कानपुर के सौरभ को मिला गृहमंत्री दक्षता पदक:जवान की आंख कौए को खाता देख आया था गुस्सा, लोगो का दर्द बांटा तो मिला विश्वास

कानपुर के नौबस्ता, बाबा नगर निवासी ASP सौरभ तिवारी को देश के कई इलाकों में फैले नक्सलवाद की कमर तोड़ने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से केंद्रीय गृहमंत्री दक्षता पदक के अवार्ड से नवाजा गया है। वर्ष 2013 में सौरभ की नियुक्ति केंद्रीय पुलिस संगठन (सीपीओ) में हुई थी, जिसके बाद उनको नक्सलवाद के खात्में के लिए छत्तीसगढ़ में तैनात किया गया था। सौरभ के मुताबिक करीब 10 साल पहले की घटना हैं सुकुमा में जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर नक्सलियों ने विस्फोटक से जवानों से भरी गाड़ी को उड़ा दिया था, जिसमें कानपुर के रहने वाले डिप्टी कमाडेंट समेत कई जवानों की मौत हो गई थी। बताया कि मैं मौके पर पहुंचा तो देखा कि एक कौआ पेड़ पर बैठ कर हमारे जवान की आंख खा रहा था, जिसे देख मुझे दुख के साथ काफी गुस्सा आया और नक्सलवाद के खात्मे का प्रण लिया। लोकगीत गाकर बताते थे सरकारी तंत्र की नाकामी उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 के समय नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर व सुकुमा जैसे इलाकों में नक्सलियों का बोलबाला हुआ करता था। नक्सलियों की नाटक मंडली लोकगीतों के माध्यम से सरकारी तंत्र की नाकामी आदिवासियों तक पहुंचा कर उनको बरगलाने का काम करते थे। नक्सलवाद इलाकों में हॉस्पिटल, एजुकेशन, टीकाकरण बड़ी समस्याओं के रुप में मुखर थी। आलम यह था कि इन इलाकों में बिजली, सड़क, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही थीं, जिसका प्रमुख कारण खुद नक्सली थे। वह आदिवासियों के मन में सरकार, सरकारी संस्थाओं के प्रति आक्रोश पैदा करते थे। लोकल लोगों की सुनी समस्याएं, कराया निवारण ASP सौरभ के मुताबिक हमारा काम था, आदिवासियों के मन में सरकार व सरकारी संस्थाओं के प्रति विश्वास पैदा करना था, जिससे नक्सलियों के तिलिस्म को चकनाचूर किया जा सके। जिसके बाद उन्होंने लोकल लोगों से उनकी समस्याएं जानने का काम किया और वहां के धार्मिक गुरुओं, एनजीओ, सिविल सोसाइटी के माध्यम से ग्रामीणों का दर्द जाना और उनका हल जिला प्रशासन से कराया, जिससे ग्रामीणों में सरकारी तंत्र के लिए विश्वास की भावना आई। आज 80 प्रतिशत लोगों को सरकारी तंत्र पर भरोसा ASP के मुताबिक वर्ष 2016 में दिल्ली में तैनाती होने के बाद भी उनका नक्सलवाद के खिलाफ अभियान जारी रहा। ASP ने बताया कि 10 में से 8 गांव के लोग उस समय नक्सलियों का सपोर्ट करते थे, लेकिन आज करीब 80 प्रतिशत लोगों का सरकार व सरकारी संस्थाओं के प्रति विश्वास कायम हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर मैं कहूं की यह सिर्फ मैने किया तो गलत होगा, इस काम को करने में मेरे साथ पूरी संस्था ने सहयोग किया, जिसका परिणाम आज देखने को मिल रहा है। सेल्फ हेल्प ग्रुप कर रहे गांवों का विकास आप लोगों को कई बार नक्सलियों के एनकाउंटर व सरेंडर की जानकारियां मिलती रहती हैं, जिसकी मुख्य वजह लोकल लोगों का सरकार के प्रति सपोर्ट है। उन्होंने बताया कि आज के समय नक्सल प्रभावित इलाकों में काफी डेवलेपमेंट हो रहा है। वहां के लोगों को प्राइमरी, कम्युनिटी व जिला स्तर पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रहीं है। साथ ही जिला स्तर पर इंटर कॉलेज व डिग्री कॉलेज खुल रहे है। गांवों में सेल्फ हेल्प ग्रुप बने है, जिसके लोग खुद ग्रामीण इलाकों में विकास करा रहे है। नक्सलियों को छोड़ टैलेंट को आइडल मान रहा यूथ आज नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कें, बिजली, पानी के साथ इंड्रस्ट्रीज लगाई जा रहीं है, जिससे वहां के लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सके। आदिवासी इलाकों के युवा इंडिया गॉट टैलेंट जैसे मंच तक पहुंच रहे है, जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों का यूथ अब नक्सलियों के बजाएं उनको अपना आइडल मान रहा है।

Nov 2, 2024 - 06:20
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कानपुर के सौरभ को मिला गृहमंत्री दक्षता पदक:जवान की आंख कौए को खाता देख आया था गुस्सा, लोगो का दर्द बांटा तो मिला विश्वास
कानपुर के नौबस्ता, बाबा नगर निवासी ASP सौरभ तिवारी को देश के कई इलाकों में फैले नक्सलवाद की कमर तोड़ने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से केंद्रीय गृहमंत्री दक्षता पदक के अवार्ड से नवाजा गया है। वर्ष 2013 में सौरभ की नियुक्ति केंद्रीय पुलिस संगठन (सीपीओ) में हुई थी, जिसके बाद उनको नक्सलवाद के खात्में के लिए छत्तीसगढ़ में तैनात किया गया था। सौरभ के मुताबिक करीब 10 साल पहले की घटना हैं सुकुमा में जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर नक्सलियों ने विस्फोटक से जवानों से भरी गाड़ी को उड़ा दिया था, जिसमें कानपुर के रहने वाले डिप्टी कमाडेंट समेत कई जवानों की मौत हो गई थी। बताया कि मैं मौके पर पहुंचा तो देखा कि एक कौआ पेड़ पर बैठ कर हमारे जवान की आंख खा रहा था, जिसे देख मुझे दुख के साथ काफी गुस्सा आया और नक्सलवाद के खात्मे का प्रण लिया। लोकगीत गाकर बताते थे सरकारी तंत्र की नाकामी उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 के समय नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर व सुकुमा जैसे इलाकों में नक्सलियों का बोलबाला हुआ करता था। नक्सलियों की नाटक मंडली लोकगीतों के माध्यम से सरकारी तंत्र की नाकामी आदिवासियों तक पहुंचा कर उनको बरगलाने का काम करते थे। नक्सलवाद इलाकों में हॉस्पिटल, एजुकेशन, टीकाकरण बड़ी समस्याओं के रुप में मुखर थी। आलम यह था कि इन इलाकों में बिजली, सड़क, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही थीं, जिसका प्रमुख कारण खुद नक्सली थे। वह आदिवासियों के मन में सरकार, सरकारी संस्थाओं के प्रति आक्रोश पैदा करते थे। लोकल लोगों की सुनी समस्याएं, कराया निवारण ASP सौरभ के मुताबिक हमारा काम था, आदिवासियों के मन में सरकार व सरकारी संस्थाओं के प्रति विश्वास पैदा करना था, जिससे नक्सलियों के तिलिस्म को चकनाचूर किया जा सके। जिसके बाद उन्होंने लोकल लोगों से उनकी समस्याएं जानने का काम किया और वहां के धार्मिक गुरुओं, एनजीओ, सिविल सोसाइटी के माध्यम से ग्रामीणों का दर्द जाना और उनका हल जिला प्रशासन से कराया, जिससे ग्रामीणों में सरकारी तंत्र के लिए विश्वास की भावना आई। आज 80 प्रतिशत लोगों को सरकारी तंत्र पर भरोसा ASP के मुताबिक वर्ष 2016 में दिल्ली में तैनाती होने के बाद भी उनका नक्सलवाद के खिलाफ अभियान जारी रहा। ASP ने बताया कि 10 में से 8 गांव के लोग उस समय नक्सलियों का सपोर्ट करते थे, लेकिन आज करीब 80 प्रतिशत लोगों का सरकार व सरकारी संस्थाओं के प्रति विश्वास कायम हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर मैं कहूं की यह सिर्फ मैने किया तो गलत होगा, इस काम को करने में मेरे साथ पूरी संस्था ने सहयोग किया, जिसका परिणाम आज देखने को मिल रहा है। सेल्फ हेल्प ग्रुप कर रहे गांवों का विकास आप लोगों को कई बार नक्सलियों के एनकाउंटर व सरेंडर की जानकारियां मिलती रहती हैं, जिसकी मुख्य वजह लोकल लोगों का सरकार के प्रति सपोर्ट है। उन्होंने बताया कि आज के समय नक्सल प्रभावित इलाकों में काफी डेवलेपमेंट हो रहा है। वहां के लोगों को प्राइमरी, कम्युनिटी व जिला स्तर पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रहीं है। साथ ही जिला स्तर पर इंटर कॉलेज व डिग्री कॉलेज खुल रहे है। गांवों में सेल्फ हेल्प ग्रुप बने है, जिसके लोग खुद ग्रामीण इलाकों में विकास करा रहे है। नक्सलियों को छोड़ टैलेंट को आइडल मान रहा यूथ आज नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कें, बिजली, पानी के साथ इंड्रस्ट्रीज लगाई जा रहीं है, जिससे वहां के लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सके। आदिवासी इलाकों के युवा इंडिया गॉट टैलेंट जैसे मंच तक पहुंच रहे है, जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों का यूथ अब नक्सलियों के बजाएं उनको अपना आइडल मान रहा है।

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