नदी में गिरने से पहले फिल्टर होगा नालों का पानी:मऊ में तमसा नदी को साफ करने की कवायद, 3 महीने में पूरा होगा काम
मऊ में जल्द ही शहर के नालों का गंदा पानी नई तकनीक से फिल्टर होकर तमसा नदी में गिरेगा। पहले चरण में 32 लाख की लागत से नदी में गिरने वाले दो नालों पर फाइटोरेमेडिएशन तकनीक से शुद्ध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लगभग तीन माह में निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इससे तमसा नदी के पानी को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा। जनपद में 57 किलोमीटर लंबाई में प्रवाहित होने वाली तमसा नदी में भदेसरा से लेकर भीटी तक 16 नाले गिरते हैं। नगर क्षेत्र के नालों से प्रतिदिन निकलने वाले गंदे पानी से तमसा नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए नगर पालिका प्रशासन की तरफ से कवायद तेज हो गई है। सबसे ज्यादा नाले का गंदा पानी नगर क्षेत्र के दो नालों से गिरता है। प्रथम चरण में नगर क्षेत्र के भदेसरा, बेलवाघाट पर गिरने वाले नाले पर 32 लाख रुपये की लागत से फाइटोरेमेडिएशन तकनीक से शुद्ध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नई तकनीक से तीन हौज का निर्माण होगा। तीनों हौज एक दूसरे से कनेक्ट होंगे। अंतिम हौज से गिरने वाला नाले का गंदा पानी फिल्टर होकर नदी में गिरेगा। इस प्रक्रिया से तमसा नदी का पानी कम प्रदूषित होगा। नुकसान पर पाया जाएगा काबू इसको लेकर नगर पालिका के चेयरमैन अरशद जमाल ने बताया कि नाले के पानी को साफ करने की यह नई तकनीक सभी नालों पर स्थापित करने की योजना है। इससे नगर के नालों से होने वाले नुकसान पर काबू पाया जा सकेगा। गत तीन वर्षों से पालिका की तरफ से नालों के गंदे पानी का बायोरेमिडिएशन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। पानी की गंदगी करते हैं अवशोषित इस तकनीकी से नालों में एक विशेष प्रकार के पौधे रोपित किए जाते हैं। ये पौधे अनवरत पानी में तैरते रहते हैं। पौधे नालों में पानी की सतह कम और अधिक होने पर पानी की ऊपरी सतह पर ही तैरते रहते हैं। इस दौरान निकासी वाले पानी की गंदगी को अवशोषित करते रहते हैं। इससे पानी में विलीन विषाक्त पदार्थों को अपने प्रयोग में लेकर प्राकृतिक तौर पर पानी की गंदगी को साफ कर देते हैं।
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