लक्ष्यराज बोले-विश्वराज सिंह को 38 साल दर्शन से किसने रोका?:एकलिंगजी सबके, लेकिन गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं; अंतिम संस्कार में न जाने पर कहा- धमकियां मिली थीं
उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में राजतिलक की रस्मों को लेकर छिड़ा विवाद थम गया है। इस बीच दैनिक भास्कर ने लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से तीन दिन चले घटनाक्रम को लेकर बात की। सवाल किए…जब धूणी के दर्शन कराने ही थे तो 3 दिन क्यों लगा दिए? सरकार में बैठे एक व्यक्ति पर आरोप लगाया, किसकी ओर इशारा था? लक्ष्यराज ने सभी सवालों के जवाब दिए। साथ ही महेंद्र सिंह मेवाड़ के अंतिम संस्कार में नहीं जाने की वजह भी बताई। पढ़िए विवाद के बाद लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का पहला इंटरव्यू… भास्कर : धूणी दर्शन कराने ही थे तो तीन दिन क्यों लग गए? लक्ष्यराज : कई बार कह चुका हूं। फिर कहता हूं कि दर्शन नहीं कराने की बात ही नहीं थी। बात ये थी कि चीजों को सभ्य तरीके से किया जाए। गुंडागर्दी नहीं की जाए। शक्ति प्रदर्शन को माध्यम न बनाएं। लोगों को लेकर आकर दरवाजे पर खड़े हो जाने से, गुंडागर्दी करने से, नारेबाजी करने से और कानून को हाथ में लेकर काम करने से, यह नहीं बनता है। हम यही चाहते थे कि मंदिर में गरिमा बनी रहे, अनुशासन बना रहे, तौर तरीका बना रहे। एक भावना बनी रहे। भीड़ करके माहौल बिगाड़ कर दर्शन करने का मन नहीं होता है। गरिमामय दर्शन कराने थे और वही हुआ। भास्कर: प्रशासन को आपने पहले सूचित कर दिया था, क्या आपको आशंका थी कि माहौल बिगड़ेगा? लक्ष्यराज : मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूंं कि हमने हवाला दिया था 1984 का। 1984 में उस दिन मेरी पिताजी को बंदूकों और तलवारों का सामना करना पड़ा। मेरी 9 और 5 साल की बहनों को जान का खतरा मंडरा रहा था। वह उस दौर की सच्चाई थी। तब पिताजी ने कहा था कि हमें बहुत सावचेत रहने की जरूरत है। कानून को हाथ में लेने की जरूरत नहीं है। इसलिए यहां हमने पूरे प्रदेश में अखबारों के जरिए सूचनाएं दीं। लोगों ने किस तरह उस रात को कानून को हाथ में लिया, नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया और जान लेने की परिस्थिति बनाई थी। जो सच अब निकल कर आ रहा है। दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो वो कोई दर्शन का माहौल नहीं था। सच्चाई जो है सामने आएगी और उस दिन की जांच भी सामने आएगी। भास्कर : 1984 की बात पर आप इमोशनल हो जाते हैं। क्या मामला था, विस्तार से बताएंगे? लक्ष्यराज : देखिए, इमोशनल होने वाली बात नहीं, सच्चाई है। जिस तरह से लोगों ने तलवारों और बंदूकों से आक्रमण किया। मेरी 9 और 6 साल की बहन व पिता तीनों अपनी जान से हाथ धो बैठते। इसका एक बहुत ही छोटा रूप आपने तीन दिन पहले यहां देखा। उस रात को डेढ़ बजे जो हुड़दंग मचाया, वह देखकर 1984 की यादें ताजा हो गई। ये कोई अलग से कहानी नहीं रची गई। इसके पीछे बड़ी साजिश थी। ये दास्तान पहले भी इन लोगों की रचाई हुई है। वो मंसूबे वहां से शुरू होते हैं। बहुत दर्दनाक घटना थी उसको भुला नहीं सकते। बहनों के सामने वो तस्वीर आ जाती है। भास्कर : आप महेंद्र सिंह मेवाड़ के अंतिम संस्कार में शामिल क्यों नहीं हुए? लक्ष्यराज : इसमें आज मैं स्पष्ट बता ही देता हूं कि मेरे करीबी और विश्वसनीय व्यक्ति तक ये बात पहुंचाई कि लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को आने की जरूरत नहीं है। अगर वे आएं तो अपनी सुरक्षा साथ में लेकर आएं। मुझे यह पैगाम पहुंचाया गया। हमको पता था कि उनकी सोच, मंसूबे और चाह क्या है। आप मुझे गालियां दीजिए, आलोचना कीजिए, धमकियां दीजिए, कोई बात नहीं, लेकिन आपको सच तो पता होना चाहिए। सच जानना ही नहीं चाहते, एक तरफा बात पर चलना चाहते हैं। भास्कर : आप कह रहे हैं कि धमकियां दी जा रही हैं तो अब सुरक्षा को लेकर क्या बात हुई? लक्ष्यराज : प्रशासन को पता है, उस दिन ग्राउंड पर क्या हुआ। कलेक्टर और एसपी सबको पता है, किस प्रकार की धमकियां मिल रही हैं। वो जिम्मेदार लोग हैं। उनको सब पता है। शहर भी जानता है। वो अपने काम और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाएंगे। भास्कर : 25 नवंबर की घटना को लेकर आपने एक सख्त बयान दिया, उसके मायने क्या थे? लक्ष्यराज : गुंडागर्दी तो नहीं चलेगी। प्रशासन ने साथ दिया और धारा 144 लगाई और कानून व्यवस्था को ठीक किया। हम लोग हिंसा के पुजारी नहीं हैं। पहले दिन से हम यह नहीं चाहते थे। हमारे एक्शन में ये बात साफ दिखाई दे रही थी। ऐसा नहीं होता तो हम पांच दिन पहले सूचना प्रशासन और सरकार को नहीं करते। हम नहीं चाहते हैं कि माहौल बिगड़े। हमें पता था कि इसकी नींव कहां है। मैं फिर 1984 पर लाता हूं। एक सोची समझी साजिश और षड्यंत्र के तहत इस काम को करने की कोशिश की जा रही थी। हम सभ्य समाज में जीने वाले लोग हैं। हम देश के कानून और संविधान के अनुसार चले। जिस परिवार ने दर्दनाक हादसे को जीया है, उनको सब पता है। किस प्रकार से उस दिन माहौल खराब किया। ये सब दर्शन के लिए ऐसा माहौल बिगाड़ते हैं। एक जनप्रतिनिधि जो चुनकर आए, उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती है? वो कह रहे थे कि हम माहौल नहीं बिगाड़ना चाहते हैं तो फिर क्यों, आपकी कथनी और करनी में इतना फर्क है? आपके स्वयं की चाह होगी तो आपके समर्थक आपकी नहीं सुन रहे। भास्कर : आपको लेकर बहुत सार्वजनिक बयानबाजी भी हुई? लक्ष्यराज : दुर्भाग्यपूर्ण है। एक जज्बाती सोच को कैसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का प्रयास किया। दर्शन की ही बात होती तो मंदिर 38 साल से नहीं गए हैं। इसके बावजूद भी लोग अगर आलोचनाएं करना चाहते हैं तो करें। हम अच्छी तरह से जानते हैं कि आलोचनाएं करने वालों के कभी स्मारक नहीं बनते हैं। भास्कर : राष्ट्रपति की पैलेस यात्रा और जी-20 का आयोजन पैलेस में होने को लेकर विरोध क्यों? लक्ष्यराज: यात्रा हुई और जी-20 का कार्यक्रम हुआ। इससे क्या साबित हुआ कि जगह सही होगी। ये कार्यक्रम करने के योग्य होंगे, तब ही तो कार्यक्रम हुआ। पूरे देश के लिए जी-20 में उदयपुर का पहला स्थान था और इसके खिलाफ चिट्ठियां लिख रहे हैं। कितनी छोटी और निंदनीय बात है। देश और दुनिया के स्तर का कार्यक्रम यहां हुआ। पूरे विश्व की नजर थी। देश की प्रथम नागरिक यहां पधार रही थीं और हम उनको कानून और गरिमा का पाठ पढ़ा रहे हैं। उनको सब ज
उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में राजतिलक की रस्मों को लेकर छिड़ा विवाद थम गया है। इस बीच दैनिक भास्कर ने लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से तीन दिन चले घटनाक्रम को लेकर बात की। सवाल किए…जब धूणी के दर्शन कराने ही थे तो 3 दिन क्यों लगा दिए? सरकार में बैठे एक व्यक्ति पर आरोप लगाया, किसकी ओर इशारा था? लक्ष्यराज ने सभी सवालों के जवाब दिए। साथ ही महेंद्र सिंह मेवाड़ के अंतिम संस्कार में नहीं जाने की वजह भी बताई। पढ़िए विवाद के बाद लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का पहला इंटरव्यू… भास्कर : धूणी दर्शन कराने ही थे तो तीन दिन क्यों लग गए? लक्ष्यराज : कई बार कह चुका हूं। फिर कहता हूं कि दर्शन नहीं कराने की बात ही नहीं थी। बात ये थी कि चीजों को सभ्य तरीके से किया जाए। गुंडागर्दी नहीं की जाए। शक्ति प्रदर्शन को माध्यम न बनाएं। लोगों को लेकर आकर दरवाजे पर खड़े हो जाने से, गुंडागर्दी करने से, नारेबाजी करने से और कानून को हाथ में लेकर काम करने से, यह नहीं बनता है। हम यही चाहते थे कि मंदिर में गरिमा बनी रहे, अनुशासन बना रहे, तौर तरीका बना रहे। एक भावना बनी रहे। भीड़ करके माहौल बिगाड़ कर दर्शन करने का मन नहीं होता है। गरिमामय दर्शन कराने थे और वही हुआ। भास्कर: प्रशासन को आपने पहले सूचित कर दिया था, क्या आपको आशंका थी कि माहौल बिगड़ेगा? लक्ष्यराज : मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूंं कि हमने हवाला दिया था 1984 का। 1984 में उस दिन मेरी पिताजी को बंदूकों और तलवारों का सामना करना पड़ा। मेरी 9 और 5 साल की बहनों को जान का खतरा मंडरा रहा था। वह उस दौर की सच्चाई थी। तब पिताजी ने कहा था कि हमें बहुत सावचेत रहने की जरूरत है। कानून को हाथ में लेने की जरूरत नहीं है। इसलिए यहां हमने पूरे प्रदेश में अखबारों के जरिए सूचनाएं दीं। लोगों ने किस तरह उस रात को कानून को हाथ में लिया, नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया और जान लेने की परिस्थिति बनाई थी। जो सच अब निकल कर आ रहा है। दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो वो कोई दर्शन का माहौल नहीं था। सच्चाई जो है सामने आएगी और उस दिन की जांच भी सामने आएगी। भास्कर : 1984 की बात पर आप इमोशनल हो जाते हैं। क्या मामला था, विस्तार से बताएंगे? लक्ष्यराज : देखिए, इमोशनल होने वाली बात नहीं, सच्चाई है। जिस तरह से लोगों ने तलवारों और बंदूकों से आक्रमण किया। मेरी 9 और 6 साल की बहन व पिता तीनों अपनी जान से हाथ धो बैठते। इसका एक बहुत ही छोटा रूप आपने तीन दिन पहले यहां देखा। उस रात को डेढ़ बजे जो हुड़दंग मचाया, वह देखकर 1984 की यादें ताजा हो गई। ये कोई अलग से कहानी नहीं रची गई। इसके पीछे बड़ी साजिश थी। ये दास्तान पहले भी इन लोगों की रचाई हुई है। वो मंसूबे वहां से शुरू होते हैं। बहुत दर्दनाक घटना थी उसको भुला नहीं सकते। बहनों के सामने वो तस्वीर आ जाती है। भास्कर : आप महेंद्र सिंह मेवाड़ के अंतिम संस्कार में शामिल क्यों नहीं हुए? लक्ष्यराज : इसमें आज मैं स्पष्ट बता ही देता हूं कि मेरे करीबी और विश्वसनीय व्यक्ति तक ये बात पहुंचाई कि लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को आने की जरूरत नहीं है। अगर वे आएं तो अपनी सुरक्षा साथ में लेकर आएं। मुझे यह पैगाम पहुंचाया गया। हमको पता था कि उनकी सोच, मंसूबे और चाह क्या है। आप मुझे गालियां दीजिए, आलोचना कीजिए, धमकियां दीजिए, कोई बात नहीं, लेकिन आपको सच तो पता होना चाहिए। सच जानना ही नहीं चाहते, एक तरफा बात पर चलना चाहते हैं। भास्कर : आप कह रहे हैं कि धमकियां दी जा रही हैं तो अब सुरक्षा को लेकर क्या बात हुई? लक्ष्यराज : प्रशासन को पता है, उस दिन ग्राउंड पर क्या हुआ। कलेक्टर और एसपी सबको पता है, किस प्रकार की धमकियां मिल रही हैं। वो जिम्मेदार लोग हैं। उनको सब पता है। शहर भी जानता है। वो अपने काम और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाएंगे। भास्कर : 25 नवंबर की घटना को लेकर आपने एक सख्त बयान दिया, उसके मायने क्या थे? लक्ष्यराज : गुंडागर्दी तो नहीं चलेगी। प्रशासन ने साथ दिया और धारा 144 लगाई और कानून व्यवस्था को ठीक किया। हम लोग हिंसा के पुजारी नहीं हैं। पहले दिन से हम यह नहीं चाहते थे। हमारे एक्शन में ये बात साफ दिखाई दे रही थी। ऐसा नहीं होता तो हम पांच दिन पहले सूचना प्रशासन और सरकार को नहीं करते। हम नहीं चाहते हैं कि माहौल बिगड़े। हमें पता था कि इसकी नींव कहां है। मैं फिर 1984 पर लाता हूं। एक सोची समझी साजिश और षड्यंत्र के तहत इस काम को करने की कोशिश की जा रही थी। हम सभ्य समाज में जीने वाले लोग हैं। हम देश के कानून और संविधान के अनुसार चले। जिस परिवार ने दर्दनाक हादसे को जीया है, उनको सब पता है। किस प्रकार से उस दिन माहौल खराब किया। ये सब दर्शन के लिए ऐसा माहौल बिगाड़ते हैं। एक जनप्रतिनिधि जो चुनकर आए, उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती है? वो कह रहे थे कि हम माहौल नहीं बिगाड़ना चाहते हैं तो फिर क्यों, आपकी कथनी और करनी में इतना फर्क है? आपके स्वयं की चाह होगी तो आपके समर्थक आपकी नहीं सुन रहे। भास्कर : आपको लेकर बहुत सार्वजनिक बयानबाजी भी हुई? लक्ष्यराज : दुर्भाग्यपूर्ण है। एक जज्बाती सोच को कैसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का प्रयास किया। दर्शन की ही बात होती तो मंदिर 38 साल से नहीं गए हैं। इसके बावजूद भी लोग अगर आलोचनाएं करना चाहते हैं तो करें। हम अच्छी तरह से जानते हैं कि आलोचनाएं करने वालों के कभी स्मारक नहीं बनते हैं। भास्कर : राष्ट्रपति की पैलेस यात्रा और जी-20 का आयोजन पैलेस में होने को लेकर विरोध क्यों? लक्ष्यराज: यात्रा हुई और जी-20 का कार्यक्रम हुआ। इससे क्या साबित हुआ कि जगह सही होगी। ये कार्यक्रम करने के योग्य होंगे, तब ही तो कार्यक्रम हुआ। पूरे देश के लिए जी-20 में उदयपुर का पहला स्थान था और इसके खिलाफ चिट्ठियां लिख रहे हैं। कितनी छोटी और निंदनीय बात है। देश और दुनिया के स्तर का कार्यक्रम यहां हुआ। पूरे विश्व की नजर थी। देश की प्रथम नागरिक यहां पधार रही थीं और हम उनको कानून और गरिमा का पाठ पढ़ा रहे हैं। उनको सब जानकारियां हैं। हमारी जिम्मेदारी बनती है, उनकी कद्र और सम्मान करना। उन कार्यक्रमों से उदयपुर का नाम हुआ। चुने हुए जनप्रतिनिधि का इस तरह की गैर जिम्मेदाराना हरकतें करना ठीक बात नहीं है। भास्कर : तीन दिन माहौल खराब हुआ। शहरवासियों को क्या मैसेज देंगे? लक्ष्यराज : एक आदमी के घमंड और सोच की वजह से यह हुआ। गरिमामय और कानूनी रूप में बातचीत करते और शक्ति प्रदर्शन नहीं करते तो शायद यह पहले हो जाता। गुंडागर्दी तो नहीं होने देंगे। ---------------------------- ये खबरें भी पढ़ें... 1.विश्वराज ने 40 साल बाद सिटी-पैलेस में धूणी दर्शन किए:लक्ष्यराज बोले- हम हिंसा के प्रशंसक नहीं, लेकिन नपुंसक भी नहीं; सीएम के दखल से विवाद थमा उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में राजतिलक की रस्मों को लेकर छिड़ा विवाद थम गया है। परंपरानुसार राजतिलक की रस्म के तीसरे दिन बुधवार शाम करीब 6.30 बजे विश्वराज सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस में धूणी दर्शन किए। उनके साथ सलूंबर के देवव्रत सिंह रावत, बड़ी सादड़ी राज राणा घनश्याम सिंह, शिवरती महाराज राघवराज सिंह और आमेट राव जयवर्धन सिंह धूणी दर्शन करने पहुंचे थे। इस दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। पढ़ें पूरी खबर...
2.विश्वराज सिंह बोले- धूणी पर धोक मेरा कानूनी-सामाजिक अधिकार:हजारों जाते हैं, मेरे जाने से क्या नुकसान? सत्ता के दुरुपयोग की बातें सरासर गलत
उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी दर्शन को लेकर हुए विवाद के बाद पहली बार विश्वराज सिंह मेवाड़ कैमरे के सामने आए। दैनिक भास्कर से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सिटी पैलेस में धूणी पर धोक देना मेरा सामाजिक और कानूनी अधिकार है। धूणी सिटी पैलेस के म्यूजियम में है। वहां हजारों लोग जाते हैं। मेरा वहां जाने से किसी को क्या नुकसान होगा, इसका मुझे नहीं पता नहीं। पढ़ें पूरी खबर...