निजीकरण के विरोध में आंदोलन करेंगे बिजलीकर्मी:कल बुलाई गई आपात बैठक, तय होगी आंदोलन की रुपरेखा

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के बाद बिजलीकर्मियों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। दिसंबर में पंचायत बुलाने के फैसले के बाद अब कर्मचारियों ने आंदोलन का निर्णय लिया है। इसके लिए 30 नवंबर को भिखारीपुर स्थित हनुमान मंदिर परिसर में आपात बैठक भी बुलाई गई है। इसमें आंदोलन की रुपरेखा तय की जाएगी। तीन दिन पहले जारी आदेश पर जताई नाराजगी उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन की ओर से तीन दिन पहले ही एक आदेश जारी किया था। इसमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव का जिक्र था। इसके बाद से ही कर्मचारी नाराज चल रहे हैंं। निजीकरण के विरोध की तय करेंगे रूपरेखा विद्युत मजदूर पंचायत के मीडिया प्रभारी अंकुर पांडेय ने बताया कि पंचायत की कोर कमेटी की बैठक में पहले ही तय हो चुका है कि बिजली का निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वर्ष 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्पष्ट लिखा है कि यदि पावर काॅरपोरेशन बनने के एक साल के अंदर 77 करोड़ का घाटा कम नही हुआ तो पुनः इसको राज्य विद्युत परिषद बना दिया जाएगा। जबकि वर्तमान में घाटा एक लाख करोड़ बताया जा रहा है। जिससे स्पष्ट है कि पावर काॅरपोरेशन बनाने का प्रयोग पूरी तरह विफल हो चुका है।

Nov 29, 2024 - 01:50
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निजीकरण के विरोध में आंदोलन करेंगे बिजलीकर्मी:कल बुलाई गई आपात बैठक, तय होगी आंदोलन की रुपरेखा
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के बाद बिजलीकर्मियों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। दिसंबर में पंचायत बुलाने के फैसले के बाद अब कर्मचारियों ने आंदोलन का निर्णय लिया है। इसके लिए 30 नवंबर को भिखारीपुर स्थित हनुमान मंदिर परिसर में आपात बैठक भी बुलाई गई है। इसमें आंदोलन की रुपरेखा तय की जाएगी। तीन दिन पहले जारी आदेश पर जताई नाराजगी उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन की ओर से तीन दिन पहले ही एक आदेश जारी किया था। इसमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव का जिक्र था। इसके बाद से ही कर्मचारी नाराज चल रहे हैंं। निजीकरण के विरोध की तय करेंगे रूपरेखा विद्युत मजदूर पंचायत के मीडिया प्रभारी अंकुर पांडेय ने बताया कि पंचायत की कोर कमेटी की बैठक में पहले ही तय हो चुका है कि बिजली का निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वर्ष 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्पष्ट लिखा है कि यदि पावर काॅरपोरेशन बनने के एक साल के अंदर 77 करोड़ का घाटा कम नही हुआ तो पुनः इसको राज्य विद्युत परिषद बना दिया जाएगा। जबकि वर्तमान में घाटा एक लाख करोड़ बताया जा रहा है। जिससे स्पष्ट है कि पावर काॅरपोरेशन बनाने का प्रयोग पूरी तरह विफल हो चुका है।

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