गाजियाबाद में विश्व धर्म संसद कार्यक्रम खटाई में:यति नरसिंहानंद फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी ने PM मोदी को लिखा पत्र, पुलिस ने नहीं दी अनुमति
गाजियाबाद में अगले माह दिसंबर में प्रस्तावित विश्व धर्म संसद कार्यक्रम खटाई में पड़ता दिख रहा है। गाजियाबाद पुलिस प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति देने से मना कर दिया। ऐसे में बिना अनुमति कार्यक्रम होता नहीं दिख रहा है। यति नरसिंहानंद फाउंडेशन की महासचिव डॉ उदिता त्यागी ने वर्ल्ड रिलीजियस कन्वेंशन अर्थात विश्व धर्म संसद की अनुमति के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र की प्रतिलिपि केंद्रीय गृहमंत्री, केंद्रीय विदेश मंत्री, यूपी के सीएम व सम्बंधित अधिकारियों को भेजी है। अनुमति न मिलना अलोकतांत्रिक डासना मंदिर के के महंत और महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि वर्ल्ड रिलीजियस कन्वेंशन अर्थात विश्व धर्म संसद की अनुमति न मिलना अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक है। इसमें 40 देशों के अतिथियों के आने का कार्यक्रम है। यह दिसंबर माह में होनी है, जिसमें एक माह से भी कम समय बचा है। लेकिन अभी तक पुलिस प्रशासन ने कोई अनुमति नहीं दी है। आज यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी ने फिर से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वर्ल्ड रिलिजियस कन्वेंशन अर्थात विश्व धर्म संसद को अनुमति देने के लिये पत्र लिखा। डॉ उदिता त्यागी वर्ल्ड रिलीजियस कन्वेंशन अर्थात विश्व धर्म संसद की मुख्य संयोजक भी हैं। इस्लामिक जिहाद की सच्चाई सामने आनी चाहिए यह पत्र शिवशक्ति धाम डासना से महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी, यति रामस्वरूपानंद जी महाराज तथा अन्य यति सन्यासियो की मौजूदगी में जारी किया। प्रधानमंत्री को यह पत्र भेजते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि विश्वगुरु की पदवी के लिये अपना अधिकार बताने वाले सनातन धर्म के अनुयायियों का यह दायित्व है कि वो सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए इस्लामिक जिहाद की सच्चाई सम्पूर्ण विश्व के सामने लाएं। विश्व धर्म संसद इसमें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकती है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले की गम्भीरता को समझना चाहिये और अविलम्ब इस आयोजन के लिये अनुमति प्रदान करनी चाहिए। आज सम्पूर्ण विश्व के इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध वैचारिक संघर्ष करने वाले योद्धा इस आयोजन की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहे हैं। यदि सरकार ने इस आयोजन कि अनुमति नहीं दी तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा क्योंकि उससे आतंकवाद के विरुद्ध वैचारिक संघर्ष की सदैव बात करने वाले देश के रूप में हमारी छवि को बहुत धक्का लगेगा।
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