धर्मशाला विधायक का पूर्व SP पर मानहानि का केस:दल-बदल और रिश्वत के आरोपों पर पहुंचे कोर्ट, रिकॉर्डिंग पेश करेंगे
धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा ने आईपीएस अधिकारी एवं तत्कालीन एसपी शिमला संजीव गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा धर्मशाला की स्थानीय अदालत में दायर किया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि संजीव गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विधायक की सार्वजनिक छवि को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया, जो न केवल झूठे और निराधार आरोपों पर आधारित था, बल्कि राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित भी था। शिकायत के अनुसार, 23 मई 2025 को शिमला में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एसपी संजीव गांधी ने मीडिया के सामने यह दावा किया कि उनके पास विधायक सुधीर शर्मा के खिलाफ आपत्तिजनक और आपराधिक साक्ष्य मौजूद हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मार्च 2024 में छह कांग्रेस विधायकों के भाजपा में शामिल होने के पीछे सुधीर शर्मा का षड्यंत्र था और उन्होंने इन विधायकों को रिश्वत देकर पार्टी बदलने के लिए प्रेरित किया। इतना ही नहीं, संजीव गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि विधायक शर्मा ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में एक आत्महत्या मामले (बिमल नेगी केस) की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग सोशल मीडिया पर इस मकसद से वायरल करवाई ताकि उन्हें (संजीव गांधी को) लज्जित और अपमानित किया जा सके। विधायक का पक्ष- आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद विधायक सुधीर शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए गए सभी आरोप निराधार, गैर-जिम्मेदाराना और मानहानिपूर्ण हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट की कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग न्यायालय की अनुमति से हुई थी और उसका किसी प्रकार से संपादन या छेड़छाड़ नहीं की गई। उन्होंने यह भी कहा कि जिस आत्महत्या मामले (CWP No. 6508/2025) की बात संजीव गांधी ने की, वह मामला कोर्ट के समक्ष विचाराधीन था और कोई भी आम व्यक्ति उस कार्रवाई को देख व समझ सकता है। विधायक ने जोर देकर कहा कि एक पुलिस अधिकारी द्वारा मीडिया के समक्ष इस प्रकार के गंभीर और असत्य आरोप लगाना न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि जनप्रतिनिधियों की गरिमा पर सीधा हमला है। शिकायत में यह भी बताया गया कि आरोपों के समर्थन में संजीव गांधी ने कोई डॉक्यूमेंट, इलेक्ट्रॉनिक या मौखिक साक्ष्य पेश नहीं किए। सबूतों के साथ अदालत पहुंचे सुधीर शर्मा विधायक की ओर से पेश की गई शिकायत के साथ एक पेन ड्राइव भी अदालत में सौंपी गई है, जिसमें संबंधित प्रेस कॉन्फ्रेंस की रिकॉर्डिंग संलग्न है। इसके अतिरिक्त, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63 के तहत एक प्रमाण पत्र और प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों की प्रेस कवरेज भी प्रमाण स्वरूप लगाई गई है। शिकायत में मांग की गई है कि संजीव गांधी को अदालत में समन कर उन्हें भारतीय दंड संहिता के तहत मानहानि के अपराध में आरोपी, अभियुक्त और दंडित किया जाए।

धर्मशाला विधायक का पूर्व SP पर मानहानि का केस: दल-बदल और रिश्वत के आरोपों पर पहुंचे कोर्ट, रिकॉर्डिंग पेश करेंगे
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धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा ने आईपीएस अधिकारी एवं तत्कालीन एसपी शिमला संजीव गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा धर्मशाला की स्थानीय अदालत में दायर किया है। यह मामला राजनीति के क्षेत्र में एक नई उठापटक को उजागर करता है, जहां आरोप और शिकायतें दोनों तरफ से सामने आई हैं।
पृष्ठभूमि
शिकायत में विधायक सुधीर शर्मा ने कहा है कि संजीव गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उनके खिलाफ झूठे और निराधार आरोप लगाए। इन आरोपों में विधायक पर दल-बदल करने के लिए रिश्वत देने का आरोप भी शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सभी आरोप राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित हैं और केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए उठाए गए हैं।
प्रैस कॉन्फ्रेंस का घटनाक्रम
23 मई 2025 को शिमला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसपी संजीव गांधी ने दावा किया कि उनके पास सुधीर शर्मा के खिलाफ आपत्तिजनक और आपराधिक सबूत मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मार्च 2024 में कांग्रेस के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने के पीछे शर्मा का एक षड्यंत्र है। इन आरोपों में यह भी कहा गया कि शर्मा ने एक आत्महत्या मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग सोशल मीडिया पर वायरल करवाई ताकि गांधी को अपमानित किया जा सके।
विधायक का प्रतिवाद
विधायक सुधीर शर्मा ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना बताया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग न्यायालय की अनुमति से हुई थी और इसका किसी प्रकार का संपादन नहीं किया गया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस आत्महत्या मामले की बात की गई थी, वह मामले कोर्ट में विचाराधीन था और कोई भी सामान्य व्यक्ति उसे देख सकता था।
अदालत में पेश हुए सबूत
विधायक की ओर से अदालत में पेश की गई शिकायत के साथ एक पेन ड्राइव प्रस्तुत की गई है, जिसमें संबंधित प्रेस कॉन्फ्रेंस की रिकॉर्डिंग सहेजी गई है। इसके अलावा, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के तहत एक प्रमाण पत्र और प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों की प्रेस कवरेज भी प्रमाण स्वरूप दिए गए हैं। शिकायत में यह मांग की गई है कि संजीव गांधी को अदालत में समन कर मानहानि के अपराध में अभियुक्त बनाया जाए।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल धर्मशाला की राजनीति में गहराई से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह जनप्रतिनिधियों की गरिमा और अधिकारियों के बीच की सीमाओं को भी परखता है। वर्तमान स्थिति यह बताती है कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप सामान्य हो गए हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि सभी पक्षों को समान अवसर मिलें। अदालत में क्या फैसले आते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।
सुधीर शर्मा का यह कदम इस बात का संकेत है कि वह अपनी छवि की रक्षा करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। उनकी शिकायत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी प्रकार के अन्याय को सहन नहीं करेंगे।
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