मेरठ के सुभारती यूनिवर्सिटी में कांपटेटिव एग्जाम पर रोक:STF के लेटर पर कार्रवाई करते हुए एनटीए को भेजी गई चिट्ठी, सीएसआईआर के पेपर में पकड़ी थी नकल
मेरठ के सुभारती यूनिवर्सिटी में अब किसी प्रकार के कांपटेटिव एग्जाम्स नहीं होंगे। यहां पिछले दिनों औद्योगिक अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (सीएसआइआर नेट) परीक्षा में नकल पकड़ी गई थी। एसटीएफ लखनऊ की यूनिट ने चलती परीक्षा के बीच अचानक यूनिवर्सिटी में बने एग्जाम सेंटर में छापा मारा। तो वहां परीक्षा में सेंधमारी मिली थी। तब सुभारती के आइटी हेड समेत सात लोगों को सीएसआइआर नेट परीक्षा में सेंधमारी के चलते गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बाद यह एक्शन लिया गया है। मेरठ एसटीएफ यूनिट की तरफ से एक लेटर एडीजी कानून व्यवस्था को भेजा गया। इसी पर यह कार्रवाई की गई है। एसटीएफ ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को पत्र भेजा था। एसएसपी मेरठ को भी अवगत कराया गया है। उत्तराखंड निवासी युवक ने की थी शिकायत सुभारती विवि में पिछले दिनों सीएसआईआर नेट की परीक्षा में सेंधमारी होते मिले थी। उत्तराखंड निवासी मनीष वर्मा ने एसटीएफ और उत्तर प्रदेश सरकार से शिकायत की थी। 27 जुलाई को सुभारती परिसर में सीएसआइआर नेट परीक्षा में नकल कराई जा रही थी । इस काम में सुभारती का आइटी हेड शामिल था। उसके अलावा भी सुभारती विश्वविद्यालय लगातार विवादों में रहता है। ऐसे में वहां पर प्रतियोगी परीक्षा कराना छात्रों के हित में नहीं है । मनीष के शिकायती पत्र को आधार बनाकर एसटीएफ की मेरठ यूनिट ने एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश को रिपोर्ट भेजी गई। डीजीपी को भी भेजा गया लेटर उन्होंने डीजीपी को पूरे मामले की जानकारी दी थी। साथ ही एनटीए समेत प्रतियोगी परीक्षा कराने वाली सभी एजेंसियों को सुभारती विश्वविद्यालय के बारे में बताया था। अब इसी शिकायत और सेंधमारी के चलते सुभारती विश्वविद्यालय में प्रतियोगी परीक्षा कराने पर रोक लगा दी गई है। एसटीएफ मेरठ यूनिट की तरफ से भेजे गए पत्र पर कार्रवाई करते हुए एडीजी कानून-व्यवस्था एवं एसटीएफ की तरफ से एनटीए को भी लेटर भेजा गया है। अफसरों का कहना मेरठ एसटीएफ के एएसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि सुभारती विवि में जब एसटीएफ ने एग्जाम में सेंधमारी पकड़ी थी उस छापे के बाद हमारी तरफ से लेटर भेजा गया था। वहीं पूरे मामले पर सुभारती प्रबंधन का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सेंटर किराए पर दिया जाता था । उससे यूनिवर्सिटी को कोई लाभ नहीं मिल रहा था। ऐसे में यूनिवर्सिटी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि नकल कराने में भी यूनिवर्सिटी का कोई रोल नहीं था।
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