आजमगढ़ में देर रात एसडीएम सदर ने मारा छापा:एक माह पूर्व सील हुआ अस्पताल हो रहा था संचालित, बिना रजिस्ट्रेशन के ही चल रहा था अस्पताल
आजमगढ़ के मुबारकपुर कस्बा में सायरा मेमोरियल हॉस्पिटल को अवैध रूप से संचालित पाए जाने पर एसडीएम सदर सुनील कुमार धनवंता IAS के नेतृत्व में पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोमवार की रात सील किया। इस दौरान मौके पर मुबारकपुर थाना पुलिस के साथ ही नगर पालिका मुबारकपुर की भी टीम मौजूद रही। एक माह पूर्व भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच की तब भी सीएमओ ने इसपर कार्रवाई की थी। इसके बाद फिर से संचालन शुरू हो गया। बताया जा रहा है कि सोमवार को जैसे ही एसडीएम सदर के नेतृत्व में टीम ने वहां पर धावा बोला वहां पर हड़कंप मच गया। वहां पर बिना रजिस्ट्रेशन के ही रेजिडेंशियल बिल्डिंग में अस्पताल बनाकर स्वास्थ्य की सेवाएं दी जा रही थी। एलोपैथिक पद्धति से वहां पर मरीजों का इलाज किया जा रहा था। आईसीयू कक्ष से लेकर ऑपरेशन की सुविधा चल रही थी। लेप्रोस्कोपी पद्धति से इलाज आदि का बैनर लगा था। जबकि यूनानी डॉक्टर का सर्टिफिकेट लगा था। इस दौरान एसडीएम सदर ने नगर पालिका के जेई को भी बिल्डिंग के संबंध में कई निर्देश दिए और मानक की अनुरूप इसके न बनने पर जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया। मौके पर मौजूद अस्पताल के व्यक्ति से एसडीएम ने जब पूछताछ शुरू की तब जानकारी देने से कई बार हीला हवाली की गई। सीसीटीवी कैमरे की जानकारी नहीं दी जा रही थी। बताया जा रहा था कि मरीज नहीं है। क्योंकि यहां पर जो डॉक्टर के नाम लिखे हैं वह नहीं है। इसलिए मरीज भी नहीं है। जबकि मौके पर टीम को प्रिस्क्रिप्शन की पर्ची भी मिली। कई मशीन चालू हालत में दिखाई दी। कुल मिलाकर स्थिति को छुपाने का प्रयास किया जा रहा था। एसडीएम के सख्त रूप अपनाने पर अस्पताल से जुड़े व्यक्ति ने धीरे धीरे राज खोला। यहां तक अपनी पुत्री के मेडिकल पीजी की बात कही। लेकिन SDM सदर ने कहा कि वह जब अपने कॉलेज में पढ़ती है तब यहां पर उसके द्वारा इलाज कैसे संभव है। अगर वह यहां पर इलाज करती है तो कॉलेज से पता लगवाया जाएगा कि वह पढ़ती है कि नहीं। दर्ज होगा मुकदमा SDM सदर ने किसी भी प्रकार के मानक के न होने के बावजूद इलाज होने पर कहा कि अगर किसी भर्ती मरीज के साथ अनहोनी हो जाएगी तब प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसलिए अस्पताल के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। आजमगढ़ जिले में सील होने के बाद संचालित होने वाला या कोई पहला अस्पताल नहीं है। इससे पूर्व भी तीन अस्पताल सील होने के बाद संचालित हो रहे थे जिसके बाद दोबारा कार्रवाई की गई।
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