक-दूसरे को रंगे लगाते थे, वहीं अब शहर के लोग सेरी मंच पर एकजुट होकर सामूहिक तौर पर इस त्योहार को मनाते हैं। सेरी मंच पर नाचने-गाने के बाद लोग राज माधव राय मंदिर में जाकर होली मनाते हैं। दोपहर दो बजे राज माधव राय जी की पालकी नगर भ्रमण पर निकलती है जिस पर लोग गुलाल फेंकते हैं। इस पालकी के वापिस मंदिर पहुंचते ही होली का त्योहार संपन्न हो जाता है। रूपेश्वरी बताती हैं कि बदलते समय के साथ मंडी की होली में बहुत से बदलाव आए हैं जोकि समय की जरूरत भी होती है। मंडी में होती है भगवान शिव और श्रीकृष्ण की पूज: दिनेश वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. दिनेश धर्मपाल ने बताया कि छोटी काशी मंडी शैव और वैष्णव परंपरा वाला इकलौता शहर है। यहां भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण को प्रमुख रूप से पूजा जाता है। होली का त्योहार इन्हीं से संबंधित है। ऐसे स्थान पर होली का त्योहार सबसे पहले मनाया जाना स्वाभाविक और अनिवार्य है। अनजान लोगों को नहीं लगाया जाता गुलाल मंडी की होली की खासियत यह है कि यहां अनजान लोगों पर जबरदस्ती रंग नहीं डाला जाता। यदि कोई होली नहीं खेलना चाहता तो उस पर जबरदस्ती रंग नहीं लगाया जाता। मंडी में लोग सुबह ही होली खेलने के लिए टोलियां बनाकर शहर के मुख्य बाजारों में पहुंचते हैं। आसपास के गांव की महिलाएं भी बाजार में होली खेलने आती हैं। मंदिर के प्रांगण में बर्तनों में घोला जाता है रंग मंडी के माधव राय मंदिर के प्रांगण में पीतल के बड़े बर्तनों में रंग घोला जाता था। बताया जाता है कि यहां राजा अपने दरबारियों के साथ होली खेलते थे। वे घोड़े पर सवार होकर प्रजा के बीच भी आते थे। आज भी यहां यह परंपरा निभाई जा रही है। मंडी में होली का उत्सव शाम के समय माधोराय की जलेब निकलने के बाद समाप्त हो जाता है। पठावा से किया जाता है देवताओं का तिलक छोटी काशी की होली में अबीर-गुलाल के साथ प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है। चीड़ और देवदार से निकलने वाले पीले पदार्थ (पठावा) से देवताओं को तिलक लगाया जाता है। विशेष पकवान चिलहड़ू बनाती हैं महिलाएं इस अवसर पर गांव की महिलाएं चावल के आटे का पकवान चिलहड़ू बनाती है। जिसे दूध और घी के साथ खाया जाता है। PHOTOS में देखे मंडी की होली का जश्न...

Mar 13, 2025 - 12:59
 61  6232
​​​​​​​हिमाचल की छोटी काशी में होली का जश्न:सेरी मंच में उमड़ी भीड़, एक दूसरे को लगा रहे गुलाल, PHOTOS में देखे खुशियों के रंग
पूरा देश अगले कल रंगों का त्योहार मनाएगा। मगर हिमाचल की छोटी काशी मंडी में आज इस पर्व को धूमधाम से
हिमाचल की छोटी काशी में होली का जश्न: सेरी मंच में उमड़ी भीड़, एक दूसरे को लगा रहे गुलाल, PHOTOS में देखे खुशियों के रंग News by indiatwoday.com

हिमाचल में होली का उत्सव

हर साल की तरह, इस बार भी हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी में होली का जश्न धूमधाम से मनाया गया। सेरी मंच पर उमड़ी भीड़ ने इस पर्व को अनोखे अंदाज में सेलिब्रेट किया। रंग बिरंगे गुलाल के साथ साथी और परिवार के लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हुए नजर आए। इस मौके पर स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों ने भी भाग लिया, जिससे यह उत्सव और भी खास बन गया।

उत्सव की भव्यता

सेरी मंच का माहौल मनमोहक था। यहाँ हर स्थान पर उत्पन्न रंग, खुशियाँ और हंसी-खुशी का माहौल था। ख़ासकर बच्चों ने इस पर्व का आनंद लिया। उन्होंने गुलाल फेंककर एक-दूसरे को रंगों में रंग दिया। स्थानीय कलाकारों ने भी नृत्य और संगीत के द्वारा इस अवसर को और भी जीवंत बना दिया।

फोटोज में देखें खुशियों के रंग

इस जश्न की कुछ तस्वीरें भी साझा की गई हैं, जहाँ आप देख सकते हैं कि कैसे लोग रंगों में सराबोर होकर एक-दूसरे का स्वागत कर रहे थे। ये तस्वीरें इस पर्व की भव्यता और आनंद को बखूबी दर्शाती हैं।

भविष्य में ऐसे आयोजनों की जरूरत

आगामी दिनों में ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इससे न केवल सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सहयोग मिलेगा। होली जैसे त्योहार एकता और भाईचारे के प्रतीक हैं, जिन्हें मनाना बेहद आवश्यक है।

निष्कर्ष

इस साल की होली का उत्सव हिमाचल की छोटी काशी में ऐतिहासिक रहा। इस प्रकार के उत्सव न केवल आनंद प्रदान करते हैं, बल्कि समाज में प्रेम और एकता का संदेश भी फैलाते हैं। और अगर आप इस प्रकार के और उत्सवों के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारे साथ बने रहें। Keywords: हिमाचल होली उत्सव , छोटी काशी में होली , सेरी मंच पर होली , होली की तस्वीरें , खुशियों का रंग , लोकल होली सेलिब्रेशन , हिमाचल फेस्टिवल 2023 , होली के रंग , पर्व की तैयारी , रंगों की बौछार

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow