डॉ. रमेश कुमार KGMU से निष्कासित:प्राइवेट प्रैक्टिस के दौरान मरीज की मौत के बाद परिजनों ने की थी शिकायत, जांच के आदेश पर हुई कार्रवाई

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने ईएनटी विभाग के डॉ. रमेश कुमार को प्राइवेट प्रैक्टिस और अनुशासनहीनता के गंभीर आरोपों के चलते विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया है। यह निर्णय कुलपति द्वारा गठित विशेष जांच समिति की सिफारिश पर लिया गया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) की अध्यक्षता में गठित इस समिति में प्रॉक्टर, ईएनटी विभागाध्यक्ष, कुलसचिव, और चिकित्सा अधीक्षक सदस्य के रूप में शामिल थे। डॉ. रमेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने केजीएमयू की नियमावली का उल्लंघन करते हुए खदरा स्थित केडी अस्पताल में एक मरीज को भर्ती कराया और उसका इलाज किया। इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद मृतक के परिजनों ने केजीएमयू प्रशासन से शिकायत की, जिसमें प्राइवेट प्रैक्टिस और इलाज में लापरवाही के आरोप लगाए गए थे। डिप्टी सीएम ने लिया था संज्ञान इस मामले को लेकर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने तुरंत संज्ञान लिया और कहा, "इस प्रकार की घटनाएं संस्थान, विभाग और सरकार की छवि को धूमिल करती हैं। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।" डिप्टी सीएम ने न केवल केजीएमयू प्रशासन को निर्देश दिए, बल्कि सीएमओ को खदरा स्थित केडी अस्पताल की व्यवस्थाओं और भूमिका की जांच करने का भी आदेश दिया है। उन्होंने एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की है। जांच समिति की सिफारिश पर कार्रवाई जांच समिति ने डॉ. रमेश कुमार को प्रथम दृष्टया दोषी पाया और उनकी प्राइवेट प्रैक्टिस को नियमों का उल्लंघन करार दिया। समिति की सिफारिश पर केजीएमयू प्रशासन ने डॉ. रमेश कुमार को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया। डिप्टी सीएम का निर्देश: निजी अस्पतालों पर होगी कड़ी निगरानी डिप्टी सीएम ने खदरा स्थित केडी अस्पताल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए वहां की व्यवस्थाओं की जांच के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी संस्थानों के डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायतें गंभीर हैं और इस पर सख्त कार्रवाई होगी।

Nov 16, 2024 - 19:20
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डॉ. रमेश कुमार KGMU से निष्कासित:प्राइवेट प्रैक्टिस के दौरान मरीज की मौत के बाद परिजनों ने की थी शिकायत, जांच के आदेश पर हुई कार्रवाई
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने ईएनटी विभाग के डॉ. रमेश कुमार को प्राइवेट प्रैक्टिस और अनुशासनहीनता के गंभीर आरोपों के चलते विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया है। यह निर्णय कुलपति द्वारा गठित विशेष जांच समिति की सिफारिश पर लिया गया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) की अध्यक्षता में गठित इस समिति में प्रॉक्टर, ईएनटी विभागाध्यक्ष, कुलसचिव, और चिकित्सा अधीक्षक सदस्य के रूप में शामिल थे। डॉ. रमेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने केजीएमयू की नियमावली का उल्लंघन करते हुए खदरा स्थित केडी अस्पताल में एक मरीज को भर्ती कराया और उसका इलाज किया। इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद मृतक के परिजनों ने केजीएमयू प्रशासन से शिकायत की, जिसमें प्राइवेट प्रैक्टिस और इलाज में लापरवाही के आरोप लगाए गए थे। डिप्टी सीएम ने लिया था संज्ञान इस मामले को लेकर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने तुरंत संज्ञान लिया और कहा, "इस प्रकार की घटनाएं संस्थान, विभाग और सरकार की छवि को धूमिल करती हैं। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।" डिप्टी सीएम ने न केवल केजीएमयू प्रशासन को निर्देश दिए, बल्कि सीएमओ को खदरा स्थित केडी अस्पताल की व्यवस्थाओं और भूमिका की जांच करने का भी आदेश दिया है। उन्होंने एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की है। जांच समिति की सिफारिश पर कार्रवाई जांच समिति ने डॉ. रमेश कुमार को प्रथम दृष्टया दोषी पाया और उनकी प्राइवेट प्रैक्टिस को नियमों का उल्लंघन करार दिया। समिति की सिफारिश पर केजीएमयू प्रशासन ने डॉ. रमेश कुमार को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया। डिप्टी सीएम का निर्देश: निजी अस्पतालों पर होगी कड़ी निगरानी डिप्टी सीएम ने खदरा स्थित केडी अस्पताल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए वहां की व्यवस्थाओं की जांच के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी संस्थानों के डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायतें गंभीर हैं और इस पर सख्त कार्रवाई होगी।

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