हत्या के 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा:14 साल पहले स्वतंत्रता दिवस के दिन मारी थी गोली, 50-50 हजार का जुर्माना भी लगा

कौशांबी जिले के करारी क्षेत्र के लहना गांव में 14 साल पहले स्वतंत्रता दिवस के दिन एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद गांव में भारी हंगामा हुआ था। बुधवार को अदालत ने इस मामले में चार आरोपियों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। 15 अगस्त 2010 को हरीलाल, जो लहना गांव का निवासी था। गांव के प्राथमिक स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह में ध्वजारोहण के बाद घर लौट रहा था। रास्ते में गांव के ही तीरथ, सैय्यद मोहम्मद सिप्ते असगर, जीशान असगर और नक्कन ने उसे रोक लिया। आरोप है कि नक्कन ने ललकारने पर हरीलाल को गोली मार दी। जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए दूसरी बार भी गोली चलाई। जिससे उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मृतक की पत्नी शांति देवी ने चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया। पुलिस ने जांच पूरी कर आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया। मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय एससी/एसटी की न्यायाधीश शिरीन जैदी की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार मौर्य और पंकज सोनकर ने 9 गवाह पेश किए। सबूतों और गवाहों के आधार पर अदालत ने चारों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद और 50-50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। इस फैसले के बाद मृतक के परिवार और गांव के लोगों ने न्याय मिलने पर संतोष जताया है। घटना के इतने साल बाद भी न्याय पाने की उम्मीद कायम रही। जिससे पीड़ित परिवार को राहत मिली है।

Nov 27, 2024 - 13:35
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हत्या के 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा:14 साल पहले स्वतंत्रता दिवस के दिन मारी थी गोली, 50-50 हजार का जुर्माना भी लगा
कौशांबी जिले के करारी क्षेत्र के लहना गांव में 14 साल पहले स्वतंत्रता दिवस के दिन एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद गांव में भारी हंगामा हुआ था। बुधवार को अदालत ने इस मामले में चार आरोपियों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। 15 अगस्त 2010 को हरीलाल, जो लहना गांव का निवासी था। गांव के प्राथमिक स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह में ध्वजारोहण के बाद घर लौट रहा था। रास्ते में गांव के ही तीरथ, सैय्यद मोहम्मद सिप्ते असगर, जीशान असगर और नक्कन ने उसे रोक लिया। आरोप है कि नक्कन ने ललकारने पर हरीलाल को गोली मार दी। जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए दूसरी बार भी गोली चलाई। जिससे उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मृतक की पत्नी शांति देवी ने चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया। पुलिस ने जांच पूरी कर आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया। मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय एससी/एसटी की न्यायाधीश शिरीन जैदी की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार मौर्य और पंकज सोनकर ने 9 गवाह पेश किए। सबूतों और गवाहों के आधार पर अदालत ने चारों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद और 50-50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। इस फैसले के बाद मृतक के परिवार और गांव के लोगों ने न्याय मिलने पर संतोष जताया है। घटना के इतने साल बाद भी न्याय पाने की उम्मीद कायम रही। जिससे पीड़ित परिवार को राहत मिली है।

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