लखनऊ में पुस्तक जाने-अनजाने पदचिह्न का विमोचन:कविताएँ भारतीय संस्कृति की भावना, काव्य पाठ को श्रोताओं ने सराहा

लखनऊ में काव्य पुस्तक 'जाने-अनजाने पदचिह्न' का विमोचन हुआ। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निराला सभागार में सोमवार को कवि मधुरेश मिश्रा की किताब पर चर्चा और कविता पाठ भी हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी, विशिष्ट अतिथि सांसद हाउस ऑफ कॉमन्स ब्रिटेन नवेंदु मिश्रा, प्रमुख अतिथि आईएएस जितेंद्र कुमार और अपर मुख्य सचिव भाषा उ.प्र और कवि पंकज प्रसून शामिल थे। पुस्तक के बारे में बताया कार्यक्रम की शुरुआत दीप जलाने से हुई, जिसके बाद आचार्य बलराम मिश्र ने मंत्रोच्चारण किया। मधुरेश मिश्रा ने अपनी पुस्तक के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष, त्याग और अनुभवों को साझा किया। योगदान को सराहा डॉ. सतीश द्विवेदी ने इस किताब की विशेषताएँ बताते हुए कहा- इनकी कविताएँ भारतीय संस्कृति और देशभक्ति की भावना को बहुत गहरे तरीके से व्यक्त करती हैं। नवेंदु मिश्रा ने भी हिंदी और भारतीय संस्कृति के लिए किए गए योगदान की सराहना की। कविता पाठ का लिया आनंद प्रमुख अतिथि जितेंद्र कुमार ने काव्य पुस्तक की सरलता और ग्रामीण जीवन के विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा- ये कविताएँ वही लिख सकता है जो स्वयं ऐसे अनुभवों से गुज़रा हो। कार्यक्रम के अंत में कवि पंकज प्रसून ने पुस्तक की कविताओं के कुछ अंश पढ़े और कहा- इस किताब में जटिल विषयों को बहुत आसान और सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. अमिता दुबे ने सभी उपस्थित गणमान्य लोगों का धन्यवाद दिया।

Nov 26, 2024 - 11:10
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लखनऊ में पुस्तक जाने-अनजाने पदचिह्न का विमोचन:कविताएँ भारतीय संस्कृति की भावना, काव्य पाठ को श्रोताओं ने सराहा
लखनऊ में काव्य पुस्तक 'जाने-अनजाने पदचिह्न' का विमोचन हुआ। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निराला सभागार में सोमवार को कवि मधुरेश मिश्रा की किताब पर चर्चा और कविता पाठ भी हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी, विशिष्ट अतिथि सांसद हाउस ऑफ कॉमन्स ब्रिटेन नवेंदु मिश्रा, प्रमुख अतिथि आईएएस जितेंद्र कुमार और अपर मुख्य सचिव भाषा उ.प्र और कवि पंकज प्रसून शामिल थे। पुस्तक के बारे में बताया कार्यक्रम की शुरुआत दीप जलाने से हुई, जिसके बाद आचार्य बलराम मिश्र ने मंत्रोच्चारण किया। मधुरेश मिश्रा ने अपनी पुस्तक के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष, त्याग और अनुभवों को साझा किया। योगदान को सराहा डॉ. सतीश द्विवेदी ने इस किताब की विशेषताएँ बताते हुए कहा- इनकी कविताएँ भारतीय संस्कृति और देशभक्ति की भावना को बहुत गहरे तरीके से व्यक्त करती हैं। नवेंदु मिश्रा ने भी हिंदी और भारतीय संस्कृति के लिए किए गए योगदान की सराहना की। कविता पाठ का लिया आनंद प्रमुख अतिथि जितेंद्र कुमार ने काव्य पुस्तक की सरलता और ग्रामीण जीवन के विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा- ये कविताएँ वही लिख सकता है जो स्वयं ऐसे अनुभवों से गुज़रा हो। कार्यक्रम के अंत में कवि पंकज प्रसून ने पुस्तक की कविताओं के कुछ अंश पढ़े और कहा- इस किताब में जटिल विषयों को बहुत आसान और सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. अमिता दुबे ने सभी उपस्थित गणमान्य लोगों का धन्यवाद दिया।

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