कुलदीप बिश्नोई ने भाजपा से दूरी बनाई:मीटिंग और कार्यक्रमों से किनारा किया; हार के बाद पार्टी भी निमंत्रण नहीं भेज रही

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के छोटे बेटे भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी से दूरी बनाई हुई है। वह न तो भाजपा की मीटिंगों में शामिल हो रहे हैं और न ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। अब 25 नवंबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी हिसार आ रहे हैं। कुलदीप बिश्नोई की मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जाने की संभावनाएं भी काफी कम लग रही हैं। विधानसभा चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया था। वह आदमपुर और फतेहाबाद सहित कई सीटों पर जीत का दम भर रहे थे, हालांकि ऐसा नहीं हुआ। वह अधिकतर समय आदमपुर और नलवा तक ही सीमित रहे। उनके बेटे भव्य बिश्नोई अपने गढ़ आदमपुर में हार गए। जिसके बाद कहीं न कहीं उनका दबदबा भाजपा में कम होता दिख रहा है। इन सब बातों से विरोधियों को बोलने का मौका मिल रहा है, जो भाजपा को अखर रहा है। कुलदीप की भाजपा से दूरी की 3 वजह... 1. आदमपुर में हार : बिश्नोई परिवार को 57 साल बाद आदमपुर में करारी शिकस्त मिली है। भजनलाल परिवार की पहचान सदा से ही आदमपुर से रही है। कुलदीप ने आदमपुर चुनाव में भाजपा की किसी से मदद नहीं ली। यहां वह ओवर कॉन्फिडेंट रहे। भाजपा ने कुलदीप से छवि बदलने के लिए और भाजपा के तरीके से चुनाव लड़ने को कहा, लेकिन बिश्नोई परिवार अपने पुराने तरीकों से ही चुनाव लड़ा। भाजपा के कार्यकर्ताओं के बजाय खुद के वर्करों पर भरोसा रखा। जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रप्रकाश जीत गए। आदमपुर उपचुनाव में भव्य बिश्नोई के चुनाव में भाजपा पूरी तरह से सक्रिय रही थी। 2. निमंत्रण नहीं मिल रहे : आदमपुर में हार के बाद बिश्नोई परिवार को भाजपा की ओर से किसी कार्यक्रम का न तो निमंत्रण दिया जा रहा है और न ही बैठकों में विशेष रूप से आमंत्रित किया जा रहा है। हाल ही में हिसार में सदस्यता अभियान की बैठक में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली आए। इस बैठक में सभी हलकों के प्रत्याशी और विधायक शामिल हुए, लेकिन बिश्नोई परिवार इसमें शामिल नहीं हुआ। वहीं पंचकूला में 2 दिवसीय समीक्षा बैठक में भी चुनाव प्रबंधक समिति के संयोजक रहे कुलदीप बिश्नोई गैरहाजिर रहे। हारने वाले उम्मीदवारों से फीडबैक लिया गया था, लेकिन भव्य बिश्नोई नहीं पहुंचे। 3. बिश्नोई महासभा का विवाद : अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के विवाद के बाद से ही बिश्नोई परिवार राजनीति से दूर है। उनका ध्यान इस समय इस विवाद को खत्म करने पर है। बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया कुलदीप बिश्नोई से बिश्नोई रत्न की उपाधि वापस ले चुके हैं और यहां तक की संरक्षक पद से भी हटा चुके हैं। इन विवादों के चलते कुलदीप बिश्नोई कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं। सोशल मीडिया यूजर ने ली चुटकी... SRK गुट में किरण की जगह कुलदीप राजनीति के गलियारों में कांग्रेस में जाने की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में चर्चाए हैं कि बिश्नोई परिवार कांग्रेस में हुड्‌डा विरोधी खेमे के संपर्क में है। उनके बड़े भाई चंद्रमोहन बिश्नोई पंचकूला से कांग्रेस विधायक हैं और वह सांसद कुमारी सैलजा के करीबी भी है। ऐसे में हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद चर्चाएं है कि सैलजा के SRK गुट में किरण की खाली जगह कुलदीप फिट हो सकते हैं। कुमारी सैलजा से पिछले दिनों भिवानी में जब इस पर सवाल किया तो वह हंस पड़ी और कहा कि SRK गुट मीडिया का बनाया हुआ है। उन्होंने कहा कि कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस में आने की जानकारी मुझे नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मनाने घर गए विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा चुनाव हुए थे। कुलदीप बिश्नोई हिसार से टिकट मांग रहे थे। टिकट न मिलने के बाद वह नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी के कार्यक्रमों से भी दूरी बना ली थी। कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी दूर करने के लिए खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी दिल्ली में कुलदीप बिश्नोई को मनाने पहुंचे। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आने लगे।

Nov 24, 2024 - 05:45
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कुलदीप बिश्नोई ने भाजपा से दूरी बनाई:मीटिंग और कार्यक्रमों से किनारा किया; हार के बाद पार्टी भी निमंत्रण नहीं भेज रही
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के छोटे बेटे भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी से दूरी बनाई हुई है। वह न तो भाजपा की मीटिंगों में शामिल हो रहे हैं और न ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। अब 25 नवंबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी हिसार आ रहे हैं। कुलदीप बिश्नोई की मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जाने की संभावनाएं भी काफी कम लग रही हैं। विधानसभा चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया था। वह आदमपुर और फतेहाबाद सहित कई सीटों पर जीत का दम भर रहे थे, हालांकि ऐसा नहीं हुआ। वह अधिकतर समय आदमपुर और नलवा तक ही सीमित रहे। उनके बेटे भव्य बिश्नोई अपने गढ़ आदमपुर में हार गए। जिसके बाद कहीं न कहीं उनका दबदबा भाजपा में कम होता दिख रहा है। इन सब बातों से विरोधियों को बोलने का मौका मिल रहा है, जो भाजपा को अखर रहा है। कुलदीप की भाजपा से दूरी की 3 वजह... 1. आदमपुर में हार : बिश्नोई परिवार को 57 साल बाद आदमपुर में करारी शिकस्त मिली है। भजनलाल परिवार की पहचान सदा से ही आदमपुर से रही है। कुलदीप ने आदमपुर चुनाव में भाजपा की किसी से मदद नहीं ली। यहां वह ओवर कॉन्फिडेंट रहे। भाजपा ने कुलदीप से छवि बदलने के लिए और भाजपा के तरीके से चुनाव लड़ने को कहा, लेकिन बिश्नोई परिवार अपने पुराने तरीकों से ही चुनाव लड़ा। भाजपा के कार्यकर्ताओं के बजाय खुद के वर्करों पर भरोसा रखा। जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रप्रकाश जीत गए। आदमपुर उपचुनाव में भव्य बिश्नोई के चुनाव में भाजपा पूरी तरह से सक्रिय रही थी। 2. निमंत्रण नहीं मिल रहे : आदमपुर में हार के बाद बिश्नोई परिवार को भाजपा की ओर से किसी कार्यक्रम का न तो निमंत्रण दिया जा रहा है और न ही बैठकों में विशेष रूप से आमंत्रित किया जा रहा है। हाल ही में हिसार में सदस्यता अभियान की बैठक में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली आए। इस बैठक में सभी हलकों के प्रत्याशी और विधायक शामिल हुए, लेकिन बिश्नोई परिवार इसमें शामिल नहीं हुआ। वहीं पंचकूला में 2 दिवसीय समीक्षा बैठक में भी चुनाव प्रबंधक समिति के संयोजक रहे कुलदीप बिश्नोई गैरहाजिर रहे। हारने वाले उम्मीदवारों से फीडबैक लिया गया था, लेकिन भव्य बिश्नोई नहीं पहुंचे। 3. बिश्नोई महासभा का विवाद : अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के विवाद के बाद से ही बिश्नोई परिवार राजनीति से दूर है। उनका ध्यान इस समय इस विवाद को खत्म करने पर है। बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया कुलदीप बिश्नोई से बिश्नोई रत्न की उपाधि वापस ले चुके हैं और यहां तक की संरक्षक पद से भी हटा चुके हैं। इन विवादों के चलते कुलदीप बिश्नोई कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं। सोशल मीडिया यूजर ने ली चुटकी... SRK गुट में किरण की जगह कुलदीप राजनीति के गलियारों में कांग्रेस में जाने की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में चर्चाए हैं कि बिश्नोई परिवार कांग्रेस में हुड्‌डा विरोधी खेमे के संपर्क में है। उनके बड़े भाई चंद्रमोहन बिश्नोई पंचकूला से कांग्रेस विधायक हैं और वह सांसद कुमारी सैलजा के करीबी भी है। ऐसे में हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद चर्चाएं है कि सैलजा के SRK गुट में किरण की खाली जगह कुलदीप फिट हो सकते हैं। कुमारी सैलजा से पिछले दिनों भिवानी में जब इस पर सवाल किया तो वह हंस पड़ी और कहा कि SRK गुट मीडिया का बनाया हुआ है। उन्होंने कहा कि कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस में आने की जानकारी मुझे नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मनाने घर गए विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा चुनाव हुए थे। कुलदीप बिश्नोई हिसार से टिकट मांग रहे थे। टिकट न मिलने के बाद वह नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी के कार्यक्रमों से भी दूरी बना ली थी। कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी दूर करने के लिए खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी दिल्ली में कुलदीप बिश्नोई को मनाने पहुंचे। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आने लगे।

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