आगरा नगर आयुक्त को हाईकोर्ट ने किया तलब:निजी जमीन पर नगर निगम कर रहा अपना दावा, 28 साल बाद पीड़ित को न्याय मिलने की उम्मीद

निजी जमीन पर दावा कर रहे नगर निगम को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में 25 नवंबर को नगर आयुक्त को तलब किया है। पिछले 28 साल से यह मामला चल रहा है। पीड़ित को अब न्याय मिलने की उम्मीद है। मामला मनोहरपुर, नई आबादी का है। यहां के गाटा संख्या 317/1/5 के एक हिस्से पर वीरपाल अपने परिवार के साथ रहते हैं। इस जमीन पर नगर निगम अपना दावा कर रहा है। नगर निगम ने पीड़ित का ही दाखिला खारिज कर जमीन को अपना बता दिया था। पीड़ित के वकील धीरेश तिवारी ने बताया कि वीरपाल ने यह जमीन 1980 में खरीदी थी। 1996 में नगर निगम से इसका असिसमेंट कराया गया था। बिजली का मीटर और पानी का कनेक्शन भी हुआ। उन्हें मकान नंबर भी आवंटित किया गया। कुछ समय बाद नगर निगम ने इस जमीन पर अपना दावा किया। जबकि इस गाटा संख्या पर कई और मकान बने हैं। मगर, सिर्फ वीरपाल की जमीन को ही नगर निगम अपनी बता रहा है। इसको लेकर 1996 में ही पीड़ित ने न्याय पाने के लिए कोर्ट की शरण ली। एसडीएम कोर्ट में हारने के बाद नगर निगम ने ऊपर की अदालत का किया रुख। मगर, वहां भी राहत नहीं मिली। पीड़ित वीरपाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। पीड़ित के वकील ने बताया कि हाईकोर्ट ने 25 नवंबर को सुबह 10 बजे कोर्ट तलब किया है। कोर्ट नंबर 9 में दायर याचिका पर न्यायधीश रोहित रंजन अग्रवाल ने आदेश जारी किया है।

Nov 22, 2024 - 15:20
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आगरा नगर आयुक्त को हाईकोर्ट ने किया तलब:निजी जमीन पर नगर निगम कर रहा अपना दावा, 28 साल बाद पीड़ित को न्याय मिलने की उम्मीद
निजी जमीन पर दावा कर रहे नगर निगम को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में 25 नवंबर को नगर आयुक्त को तलब किया है। पिछले 28 साल से यह मामला चल रहा है। पीड़ित को अब न्याय मिलने की उम्मीद है। मामला मनोहरपुर, नई आबादी का है। यहां के गाटा संख्या 317/1/5 के एक हिस्से पर वीरपाल अपने परिवार के साथ रहते हैं। इस जमीन पर नगर निगम अपना दावा कर रहा है। नगर निगम ने पीड़ित का ही दाखिला खारिज कर जमीन को अपना बता दिया था। पीड़ित के वकील धीरेश तिवारी ने बताया कि वीरपाल ने यह जमीन 1980 में खरीदी थी। 1996 में नगर निगम से इसका असिसमेंट कराया गया था। बिजली का मीटर और पानी का कनेक्शन भी हुआ। उन्हें मकान नंबर भी आवंटित किया गया। कुछ समय बाद नगर निगम ने इस जमीन पर अपना दावा किया। जबकि इस गाटा संख्या पर कई और मकान बने हैं। मगर, सिर्फ वीरपाल की जमीन को ही नगर निगम अपनी बता रहा है। इसको लेकर 1996 में ही पीड़ित ने न्याय पाने के लिए कोर्ट की शरण ली। एसडीएम कोर्ट में हारने के बाद नगर निगम ने ऊपर की अदालत का किया रुख। मगर, वहां भी राहत नहीं मिली। पीड़ित वीरपाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। पीड़ित के वकील ने बताया कि हाईकोर्ट ने 25 नवंबर को सुबह 10 बजे कोर्ट तलब किया है। कोर्ट नंबर 9 में दायर याचिका पर न्यायधीश रोहित रंजन अग्रवाल ने आदेश जारी किया है।

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