उत्तरायणी कौथिक मेले का आयोजन:राज्यसभा सांसद डॉक्टर दिनेश शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी शामिल
लखनऊ में बीरबल साहनी मार्ग स्थित पंडित गोविंद बल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन में उत्तरायणी कौथिक–2025 का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड, भगत सिंह कोश्यारी के साथ राज्यसभा सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा उपस्थित रह। लखनऊ की महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया गया। पर्वतीय संस्कृति के इस उत्सव में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस अवसर पर पार्षद प्रमोद सिंह राजन, पार्षद श्री त्रिलोक सिंह अधिकारी, पार्षद शैलेंद्र वर्मा और मंडल अध्यक्ष नरेंद्र सिंह देवड़ी उपस्थित रहे। कार्यक्रम संयोजक केएन चंदोला और अध्यक्ष गणेश जोशी के कुशल मार्गदर्शन में आयोजन संपन्न हुआ। अन्य गणमान्य अतिथियों में टीएस मनराल, महेंद्र सिंह रावत, मोहन सिंह बिष्ट आदि शामिल रहे। उत्तरायणी कौथिक के दौरान पारंपरिक गीत-संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों का मन मोह लिया। पर्वतीय व्यंजनों और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी ने उत्तराखंड की संस्कृति को जीवंत किया। महापौर कार्यकाल के दौरान निर्मित इस सांस्कृतिक उपवन ने आयोजन को भव्य रूप से सफल बनाया। पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य अतिथियों ने आयोजन की सराहना करते हुए इसे संस्कृति और परंपरा के संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। इस अवसर पर डॉ दिनेश शर्मा ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के सफल आयोजन ने लखनऊ में पर्वतीय समुदाय के साथ अन्य नागरिकों को भी एकसाथ जोड़ने का संदेश दिया।
उत्तरायणी कौथिक मेले का आयोजन: राज्यसभा सांसद डॉक्टर दिनेश शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी शामिल
उत्तरायणी कौथिक मेले का आयोजन हर वर्ष उत्तराखंड राज्य में बड़े धूमधाम से किया जाता है। इस साल, मेले में राज्यसभा सांसद डॉक्टर दिनेश शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने विशेष रूप से भाग लिया। यह मेला न केवल सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र है, बल्कि यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आकर्षण है।
मेले का उद्देश्य और महत्व
उत्तरायणी कौथिक मेला हर साल उत्तरायणी त्यौहार के मौके पर आयोजित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करना और स्थानीय समुदाय को जोड़ना है। यह मेला विभिन्न प्रकार की हस्तशिल्प सामग्री, स्थानीय खाद्य पदार्थों, और पारंपरिक नृत्य-गायन का प्रदर्शित करने का एक मंच है।
पीएम और सांसदों की उपस्थिति
इस वर्ष मेले में डॉक्टर दिनेश शर्मा और भगत सिंह कोश्यारी की उपस्थिति ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया। डॉक्टर शर्मा ने मेले की भव्यता की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसी सांस्कृतिक गतिविधियाँ समाज के विकास के लिए अनिवार्य हैं। वहीं, भगत सिंह कोश्यारी ने बताया कि मेले में सहभागी होकर उन्हें बहुत खुशी हुई है और यह आयोजन उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
स्थानीय कला और संस्कृति
उत्तरायणी कौथिक मेला स्थानीय कलाओं और शिल्प कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण है। स्थानीय कलाकार अपने हस्तशिल्प का प्रदर्शन करते हैं, और यहाँ विभिन्न खाद्य स्टॉल पर उत्तराखंडी व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकता है। यह मेला पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति के करीब लाने का भी कार्य करता है।
अंत में
उत्तरायणी कौथिक मेला न केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है बल्कि यह एक अवसर है जिसमें स्थानीय समाज और वे लोग जो उत्तराखंड की संस्कृति को समझना चाहते हैं, एक साथ आते हैं। यह आयोजन हर साल और भी बड़ा होता जा रहा है, और ऐसे आयोजनों से उत्तराखंड की पहचान को एक नया आयाम मिलता है।
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