लखनऊ पुस्तक मेला...किताबों में करियर ढूंढ रहे युवा:क्राइम थ्रिलर और लव स्टोरीज बुक की डिमांड, बांग्ला के कबीर लालन फकीर खूब पढ़े जा रहे
'कबीर ने जहां से लिखना छोड़ा है। वहां से लालन फकीर ने लिखना शुरू किया है। लालन फकीर बंग्ला के कबीर हैं। ढाका के आस-पास जब मुस्लिम आबादी अधिक थी, तो धार्मिक समन्वय बनाने में लालन के लेखन ने कमाल का काम किया। यह हम सभी महसूस करते हैं।' ये बात लखनऊ पुस्तक मेला में पहुंचे लालन किताब के संपादक जीतेंद्र जीतांशु ने कही। जीतेंद्र कहते हैं लखनऊ शफाकत और नफकत का शहर है। यहां की गंगा-जमुनी तहजीब भी खूब फली-फूली है। शांति बनाने और लोगों को जोड़ने का काम इसी तरह से बांग्लादेश में लालन फकीर ने किया है। किताब में लालन के 100 गीतों का अनुवाद है। कबीर और लालन को एक साथ देखना चाहिए। गोमती किनारे लगे आर्ट, कल्चर और लिट्रेचर का संगम यानी पुस्तक मेला में यह किताब लोग खूब पसंद कर रहे हैं। किताबों में करियर की राह ढूंढ रहे युवा पुस्तक मेला में सबसे अधिक युवा 15 से 20 साल के उम्र के पहुंच रहे हैं। अपने रुझान के मुताबिक वह मेला में स्टॉल पर जाकर किताबें ढूंढ रहे हैं। अगर उन्हें किताब अपने करियर में मददगार दिख रही है तो उसे खरीद रहे हैं। स्टूडेंट अर्पणा पांडेय ने कहा कि साइकोलाजी और मैथौलॉजी की किताब मुझे बहुत पसंद आई है। हमने यहां पर दो किताब ली है। थिंक एंड ग्रो रिच और इन सर्च ऑफ होम किताब ली है। यह दोनों किताब मेरे करियर के लिए हैं। खुद को जानने और समझने के लिए हम किताबों का सहारा ले रहे हैं। अभय ने कहा कि मैथ ओलंपियाड की किताब चाहिए थी, लेकिन नहीं मिली। ऐसे में कुछ नई किताब आज़माई है। प्रिंस मिश्रा ने कहा कि हिंदू धर्म से जुड़ी हुई कई किताब यहां पर आई हैं। मुझे यहां पर आकर अच्छा लगा है। शेरों, शायरी और प्यार के किताबों की खूब मांग कैफी आजमी, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मीर तक़ी मीर की किताबों की बिक्री पुस्तक मेला में खूब हो रही है। बुक फेस्ट में स्टॉल लगाने वाले अंकित बताते हैं कि आई लव यू टू एक लव स्टोरी बुक है। इसकी डिमांड बहुत है। इसके साथ ही मिस्ट्री किताबों की मांग भी सबसे अधिक है। मिस्ट्री बुक की डिमांड खूब देखने को मिल रही है। डॉक्टर ललित कुमार यादव ने कहा- स्वामी राम स्वरूप की किताब यहां पर है। इसमें वेद ज्ञान की किताबों का सरल अनुवाद है। इसमें वेद और मंत्रों के रहस्यों को सरल भाषा में बताया गया है। सामवेद और ऋग्वेद के मंत्रों को बताया गया है। चारों वेद को सरलता से इसमें समझाया गया है। शोधार्थी नेहा रूबाब ने कहा कि मैं किताब प्रेमी हूं। इसलिए पुस्तक मेला में आई हूं। डिजिटल में वह अहसास नहीं होता है। जहां पर भी मुझे लगता है। वहां पर जाती हूं। किताब पढ़ कर खुद को प्रोत्साहित करती हूं। किताब के अहसास को लोग महसूस करें। यह डिजिटल में नहीं मिलता है। लखनऊ को जानना है तो पुराने लखनऊ को जानिए सूर्य कुमार पांडेय बताते हैं कि अगर लखनऊ को जानना है तो पुराने लखनऊ को जानिए। पुराना लखनऊ अब्दुल हलीम सेरर की किताब है। उसे जरूर पढ़ना चाहिए। इसमें 1857 तक नवाब वालिद अली शाह तक की कहानी मिलेगी। अमृत लाल नागर के उपन्यास पढ़ना चाहिए। योगेश प्रवीण की किताब भी पढ़ी जानी चाहिए। लखनऊ को जानना है तो पुराने लखनऊ को जानिए। उसके बदलाव को जानिए। तब आप जानेंगे लखनऊ क्या है उसकी तहजीब क्या है। ये कहां आकर मिलते हैं। उसकी रवायत क्या है। उन्होंने पुस्तक मेला पर कहा कि विशेष प्रकार का पुस्तक मेला हो तो लाभ होता है। नई पीढ़ी डिजिटल की तरफ जा रही है। उन्हें प्रिंट की तरफ लाने का काम करते हैं। साहित्य के प्रति ललक पैदा होती है। किताबों की उपयोगिता हमेशा से रही है। समाज में सबकुछ मोबाइल पर आ गया है। ऐसा नहीं है, पढ़ने वालों के पास भी अभी मौका है।
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