दहेज हत्या के मामले में पति को 10 साल कैद:इटावा में 20 साल पुराने मामले में कोर्ट का फैसला, 7 हजार का जुर्माना भी लगाया

इटावा में 20 साल पुराने दहेज हत्या के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम रूपेंद्र सिंह टौंगर ने आरोपी पति को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई। साथ ही, न्यायालय ने दोषी पर ₹7,000 का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को दो महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। शासकीय अधिवक्ता अजीत तोमर ने जानकारी दी कि यह मामला चौबिया थाने का है। 17 अप्रैल 2000 को वीरेंद्र कुमार तिवारी ने अपनी बेटी मीना की शादी दिलीप कुमार दुवे से की थी। शादी के बाद से ही ससुराल पक्ष दहेज को लेकर असंतुष्ट था। वे बार-बार दहेज में बाइक की मांग कर रहे थे। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो ससुराल पक्ष ने मीना का उत्पीड़न शुरू कर दिया। रिश्तेदारों के समझाने पर मीना को ससुराल ले जाया गया, लेकिन 31 दिसंबर 2003 को सूचना मिली कि मीना जली हुई अवस्था में अस्पताल में है। मौके पर पहुंचे पिता ने मीना का बयान लिया, जिसमें उसने बताया कि ससुराल वालों ने मारपीट के बाद उसे जलाने की कोशिश की। गंभीर हालत में उसे लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 21 फरवरी 2004 को उसकी मौत हो गई। घटना के बाद चौबिया थाने में पति दिलीप और उसकी बुआ के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और हत्या का मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने जांच के बाद चार्जशीट फाइल की। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट में गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी के खिलाफ मजबूत पक्ष रखा। न्यायालय ने आरोपी दिलीप को दोषी ठहराते हुए उसे 10 साल की सजा और ₹7,000 का जुर्माना लगाया। इस फैसले से दहेज उत्पीड़न और हत्या के मामलों में न्याय की उम्मीद रखने वाले परिवारों को प्रेरणा मिलेगी। कोर्ट का यह निर्णय दहेज प्रथा के खिलाफ एक सख्त संदेश है।

Nov 27, 2024 - 18:25
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दहेज हत्या के मामले में पति को 10 साल कैद:इटावा में 20 साल पुराने मामले में कोर्ट का फैसला, 7 हजार का जुर्माना भी लगाया
इटावा में 20 साल पुराने दहेज हत्या के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम रूपेंद्र सिंह टौंगर ने आरोपी पति को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई। साथ ही, न्यायालय ने दोषी पर ₹7,000 का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को दो महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। शासकीय अधिवक्ता अजीत तोमर ने जानकारी दी कि यह मामला चौबिया थाने का है। 17 अप्रैल 2000 को वीरेंद्र कुमार तिवारी ने अपनी बेटी मीना की शादी दिलीप कुमार दुवे से की थी। शादी के बाद से ही ससुराल पक्ष दहेज को लेकर असंतुष्ट था। वे बार-बार दहेज में बाइक की मांग कर रहे थे। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो ससुराल पक्ष ने मीना का उत्पीड़न शुरू कर दिया। रिश्तेदारों के समझाने पर मीना को ससुराल ले जाया गया, लेकिन 31 दिसंबर 2003 को सूचना मिली कि मीना जली हुई अवस्था में अस्पताल में है। मौके पर पहुंचे पिता ने मीना का बयान लिया, जिसमें उसने बताया कि ससुराल वालों ने मारपीट के बाद उसे जलाने की कोशिश की। गंभीर हालत में उसे लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 21 फरवरी 2004 को उसकी मौत हो गई। घटना के बाद चौबिया थाने में पति दिलीप और उसकी बुआ के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और हत्या का मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने जांच के बाद चार्जशीट फाइल की। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट में गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी के खिलाफ मजबूत पक्ष रखा। न्यायालय ने आरोपी दिलीप को दोषी ठहराते हुए उसे 10 साल की सजा और ₹7,000 का जुर्माना लगाया। इस फैसले से दहेज उत्पीड़न और हत्या के मामलों में न्याय की उम्मीद रखने वाले परिवारों को प्रेरणा मिलेगी। कोर्ट का यह निर्णय दहेज प्रथा के खिलाफ एक सख्त संदेश है।

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