राणी सती का किया गया भव्य श्रृंगार:छप्पन भोग लगाया, रंग बिरंगे फूलों से सजाने कोलकाता से आये कारीगर

मिर्जापुर के बुंदेलखंडी स्थित मंदिर में राजस्थान की कुलदेवी राणी सती का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। भक्तों ने विशेष पूजन-अर्चन कर दादी को नमन किया। छप्पन प्रकार के भोग अर्पित किए गए और रंग-बिरंगे फूलों से मंदिर की भव्य सजावट की गई। भजन-कीर्तन के बीच झूमे भक्त जन्मोत्सव पर महिलाओं ने भजन-कीर्तन कर दादी राणी सती को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। भक्तों ने पत्र-पुष्प अर्पित कर जयकारे लगाए। इस मौके पर कोलकाता से मंगाए गए फूलों से मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया गया, जिससे भक्तों का उत्साह और बढ़ गया। राणी सती की वीरता की कथा राणी सती को उनकी वीरता और समर्पण के लिए पूजा जाता है। झुंझुनू, राजस्थान के राजा राणा जी के युद्ध में शहीद होने के बाद, राणी ने दुर्गा के रूप में युद्ध लड़ा और दुश्मनों को पराजित किया। बाद में उन्होंने राणा के साथ सती हो जाने का निर्णय लिया। उनकी वीरता और बलिदान को याद कर हर वर्ष उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। श्रद्धा और भक्ति का संगम आचार्य पं. कृपा शंकर चतुर्वेदी ने बताया कि राणी सती के सती होने के बाद एक आकाशवाणी हुई, जिसमें कहा गया कि उनके भस्म की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। तभी से राणी सती को नारायणी के रूप में पूजा जाता है और राजस्थान के हर घर में उन्हें कुलदेवी का दर्जा प्राप्त है। भोग और विश्व कल्याण की कामना जन्मोत्सव के अवसर पर छप्पन प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया गया। भक्तों ने दादी माँ से परिवार की समृद्धि और विश्व शांति की कामना की। मंदिर परिसर श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंजायमान रहा।

Nov 25, 2024 - 08:25
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राणी सती का किया गया भव्य श्रृंगार:छप्पन भोग लगाया, रंग बिरंगे फूलों से सजाने कोलकाता से आये कारीगर
मिर्जापुर के बुंदेलखंडी स्थित मंदिर में राजस्थान की कुलदेवी राणी सती का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। भक्तों ने विशेष पूजन-अर्चन कर दादी को नमन किया। छप्पन प्रकार के भोग अर्पित किए गए और रंग-बिरंगे फूलों से मंदिर की भव्य सजावट की गई। भजन-कीर्तन के बीच झूमे भक्त जन्मोत्सव पर महिलाओं ने भजन-कीर्तन कर दादी राणी सती को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। भक्तों ने पत्र-पुष्प अर्पित कर जयकारे लगाए। इस मौके पर कोलकाता से मंगाए गए फूलों से मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया गया, जिससे भक्तों का उत्साह और बढ़ गया। राणी सती की वीरता की कथा राणी सती को उनकी वीरता और समर्पण के लिए पूजा जाता है। झुंझुनू, राजस्थान के राजा राणा जी के युद्ध में शहीद होने के बाद, राणी ने दुर्गा के रूप में युद्ध लड़ा और दुश्मनों को पराजित किया। बाद में उन्होंने राणा के साथ सती हो जाने का निर्णय लिया। उनकी वीरता और बलिदान को याद कर हर वर्ष उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। श्रद्धा और भक्ति का संगम आचार्य पं. कृपा शंकर चतुर्वेदी ने बताया कि राणी सती के सती होने के बाद एक आकाशवाणी हुई, जिसमें कहा गया कि उनके भस्म की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। तभी से राणी सती को नारायणी के रूप में पूजा जाता है और राजस्थान के हर घर में उन्हें कुलदेवी का दर्जा प्राप्त है। भोग और विश्व कल्याण की कामना जन्मोत्सव के अवसर पर छप्पन प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया गया। भक्तों ने दादी माँ से परिवार की समृद्धि और विश्व शांति की कामना की। मंदिर परिसर श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंजायमान रहा।

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