मणिपुर हिंसा- 3 जिलों में कर्फ्यू में ढील, इंटरनेट बहाल:खड़गे ने राष्ट्रपति को लिखा- जल्द दखल दें; गृह मंत्रालय को आज रिपोर्ट सौंपेगा पैनल
मणिपुर की इंफाल घाटी के तीन जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू में ढील दे दी गई है। सरकार ने ब्रॉडबैंड सेवाओं पर से तीन दिन बाद सशर्त रूप से प्रतिबंध हटा लिया। मोबाइल इंटरनेट अभी भी बैन है। जरूरी चीजों की खरीद को आसान बनाने के लिए इंफाल पूर्व, पश्चिम और काकचिंग में सुबह 5 बजे से 10 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई। लोगों का इकट्ठा होना, आवाजाही और धरना-प्रदर्शन पर प्रतिबंध है। इधर, केंद्र सरकार ने मणिपुर हिंसा की जांच कर रहे आयोग को 20 नवंबर तक का समय दिया था। पैनल आज अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मणिपुर मुद्दे पर दखल देने की मांग की है। 2 पेज के लेटर में लिखा है- आप संविधान की संरक्षक हैं, इसलिए जल्द दखल दें। राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेट मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति (COCOMI) ने विधायकों के प्रस्तावों की समीक्षा के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। ऐसा न करने पर उन्होंने आंदोलन तेज करने की धमकी दी। COCOMI प्रवक्ता के. अथौबा ने कहा, "मणिपुर के लोग प्रस्तावों से संतुष्ट नहीं हैं, जिसमें जिरीबाम में नागरिकों की हत्या में शामिल कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की बात कही गई है। हम राज्य के सभी हिस्सों में SOO समूहों के खिलाफ अभियान चलाने की मांग कर रहे हैं। वे 24 घंटे के भीतर प्रस्तावों की समीक्षा करें, ऐसा न करने पर हम अपना आंदोलन तेज करेंगे।" अथौबा ने कहा- यदि प्रस्ताव में संशोधन कर हमारी मांगें नहीं जोड़ीं तो कल से राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों पर ताले लगाए जाएंगे। हमारी तीन मांगें हैं। प्रस्ताव में सिर्फ एक जोड़ी गई। यदि कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सख्त एक्शन पर फैसला नहीं हुआ तो हम भी नहीं रुकेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष का राष्ट्रपति को खत- जल्द दखल दें इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मणिपुर मुद्दे पर दखल देने की मांग की है। मंगलवार को लिखे दो पेज के पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि 18 महीने में केंद्र और राज्य की सरकार मणिपुर में शांति स्थापित करने में असफल रही है। आप संविधान की संरक्षक हैं, इसलिए दखल दें। एनडीए की मीटिंग से गायब रहे 18 विधायक, सभी को नोटिस राज्य में बिगड़ने हालातों पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा बुलाई गई एनडीए की बैठक में 18 विधायक नहीं पहुंचे। इनमें से 7 दिन तबीयत खराब होने की बात कही, जबकि बाकी 11 बिना किसी कारण अनुपस्थित रहे। इसलिए इन्हें सीएम सचिवालय ने उन्हें नोटिस जारी किया है। कुकी उग्रवादियों के समर्थन में निकाला ताबूत मार्च मणिपुर में 11 नवंबर को सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे गए 10 कुकी उग्रवादियों के लिए न्याय की मांग करते हुए कुकी समुदाय लगातार प्रदर्शन कर रहा है। मंगलवार को भी जिरिबाम और चुराचांदपुर जिले में सैकड़ों लोगों ने 10 खाली ताबूत लेकर मार्च निकाला। पिछले हफ्ते जिरिबाम के बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन और पास के जकुराधोर में CRPF कैंप पर वर्दीधारी उग्रवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी। इसके बाद सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में दस संदिग्ध उग्रवादी मारे गए। हालांकि कुकी समुदाय का कहना है कि वे लोग विलेज वॉलंटियर्स थे। मणिपुर में दोबारा हालात क्यों बिगड़े मणिपुर में नवंबर में हुईं हिंसक घटनाएं मणिपुर में हिंसा के 560 दिन कुकी-मैतेई के बीच 560 से ज्यादा दिनों से हिंसा जारी है। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत। ........................................................... मणिपुर में हिंसा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... मणिपुर के 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि इन इलाकों में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के चलते फैसला लिया गया। AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें ...
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