पूर्व CJI बोले- ज्यूडिशियरी विपक्ष का रोल नहीं निभाती:राहुल ने कहा था- हम मीडिया और न्यायपालिका की तरफ से काम कर रहे हैं
पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने ANI को दिए इंटरव्यू में कहा- लोकतंत्र में विपक्ष का स्पेस अलग है। कुछ लोग न्यायपालिका के कंधों पर बंदूक रखकर गोली चलाना चाहते हैं। वे कोर्ट को विपक्ष में बदलना चाहते हैं, लेकिन न्यायपालिका कानूनों की जांच करने के लिए है। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले ज्यूडिशियरी के काम करने के तौर पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि ज्यूडिशियरी का काम भी विपक्ष ने ले लिया है। हम मीडिया, जांच एजेंसी और न्यायपालिका का काम कर रहे हैं। राहुल के इसी बयान का जवाब देते हुए CJI ने कहा- मैं राहुल गांधी के साथ बहस नहीं करना चाहता, लेकिन लोगों को यह नहीं मानना चाहिए कि न्यायपालिका को संसद या विधानसभाओं में विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए। यह गलत धारणा है। इसे बदलना चाहिए। हमारा दायित्व है कि हमें जाचें कि कानून संविधान के अनुरूप बना है कि नहीं। ऐसे कई मौके हैं, जब हमारी नेता विपक्ष से मुलाकात होती हैं। किसी विशेष पद पर नियुक्ति के लिए चयन समिति में PM, नेता विपक्ष और CJI को होना होता है। ऐसी मीटिंग में हम किसी मुद्दे पर चर्चा जरूर करते हैं, लेकिन हम भी इंसान ही हैं। हम 10 मिनट के लिए चाय पर चर्चा क्रिकेट से लेकर नई मूवी तक सबकुछ डिसकस कर लेते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ से 5 सवाल जवाब... सवाल: PM आपके घर गणेश पूजन के लिए आए थे। इसका राजनीतिक पार्टियों ने विरोध किया जस्टिस चंद्रचूड़: CJI के घर पर गणेश पूजन में PM के शामिल होने पर CJI ने कहा- यह कोई अनोखी बात नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कोई प्रधानमंत्री सामाजिक अवसरों पर न्यायधिशों के घर गए हैं। हमने जो काम किया है, उसके आधार पर हमारा मूल्यांकन होना चाहिए। PM का मेरे घर पर एक सामाजिक शिष्टाचार का मामला है। सबको इसका पालन करना चाहिए। इन मुलाकातों से हमारे काम पर फर्क नहीं पड़ता है। सवाल: पेंडिंग केस के लिए ज्यूडिशियरी को क्या करना चाहिए जस्टिस चंद्रचूड़: भारत जजों का पॉपुलेशन से रेशियो बहुत कम है। विश्व के कई देश हमसे आगे हैं। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जिस हिसाब से मामले आते हैं, उस हिसाब से कई जजों की संख्या कम है। फिलहाल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स में 21 प्रतिशत पोस्ट खाली पड़ी हैं। इसके लिए सरकारों को निवेश करना पड़ता है, जो नहीं किया जा रहा है। जजों की संख्या बढ़ाने के लिए ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम होना चाहिए। हालांकि, इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा। क्योंकि जंजों कि नियुक्ति गवर्नर देखते हैं। सवाल: आरोप लगते हैं कि न्यायपालिका गरीब जनता के लिए नहीं है जस्टिस चंद्रचूड़: सुप्रीम कोर्ट अमीर लोगों के लिए नहीं है। यह गरीबों की समस्याओं को भी निपटाता है। सुप्रीम कोर्ट में एक के बाद एक बेंच हैं जो छोटे से छोटे लोगों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करती हैं। पिछले दो सालों में जब मैं सुप्रीम कोर्ट का जज था, 21,000 जमानत याचिकाएं दायर की गईं। ये आम नागरिकों की जमानत याचिकाएं हैं। हमने 21,358 जमानत याचिकाओं का निपटारा किया है। दायर की गई याचिकाओं से भी ज्यादा निपटाई है। सवाल: न्यायपालिका पर धार्मिक भेदभाव का भी आरोप लगता है, इस पर आप क्या कहेंगे जस्टिस चंद्रचूड़: आप जमानत दिए गए लोगों की धर्म देख सकते हैं। कोई भेदभाव नहीं होता है। जमानत का किसी व्यक्ति विशेष के धर्म से कोई लेना-देना नहीं होता है, हालांकि, किसी व्यक्तिगत मामले में जमानत देना या न देना उस बेंच पर निर्भर करता है, जो मामले की सुनवाई करती है। सवाल: निर्दोष लोगों को लंबे समय तक जमानत न मिलने पर आप क्या कहेंगे जस्टिस चंद्रचूड़: आजकल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जमानत आसानी से नहीं दी जा रही है। डिस्ट्रिक्ट जज को लगता है कि किसी मामले में उन्होंने जमानत दे दी, तो उन पर आरोप लग जाएंगे कि उन्होंने किसी दबाव के चलते जमानत दी है। जैसे हाइकोर्ट के जजों की रक्षा के लिए नियम बने हैं, वैसे ही डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जजों की भी सुरक्षा होनी चाहिए। इससे यह समस्या का समाधान निकल सकता है। अगर जिला न्यायपालिका में कोई जज गलत तरीके से जमानत देता है, तो जाहिर है कि हाई कोर्ट उसमें सुधार कर सकता है, लेकिन फिर हम उन जजों को निशाना नहीं बनाएंगे जिन्होंने जमानत दी है।
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