लखनऊ मंडलायुक्त ने IGRS प्रकरणों पर की बैठक:निस्तारण में शिथिलता पर जताई नाराजगी, विभागीय अधिकारियों को दी सख्त चेतावनी

मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब की अध्यक्षता में आयुक्त सभागार में IGRS (इंटीग्रेटेड ग्रेवांस रिड्रेसल सिस्टम) से संबंधित महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया।लखनऊ मंडलायुक्त ने बैठक में यह भी साफ किया कि IGRS प्रकरणों के निस्तारण में ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को दंडित किया जाएगा। बैठक में अपर आयुक्त प्रशासन राधेश्याम सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। मंडलायुक्त ने IGRS और मुख्यमंत्री संदर्भ के तहत ऑनलाइन प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की। इसके साथ ही सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि लंबित शिकायतों का निस्तारण गुणवत्तापूर्ण और समय पर निस्तारण किया जाए। लंबित प्रकरणों पर फटकार बैठक के दौरान यह पाया गया कि डिप्टी सीपीओ (उप मुख्य परीक्षा अधिकारी) के 145 और अधीक्षण अभियंता जल निगम के 88 IGRS प्रकरण लंबित हैं। इस पर मंडलायुक्त ने गहरी नाराजगी जताई और अधिकारियों को निर्देश दिए कि इतनी बड़ी संख्या में लंबित प्रकरण कतई स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि IGRS प्रकरणों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। निस्तारण में गुणवत्ता और समय सीमा पर जोर मंडलायुक्त ने निर्देश दिए कि IGRS प्रकरणों का निस्तारण समयसीमा के भीतर ही होना चाहिए और शिकायतकर्ताओं को कॉल करके उनके फीडबैक को सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई प्रकरण निर्धारित समयावधि से बाहर जाता है या निस्तारण में गुणवत्ता की कमी पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। विभागीय रैंकिंग पर प्रभाव डॉ. रोशन जैकब ने यह भी कहा कि IGRS पोर्टल पर लंबित शिकायतों की अधिक संख्या से जनपद की रैंकिंग खराब होती है, जो अधिकारियों की कार्यकुशलता पर सवाल खड़े करती है। उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए कि अपने-अपने विभागों से संबंधित लंबित शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता पर सुनिश्चित करें।

Oct 21, 2024 - 15:20
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लखनऊ मंडलायुक्त ने IGRS प्रकरणों पर की बैठक:निस्तारण में शिथिलता पर जताई नाराजगी, विभागीय अधिकारियों को दी सख्त चेतावनी
मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब की अध्यक्षता में आयुक्त सभागार में IGRS (इंटीग्रेटेड ग्रेवांस रिड्रेसल सिस्टम) से संबंधित महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया।लखनऊ मंडलायुक्त ने बैठक में यह भी साफ किया कि IGRS प्रकरणों के निस्तारण में ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को दंडित किया जाएगा। बैठक में अपर आयुक्त प्रशासन राधेश्याम सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। मंडलायुक्त ने IGRS और मुख्यमंत्री संदर्भ के तहत ऑनलाइन प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की। इसके साथ ही सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि लंबित शिकायतों का निस्तारण गुणवत्तापूर्ण और समय पर निस्तारण किया जाए। लंबित प्रकरणों पर फटकार बैठक के दौरान यह पाया गया कि डिप्टी सीपीओ (उप मुख्य परीक्षा अधिकारी) के 145 और अधीक्षण अभियंता जल निगम के 88 IGRS प्रकरण लंबित हैं। इस पर मंडलायुक्त ने गहरी नाराजगी जताई और अधिकारियों को निर्देश दिए कि इतनी बड़ी संख्या में लंबित प्रकरण कतई स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि IGRS प्रकरणों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। निस्तारण में गुणवत्ता और समय सीमा पर जोर मंडलायुक्त ने निर्देश दिए कि IGRS प्रकरणों का निस्तारण समयसीमा के भीतर ही होना चाहिए और शिकायतकर्ताओं को कॉल करके उनके फीडबैक को सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई प्रकरण निर्धारित समयावधि से बाहर जाता है या निस्तारण में गुणवत्ता की कमी पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। विभागीय रैंकिंग पर प्रभाव डॉ. रोशन जैकब ने यह भी कहा कि IGRS पोर्टल पर लंबित शिकायतों की अधिक संख्या से जनपद की रैंकिंग खराब होती है, जो अधिकारियों की कार्यकुशलता पर सवाल खड़े करती है। उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए कि अपने-अपने विभागों से संबंधित लंबित शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता पर सुनिश्चित करें।

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