बलरामपुर में 4 को 3-3 साल की सजा:शीशम के पेड़ की चोरी और मारपीट का मामला, 9 साल बाद आया फैसला

बलरामपुर जिला न्यायालय ने शीशम के पेड़ की चोरी और जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल कर मारपीट करने के मामले में चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल के कारावास और चार-चार हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला घटना के नौ साल बाद आया है, जिससे पीड़ित को न्याय मिला। क्या है मामला? घटना 7 फरवरी 2015 की है। पीड़ित प्रभु दयाल पुत्र राम हरक कोरी, निवासी बेलीखुर्द ने थाना तुलसीपुर में शिकायत दर्ज कराई थी कि चारों आरोपी – शंकर नाथ दुबे, नागा उर्फ नागमणि, सिद्धनाथ दुबे, और करीके उर्फ इंद्रमणि ने उसके तीन शीशम के पेड़ चोरी से काट लिए। जब उसने विरोध किया, तो आरोपियों ने जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज और मारपीट की। पंजीकरण और जांच थाना तुलसीपुर में वादी की तहरीर पर मुकदमा संख्या 148/15 के तहत धारा 379, 323, 504, 506 और 3(1)(X) एससी/एसटी एक्ट व उत्तर प्रदेश ब्रिज संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। कोर्ट में चले 9 साल तक मुकदमे मुकदमे के दौरान दोनों पक्षों ने अदालत में गवाह और साक्ष्य पेश किए। न्यायालय ने इन गवाहियों और साक्ष्यों के आधार पर चारों आरोपियों को दोषी माना। अदालत ने कहा कि आरोपी चोरी, जाति आधारित दुर्व्यवहार और मारपीट के अपराध में लिप्त पाए गए हैं। न्यायालय ने चारों आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा और चार-चार हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना न चुकाने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 9 साल बाद पीड़ित को न्याय यह फैसला 9 साल बाद आया है, जो पीड़ित के लिए न्याय की जीत है। इस मामले को बलरामपुर जिले में कानून और न्याय की मजबूती का एक उदाहरण माना जा रहा है।

Nov 30, 2024 - 21:05
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बलरामपुर में 4 को 3-3 साल की सजा:शीशम के पेड़ की चोरी और मारपीट का मामला, 9 साल बाद आया फैसला
बलरामपुर जिला न्यायालय ने शीशम के पेड़ की चोरी और जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल कर मारपीट करने के मामले में चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल के कारावास और चार-चार हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला घटना के नौ साल बाद आया है, जिससे पीड़ित को न्याय मिला। क्या है मामला? घटना 7 फरवरी 2015 की है। पीड़ित प्रभु दयाल पुत्र राम हरक कोरी, निवासी बेलीखुर्द ने थाना तुलसीपुर में शिकायत दर्ज कराई थी कि चारों आरोपी – शंकर नाथ दुबे, नागा उर्फ नागमणि, सिद्धनाथ दुबे, और करीके उर्फ इंद्रमणि ने उसके तीन शीशम के पेड़ चोरी से काट लिए। जब उसने विरोध किया, तो आरोपियों ने जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज और मारपीट की। पंजीकरण और जांच थाना तुलसीपुर में वादी की तहरीर पर मुकदमा संख्या 148/15 के तहत धारा 379, 323, 504, 506 और 3(1)(X) एससी/एसटी एक्ट व उत्तर प्रदेश ब्रिज संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। कोर्ट में चले 9 साल तक मुकदमे मुकदमे के दौरान दोनों पक्षों ने अदालत में गवाह और साक्ष्य पेश किए। न्यायालय ने इन गवाहियों और साक्ष्यों के आधार पर चारों आरोपियों को दोषी माना। अदालत ने कहा कि आरोपी चोरी, जाति आधारित दुर्व्यवहार और मारपीट के अपराध में लिप्त पाए गए हैं। न्यायालय ने चारों आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा और चार-चार हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना न चुकाने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 9 साल बाद पीड़ित को न्याय यह फैसला 9 साल बाद आया है, जो पीड़ित के लिए न्याय की जीत है। इस मामले को बलरामपुर जिले में कानून और न्याय की मजबूती का एक उदाहरण माना जा रहा है।

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