बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना रहा:जस्टिस गवई बोले- हर आदमी का सपना होता है आशियाना हो, क्या इसे छीन सकते हैं

बुलडोजर एक्शन मामले में सु्प्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को फैसला सुना रहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच के पास है। बेंच ने 1 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब बेंच ने साफ किया था कि फैसला आने तक देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा, "एक आदमी हमेशा सपना देखता है कि उसका आशियाना कभी ना छीना जाए। हर एक का सपना होता है कि घर पर छत हो। क्या अधिकारी ऐसे आदमी की छत ले सकते हैं, जो किसी अपराध में आरोपी हो। हमारे सामने सवाल यही है। कोई आरोपी हो या फिर दोषी हो, क्या उसका घर बिना तय प्रक्रिया का पालन किए गिराया जा सकता है? हमने क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में न्याय के मुद्दे पर विचार किया। और यह भी कि किसी भी आरोपी पर पहले से फेैसला नहीं किया जा सकता। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखी थीं। पिछली सुनवाई में उन्होंने कहा था- बुलडोजर एक्शन के दौरान आरोप लग रहे हैं कि समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। जो भी गाइडलाइन बनाएंगे, वो सभी के लिए होगी। 1 अक्टूबर की सुनवाई में कोर्टरूम की 5 अहम बातें... सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता- मैं उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की ओर से पेश हुआ हूं, लेकिन बेंच ने कहा है कि गाइडलाइन पूरे देश के लिए होगी इसलिए मेरे कुछ सुझाव हैं। बहुत सारी चीजों पर ध्यान दिया गया है। अगर कोई आदमी किसी अपराध में दोषी है तो यह बुलडोजर एक्शन का आधार नहीं है। जस्टिस गवई- अगर वो दोषी है, तो क्या यह बुलडोजर एक्शन का आधार हो सकता है? सॉलिसिटर जनरल- नहीं। आपने कहा था कि नोटिस इश्यू किया जाना चाहिए। ज्यादातर म्युनिसिपल कानूनों में केस के हिसाब से नोटिस जारी करने की व्यवस्था होती है। आप देख सकते हैं कि नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भेजा गया है। नोटिस में जिक्र होना चाहिए कि किस कानून का उल्लंघन किया गया है। जस्टिस गवई- हां एक राज्य में भी अलग-अलग कानून हो सकते हैं। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम जो भी गाइडलाइन बनाएंगे वह पूरे देश के लिए होगी। जस्टिस विश्वनाथन- इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। इसे डिजिटलाइज कीजिए। अफसर भी सेफ रहेगा। नोटिस भेजने और सर्विस की स्थिति भी पोर्टल पर रहेगी। बुलडोजर एक्शन पर पिछली 3 सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियां ............... बुलडोजर एक्शन और सुप्रीम कोर्ट की ये खबरें भी पढ़ें... एमपी में 2 साल में 12 हजार बार बुलडोजर एक्शन, कमलनाथ ने किया ट्रायल, शिवराज ने स्पीड दी, मोहन भी इसी राह पर क्यों मध्य प्रदेश में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी। उस समय बुलडोजर विकास का प्रतीक था। पूर्व सीएम बाबूलाल गौर ने पटवा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया था। साल 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उन्होंने बुलडोजर को कानून व्यवस्था से जोड़ दिया। यूपी के इस मॉडल को 2018 में मप्र की कमलनाथ सरकार ने अपनाया। एमपी में जब शिवराज सरकार की वापसी हुई तो बुलडोजर की स्पीड बढ़ गई। पूरी खबर पढ़ें... AMU अल्पसंख्यक दर्जे पर नई बेंच फैसला करेगी:सुप्रीम कोर्ट ने 1967 का फैसला पलटा; जिसमें कहा था- यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी, माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट नहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला अब 3 जजों की नई बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से 1967 के अपने ही फैसले को पलट दिया। 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई संस्थान सिर्फ इसलिए अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं खो सकता, क्योंकि उसे केंद्रीय कानून के तहत बनाया गया है। 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने अजीज बाशा बनाम केंद्र सरकार के केस में कहा था कि केंद्रीय कानूनों के तहत बना संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान का दावा नहीं कर सकता। पूरी खबर पढ़ें...

Nov 13, 2024 - 10:50
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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना रहा:जस्टिस गवई बोले- हर आदमी का सपना होता है आशियाना हो, क्या इसे छीन सकते हैं
बुलडोजर एक्शन मामले में सु्प्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को फैसला सुना रहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच के पास है। बेंच ने 1 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब बेंच ने साफ किया था कि फैसला आने तक देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा, "एक आदमी हमेशा सपना देखता है कि उसका आशियाना कभी ना छीना जाए। हर एक का सपना होता है कि घर पर छत हो। क्या अधिकारी ऐसे आदमी की छत ले सकते हैं, जो किसी अपराध में आरोपी हो। हमारे सामने सवाल यही है। कोई आरोपी हो या फिर दोषी हो, क्या उसका घर बिना तय प्रक्रिया का पालन किए गिराया जा सकता है? हमने क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में न्याय के मुद्दे पर विचार किया। और यह भी कि किसी भी आरोपी पर पहले से फेैसला नहीं किया जा सकता। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखी थीं। पिछली सुनवाई में उन्होंने कहा था- बुलडोजर एक्शन के दौरान आरोप लग रहे हैं कि समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। जो भी गाइडलाइन बनाएंगे, वो सभी के लिए होगी। 1 अक्टूबर की सुनवाई में कोर्टरूम की 5 अहम बातें... सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता- मैं उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की ओर से पेश हुआ हूं, लेकिन बेंच ने कहा है कि गाइडलाइन पूरे देश के लिए होगी इसलिए मेरे कुछ सुझाव हैं। बहुत सारी चीजों पर ध्यान दिया गया है। अगर कोई आदमी किसी अपराध में दोषी है तो यह बुलडोजर एक्शन का आधार नहीं है। जस्टिस गवई- अगर वो दोषी है, तो क्या यह बुलडोजर एक्शन का आधार हो सकता है? सॉलिसिटर जनरल- नहीं। आपने कहा था कि नोटिस इश्यू किया जाना चाहिए। ज्यादातर म्युनिसिपल कानूनों में केस के हिसाब से नोटिस जारी करने की व्यवस्था होती है। आप देख सकते हैं कि नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भेजा गया है। नोटिस में जिक्र होना चाहिए कि किस कानून का उल्लंघन किया गया है। जस्टिस गवई- हां एक राज्य में भी अलग-अलग कानून हो सकते हैं। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम जो भी गाइडलाइन बनाएंगे वह पूरे देश के लिए होगी। जस्टिस विश्वनाथन- इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। इसे डिजिटलाइज कीजिए। अफसर भी सेफ रहेगा। नोटिस भेजने और सर्विस की स्थिति भी पोर्टल पर रहेगी। बुलडोजर एक्शन पर पिछली 3 सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियां ............... बुलडोजर एक्शन और सुप्रीम कोर्ट की ये खबरें भी पढ़ें... एमपी में 2 साल में 12 हजार बार बुलडोजर एक्शन, कमलनाथ ने किया ट्रायल, शिवराज ने स्पीड दी, मोहन भी इसी राह पर क्यों मध्य प्रदेश में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी। उस समय बुलडोजर विकास का प्रतीक था। पूर्व सीएम बाबूलाल गौर ने पटवा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया था। साल 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उन्होंने बुलडोजर को कानून व्यवस्था से जोड़ दिया। यूपी के इस मॉडल को 2018 में मप्र की कमलनाथ सरकार ने अपनाया। एमपी में जब शिवराज सरकार की वापसी हुई तो बुलडोजर की स्पीड बढ़ गई। पूरी खबर पढ़ें... AMU अल्पसंख्यक दर्जे पर नई बेंच फैसला करेगी:सुप्रीम कोर्ट ने 1967 का फैसला पलटा; जिसमें कहा था- यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी, माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट नहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला अब 3 जजों की नई बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से 1967 के अपने ही फैसले को पलट दिया। 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई संस्थान सिर्फ इसलिए अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं खो सकता, क्योंकि उसे केंद्रीय कानून के तहत बनाया गया है। 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने अजीज बाशा बनाम केंद्र सरकार के केस में कहा था कि केंद्रीय कानूनों के तहत बना संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान का दावा नहीं कर सकता। पूरी खबर पढ़ें...

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