छात्र राजनीति से शुरु सफर ने संजीव को बनाया विधायक:सपा छोड़कर 2007 में भाजपा में हुए थे शामिल, संगठन में पहचान की वजह से BJP ने दिया था टिकट

गाजियाबाद में भाजपा के मौजूदा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा ने पहली बार चुनाव लड़ा। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव को एक तरफा मात दी है। संजीव शर्मा पिछले 17 साल से भाजपा में रहकर संगठन के लिए अलग अलग पदों पर रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा जनता में उनकी एक मिलनसार छवि के तौर पर लोग देखते हैं। यही वजह रही कि गाजियाबाद जैसी सीट पर उप चुनाव में वह पहली बार भाजपा से टिकट पाने में कामयाब हुए, और उन्होंने जीत दर्ज की। SSV हापुड़ से था छात्र राजनीति का शौक संजीव शर्मा ने हापुड़ के SSV कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की। इसी दौरान वह छात्र राजनीति में आ गए। पहले वह सीए बनना चाहते थे। छात्र राजनीति में आने के बाद उन्होंने पीजी की पढ़ाई की। छात्र राजनीति से ही वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। उसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने एक कार्यक्रम में साल 2007 में संजीव शर्मा को भाजपा ज्वाइन कराई। जिसके बाद संजीव शर्मा ने भाजपा में एक कार्यकर्ता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी उन्हें दी उस पर वह पूरी तरह से खरे उतरे। यही कारण रहा कि उन्हें दो बार महानगर अध्यक्ष बनाया गया, वह अभी भी मौजूदा महानगर अध्यक्ष हैं। 2007 से भाजपा में अलग अलग पदों पर रहे सपा प्रत्याशी को एक तरफा हराया गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने 69,351 वोटों से समाजवादी पार्टी को हराया। इस सीट पर भाजपा की यह तीसरी बार लगातार जीत है। 20 नवंबर को हुए उप चुनाव में 14 प्रत्याशी मैदान में थे। भाजपा के संजीव शर्मा ने 96,946 वोट प्राप्त किए। समाजवादी पार्टी के सिंह राज जाटव ने 27,595 वोट प्राप्त किए। बाकी 12 प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई। बीएसपी के परमानंद गर्ग ने 10736 वोट प्राप्त किए। नोटा पर 792 वोट पड़े। भाजपा की जीत के 5 कारण 1.भाजपा का गढ़: गाजियाबाद भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर भाजपा की जीत दर्ज हुई थी। कम वोटिंग प्रतिशत के बाद भी वह एक तरफा चुनाव जीते। पूरी पार्टी व कार्यकर्ता एकजुट नजर आए। 2. सीएम योगी की जनसभा व रोड शो भाजपा की जीत के लिए सीएम योगी ने पूरी ताकत लगाई। गाजियाबाद शहर सीट पर उप चुनाव के लिए पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की। इसी विधानसभा में पहले जनसभा कर लोगों में जोश भरा। चुनाव प्रचार खत्म होने से 2 दिन पहले सीएम के रोड शो ने पूरा माहौल बदल दिया। विपक्ष कहीं भी चुनाव में नजर नहीं आया। 3. डवलपमेंट पर वोटिंग गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पहले से वीआईपी रही है। यहां डवलपमेंट ही सबसे बड़ा मुद्दा रही है। वोटिंग के दौरान, युवा, महिलाएं, पुरुष और वृद्ध यही कहते नजर आए कि भाजपा ने बहुत विकास कराया है। यहां दूसरी पार्टी का तो चुनाव जीतने में मतलब ही नहीं है। यह भी भाजपा की जीत का महत्वपूर्ण कारण रहा। 4. विपक्ष में पहले से ही बिखराव नजर आया चुनाव प्रचार और वोटिंग के समय भी विपक्ष के नेताओं में बिखराव नजर आया। समाजवादी पार्टी प्रचार में भी कमजोर दिखी। बसपा प्रत्याशी कहीं चुनाव में दिखाई ही नहीं दिए। इसका फायदा भाजपा को मिला। 4 लाख 53 हजार इस सीट पर कुल वोटर हैं। जिनमें से 33 प्रतिशत ही वोट पड़े। 5. जातीय समीकरण शहर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण भी भाजपा के पक्ष में थे। इस सीट पर करीब 16 प्रतिशत ही मुस्लिम वोटर हैं। वोटिंग के समय मुस्लिम क्षेत्रों के बूथ भी खाली नजर आए। सपा ने यहां दलित को प्रत्याशी बनाया।

Nov 24, 2024 - 09:10
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छात्र राजनीति से शुरु सफर ने संजीव को बनाया विधायक:सपा छोड़कर 2007 में भाजपा में हुए थे शामिल, संगठन में पहचान की वजह से BJP ने दिया था टिकट
गाजियाबाद में भाजपा के मौजूदा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा ने पहली बार चुनाव लड़ा। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव को एक तरफा मात दी है। संजीव शर्मा पिछले 17 साल से भाजपा में रहकर संगठन के लिए अलग अलग पदों पर रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा जनता में उनकी एक मिलनसार छवि के तौर पर लोग देखते हैं। यही वजह रही कि गाजियाबाद जैसी सीट पर उप चुनाव में वह पहली बार भाजपा से टिकट पाने में कामयाब हुए, और उन्होंने जीत दर्ज की। SSV हापुड़ से था छात्र राजनीति का शौक संजीव शर्मा ने हापुड़ के SSV कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की। इसी दौरान वह छात्र राजनीति में आ गए। पहले वह सीए बनना चाहते थे। छात्र राजनीति में आने के बाद उन्होंने पीजी की पढ़ाई की। छात्र राजनीति से ही वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। उसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने एक कार्यक्रम में साल 2007 में संजीव शर्मा को भाजपा ज्वाइन कराई। जिसके बाद संजीव शर्मा ने भाजपा में एक कार्यकर्ता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी उन्हें दी उस पर वह पूरी तरह से खरे उतरे। यही कारण रहा कि उन्हें दो बार महानगर अध्यक्ष बनाया गया, वह अभी भी मौजूदा महानगर अध्यक्ष हैं। 2007 से भाजपा में अलग अलग पदों पर रहे सपा प्रत्याशी को एक तरफा हराया गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने 69,351 वोटों से समाजवादी पार्टी को हराया। इस सीट पर भाजपा की यह तीसरी बार लगातार जीत है। 20 नवंबर को हुए उप चुनाव में 14 प्रत्याशी मैदान में थे। भाजपा के संजीव शर्मा ने 96,946 वोट प्राप्त किए। समाजवादी पार्टी के सिंह राज जाटव ने 27,595 वोट प्राप्त किए। बाकी 12 प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई। बीएसपी के परमानंद गर्ग ने 10736 वोट प्राप्त किए। नोटा पर 792 वोट पड़े। भाजपा की जीत के 5 कारण 1.भाजपा का गढ़: गाजियाबाद भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर भाजपा की जीत दर्ज हुई थी। कम वोटिंग प्रतिशत के बाद भी वह एक तरफा चुनाव जीते। पूरी पार्टी व कार्यकर्ता एकजुट नजर आए। 2. सीएम योगी की जनसभा व रोड शो भाजपा की जीत के लिए सीएम योगी ने पूरी ताकत लगाई। गाजियाबाद शहर सीट पर उप चुनाव के लिए पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की। इसी विधानसभा में पहले जनसभा कर लोगों में जोश भरा। चुनाव प्रचार खत्म होने से 2 दिन पहले सीएम के रोड शो ने पूरा माहौल बदल दिया। विपक्ष कहीं भी चुनाव में नजर नहीं आया। 3. डवलपमेंट पर वोटिंग गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पहले से वीआईपी रही है। यहां डवलपमेंट ही सबसे बड़ा मुद्दा रही है। वोटिंग के दौरान, युवा, महिलाएं, पुरुष और वृद्ध यही कहते नजर आए कि भाजपा ने बहुत विकास कराया है। यहां दूसरी पार्टी का तो चुनाव जीतने में मतलब ही नहीं है। यह भी भाजपा की जीत का महत्वपूर्ण कारण रहा। 4. विपक्ष में पहले से ही बिखराव नजर आया चुनाव प्रचार और वोटिंग के समय भी विपक्ष के नेताओं में बिखराव नजर आया। समाजवादी पार्टी प्रचार में भी कमजोर दिखी। बसपा प्रत्याशी कहीं चुनाव में दिखाई ही नहीं दिए। इसका फायदा भाजपा को मिला। 4 लाख 53 हजार इस सीट पर कुल वोटर हैं। जिनमें से 33 प्रतिशत ही वोट पड़े। 5. जातीय समीकरण शहर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण भी भाजपा के पक्ष में थे। इस सीट पर करीब 16 प्रतिशत ही मुस्लिम वोटर हैं। वोटिंग के समय मुस्लिम क्षेत्रों के बूथ भी खाली नजर आए। सपा ने यहां दलित को प्रत्याशी बनाया।

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