10 राज्य, 31 विधानसभा-1 लोकसभा सीट पर वोटिंग शुरू:वायनाड में प्रियंका और नव्या हरिदास के बीच मुकाबला; सिक्किम की 2 सीटों पर निर्विरोध चुनाव हुआ
झारखंड में पहले फेज की 43 सीटों के साथ ही 10 राज्यों की 31 विधानसभा और केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर वोटिंग शुरू हो चुकी है। राजस्थान की 7 सीटों के लिए 307 पोलिंग बूथों पर 1472 मतदान कर्मियों की ड्यूटी लगी है। वहीं, छत्तीसगढ़ में 266 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। वहीं, वायनाड लोकसभा सीट पर राहुल गांधी के इस सीट को छोड़कर रायबरेली सीट चुनने की वजह से हो रहे उपचुनाव के लिए भी वोटिंग हो रही है। राहुल ने रायबरेली और वायनाड दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों पर जीते थे। यहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस प्रत्याशी हैं। कांग्रेस राज्य के UDF गठबंधन का हिस्सा है। वहीं, भाजपा की ओर से नव्या हरिदास और लेफ्ट गठबंधन LDF से सत्यन मोकेरी चुनावी मैदान में हैं। सिक्किम की 2 सीटों पर 30 अक्टूबर को ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) के दोनों प्रत्याशियों को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया था। 10 राज्यों की इन 31 विधानसभा सीटों में से 28 विधायकों के लोकसभा चुनाव में सांसद बनने, 2 के निधन और 1 के दलबदल से उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें 4 सीटें SC और 6 सीटें ST के लिए आरक्षित हैं। 31 में से 18 सीटें विपक्ष ने जीती थीं। अकेले कांग्रेस के पास 9 सीटें थीं। वहीं, NDA ने 11 सीटें जीती थीं। इनमें से 7 विधायक भाजपा के थे। 2 विधायक अन्य दलों के थे। उपचुनाव का राज्यवार राजनीतिक समीकरण... राजस्थान: 7 में से सिर्फ 1 पर भाजपा का विधायक, कांग्रेस 4 और BAP-RLP का 1-1 पर कब्जा था राजस्थान में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के 11 महीने के भीतर ही सात सीटों पर उपचुनाव होंगे। इनमें से केवल सलूंबर सीट से अमृतलाल मीणा भाजपा विधायक थे, बाकी 4 पर कांग्रेस, एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी और एक हनुमान बेनीवाल की RLP के पास थी। उपचुनाव के नतीजे सीधे तौर पर प्रदेश की भजनलाल सरकार की पहली परीक्षा के तौर पर भी देखे जाएंगे। हालांकि, विधानसभा चुनाव के करीब छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 25 में से 18 सीटें जीती थीं। लेकिन ये नतीजे संतोषजनक नहीं थे, क्योंकि 2019 में भाजपा ने 24 और 2014 में सभी 25 सीटें जीती थीं। वहीं, पिछले 5 सालों के उपचुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। करीब 89% उपचुनावों में कांग्रेस की जीत हुई है। हालांकि, हरियाणा में जीत के बाद भाजपा का आत्मविश्वास बढ़ा है, लेकिन यदि नतीजे भाजपा के खिलाफ आए तो पार्टी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सामने सियासी संकट खड़े होने तय हैं। बिहार: 4 सीटों पर उपचुनाव, विधानसभा चुनाव- 2025 का सेमीफाइनल बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को 2025 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में चार में से तीन सीटों पर महागठबंधन का कब्जा था। हालांकि, बिहार में NDA की अगुवाई कर रहे नीतीश कुमार को भरोसा है कि लोकसभा चुनाव की तरह उपचुनाव में भी लोग उनके काम के आधार पर जरूर वोट देंगे। हालांकि, यह पता लगाना मुश्किल है कि लोकसभा चुनाव में NDA को 30 सीटों पर मिली जीत के पीछे की वजह नरेंद्र मोदी थे या नीतीश बाबू के काम का असर था। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव और उनके समर्थक 17 महीने सरकार में रहने के दौरान दी गई नौकरियों का प्रचार कर रहे हैं। हालांकि, लोकसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं होता दिखा था। अगर इसमें कमी आई तो यह तेजस्वी की साख तो कमजोर करेगा ही, साथ ही उनके नेतृत्व पर भी सवालिया निशान लगाएगा। यह उपचुनाव इलेक्शन मैनेजमेंट के रास्ते राजनीति में सक्रिय हुए प्रशांत किशोर (पीके) की पार्टी जनसुराज के लिए भी काफी अहम है। पीके ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। वे मुकाबले में तो दिखते हैं, लेकिन प्रदेश की जातीय गणित में वोटर उनका कितना साथ देते हैं, यह 23 नवंबर को रिजल्ट के दिन ही साफ होगा। मध्य प्रदेश: बुधनी में शिवराज तो विजयपुर में सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर राज्य की दोनों विधानसभा सीटें भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी हैं। दरअसल, बुधनी शिवराज सिंह चौहान की सीट है। वे पहली बार 1990 में यहां से विधायक बने थे। इसके बाद मुख्यमंत्री रहने के दौरान 2006 से 2023 तक लगातार यहां से विधायक चुने गए। लोकसभा चुनाव में विदिशा सीट से जीत के बाद शिवराज ने बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उनके लिए विदिशा लोकसभा सीट छोड़ने वाले रमाकांत भार्गव को भाजपा ने बुधनी से टिकट दिया है। एक और खास बात यह है कि बुधनी सीट पर अब तक तीन बार उपचुनाव हुए हैं और तीनों बार इसकी वजह शिवराज सिंह चौहान ही रहे। इसके अलावा तीनों उपचुनाव में कांग्रेस ने राजकुमार पटेल को उम्मीदवार बनाया। विजयपुर सीट से राज्य के वन मंत्री रामनिवास रावत मैदान में हैं। वे इस सीट पर 6 बार कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। 2023 विधानसभा चुनाव में भी वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे, लेकिन अप्रैल 2023 में भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद जुलाई, 2023 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री बने। कांग्रेस ने उनके सामने आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा को टिकट दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्षेत्र की जनता छह बार के विधायक और दलबदल के बाद वन मंत्री बने रामनिवास रावत को चुनती है या कांग्रेस पर भरोसा जताती है। छत्तीसगढ़: भाजपा ने झोंकी ताकत, नामांकन में CM समेत 8 मंत्री आए थे राज्य की रायपुर दक्षिण सीट पर भाजपा पूरी ताकत से उपचुनाव लड़ रही है। इसकी बानगी पार्टी प्रत्याशी सुनील सोनी की नामांकन रैली में ही देखने को मिल गई थी। 25 अक्टूबर को हुई रैली में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत आठ मंत्री मौजूद थे। यह सीट बृजमोहन अग्रवाल के रायपुर लोकसभा से सांसद चुने जाने से खाली हुई थी। वे इस सीट से तीन बार विधायक रहने के साथ ही कुल आठ बार विधायक रह चुके हैं। वहीं, सुनील सोनी रायपुर के सांसद और मेयर रह चुके हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस ने युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा को मैदान में उतारा है। हालांकि, सीट बनने के बाद अब तक ह
झारखंड में पहले फेज की 43 सीटों के साथ ही 10 राज्यों की 31 विधानसभा और केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर वोटिंग शुरू हो चुकी है। राजस्थान की 7 सीटों के लिए 307 पोलिंग बूथों पर 1472 मतदान कर्मियों की ड्यूटी लगी है। वहीं, छत्तीसगढ़ में 266 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। वहीं, वायनाड लोकसभा सीट पर राहुल गांधी के इस सीट को छोड़कर रायबरेली सीट चुनने की वजह से हो रहे उपचुनाव के लिए भी वोटिंग हो रही है। राहुल ने रायबरेली और वायनाड दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों पर जीते थे। यहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस प्रत्याशी हैं। कांग्रेस राज्य के UDF गठबंधन का हिस्सा है। वहीं, भाजपा की ओर से नव्या हरिदास और लेफ्ट गठबंधन LDF से सत्यन मोकेरी चुनावी मैदान में हैं। सिक्किम की 2 सीटों पर 30 अक्टूबर को ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) के दोनों प्रत्याशियों को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया था। 10 राज्यों की इन 31 विधानसभा सीटों में से 28 विधायकों के लोकसभा चुनाव में सांसद बनने, 2 के निधन और 1 के दलबदल से उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें 4 सीटें SC और 6 सीटें ST के लिए आरक्षित हैं। 31 में से 18 सीटें विपक्ष ने जीती थीं। अकेले कांग्रेस के पास 9 सीटें थीं। वहीं, NDA ने 11 सीटें जीती थीं। इनमें से 7 विधायक भाजपा के थे। 2 विधायक अन्य दलों के थे। उपचुनाव का राज्यवार राजनीतिक समीकरण... राजस्थान: 7 में से सिर्फ 1 पर भाजपा का विधायक, कांग्रेस 4 और BAP-RLP का 1-1 पर कब्जा था राजस्थान में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के 11 महीने के भीतर ही सात सीटों पर उपचुनाव होंगे। इनमें से केवल सलूंबर सीट से अमृतलाल मीणा भाजपा विधायक थे, बाकी 4 पर कांग्रेस, एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी और एक हनुमान बेनीवाल की RLP के पास थी। उपचुनाव के नतीजे सीधे तौर पर प्रदेश की भजनलाल सरकार की पहली परीक्षा के तौर पर भी देखे जाएंगे। हालांकि, विधानसभा चुनाव के करीब छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 25 में से 18 सीटें जीती थीं। लेकिन ये नतीजे संतोषजनक नहीं थे, क्योंकि 2019 में भाजपा ने 24 और 2014 में सभी 25 सीटें जीती थीं। वहीं, पिछले 5 सालों के उपचुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। करीब 89% उपचुनावों में कांग्रेस की जीत हुई है। हालांकि, हरियाणा में जीत के बाद भाजपा का आत्मविश्वास बढ़ा है, लेकिन यदि नतीजे भाजपा के खिलाफ आए तो पार्टी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सामने सियासी संकट खड़े होने तय हैं। बिहार: 4 सीटों पर उपचुनाव, विधानसभा चुनाव- 2025 का सेमीफाइनल बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को 2025 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में चार में से तीन सीटों पर महागठबंधन का कब्जा था। हालांकि, बिहार में NDA की अगुवाई कर रहे नीतीश कुमार को भरोसा है कि लोकसभा चुनाव की तरह उपचुनाव में भी लोग उनके काम के आधार पर जरूर वोट देंगे। हालांकि, यह पता लगाना मुश्किल है कि लोकसभा चुनाव में NDA को 30 सीटों पर मिली जीत के पीछे की वजह नरेंद्र मोदी थे या नीतीश बाबू के काम का असर था। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव और उनके समर्थक 17 महीने सरकार में रहने के दौरान दी गई नौकरियों का प्रचार कर रहे हैं। हालांकि, लोकसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं होता दिखा था। अगर इसमें कमी आई तो यह तेजस्वी की साख तो कमजोर करेगा ही, साथ ही उनके नेतृत्व पर भी सवालिया निशान लगाएगा। यह उपचुनाव इलेक्शन मैनेजमेंट के रास्ते राजनीति में सक्रिय हुए प्रशांत किशोर (पीके) की पार्टी जनसुराज के लिए भी काफी अहम है। पीके ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। वे मुकाबले में तो दिखते हैं, लेकिन प्रदेश की जातीय गणित में वोटर उनका कितना साथ देते हैं, यह 23 नवंबर को रिजल्ट के दिन ही साफ होगा। मध्य प्रदेश: बुधनी में शिवराज तो विजयपुर में सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर राज्य की दोनों विधानसभा सीटें भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी हैं। दरअसल, बुधनी शिवराज सिंह चौहान की सीट है। वे पहली बार 1990 में यहां से विधायक बने थे। इसके बाद मुख्यमंत्री रहने के दौरान 2006 से 2023 तक लगातार यहां से विधायक चुने गए। लोकसभा चुनाव में विदिशा सीट से जीत के बाद शिवराज ने बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उनके लिए विदिशा लोकसभा सीट छोड़ने वाले रमाकांत भार्गव को भाजपा ने बुधनी से टिकट दिया है। एक और खास बात यह है कि बुधनी सीट पर अब तक तीन बार उपचुनाव हुए हैं और तीनों बार इसकी वजह शिवराज सिंह चौहान ही रहे। इसके अलावा तीनों उपचुनाव में कांग्रेस ने राजकुमार पटेल को उम्मीदवार बनाया। विजयपुर सीट से राज्य के वन मंत्री रामनिवास रावत मैदान में हैं। वे इस सीट पर 6 बार कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। 2023 विधानसभा चुनाव में भी वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे, लेकिन अप्रैल 2023 में भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद जुलाई, 2023 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री बने। कांग्रेस ने उनके सामने आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा को टिकट दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्षेत्र की जनता छह बार के विधायक और दलबदल के बाद वन मंत्री बने रामनिवास रावत को चुनती है या कांग्रेस पर भरोसा जताती है। छत्तीसगढ़: भाजपा ने झोंकी ताकत, नामांकन में CM समेत 8 मंत्री आए थे राज्य की रायपुर दक्षिण सीट पर भाजपा पूरी ताकत से उपचुनाव लड़ रही है। इसकी बानगी पार्टी प्रत्याशी सुनील सोनी की नामांकन रैली में ही देखने को मिल गई थी। 25 अक्टूबर को हुई रैली में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत आठ मंत्री मौजूद थे। यह सीट बृजमोहन अग्रवाल के रायपुर लोकसभा से सांसद चुने जाने से खाली हुई थी। वे इस सीट से तीन बार विधायक रहने के साथ ही कुल आठ बार विधायक रह चुके हैं। वहीं, सुनील सोनी रायपुर के सांसद और मेयर रह चुके हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस ने युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा को मैदान में उतारा है। हालांकि, सीट बनने के बाद अब तक हुए चार चुनावों में कांग्रेस हर बार बड़े अंतर से हारी है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस के कन्हैया अग्रवाल सबसे कम करीब 17 हजार वोटों से हारे थे। तब एंटी इनकंबेंसी की वजह से राज्य में भाजपा को सरकार भी गंवानी पड़ी थी। सीट पर कुल 2.71 लाख मतदाता हैं। इनमें 53% OBC, 10% SC, 4% ST और 17% अल्पसंख्यक हैं। हालांकि, किसी भी चुनाव में जातिगत समीकरण काम करता नहीं दिखता, क्योंकि सामान्य वर्ग से आने वाले बृजमोहन अग्रवाल लगातार जीतते आए हैं। इसके अलावा रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट प्रदेश की इकलौती सीट है, जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं। उपचुनाव के 31 प्रत्याशियों में से 9 मुस्लिम हैं। हालांकि, साल 2013 के बाद एक प्रत्याशी के अलावा किसी को भी 500 से ज्यादा वोट नहीं मिले। 2023 विधानसभा में 13 मुस्लिम प्रत्याशियों ने नामांकन भरा था, लेकिन 12 ने नाम वापस ले लिया था। वहीं, 2018 और 2013 में 23 मुस्लिमों ने चुनाव लड़ा था। प. बंगाल: 6 सीटों पर उपचुनाव, 5 पर TMC के विधायक थे सभी छह विधानसभा सीटों के विधायकों के सांसद बने जाने की वजह से ये सीटें खाली हुई थीं। इनमें से एकमात्र मदारीहाट सीट पर मनोज टिग्गा भाजपा से विधायक थे। बाकी सभी TMC के कब्जे में थीं। हरोआ के विधायक हाजी नुरुल इस्लाम बशीरहाट से सांसद चुने गए थे, लेकिन सितंबर में उनका निधन हो गया। इस कारण बशीरहाट लोकसभा सीट भी खाली है। हालांकि, उस पर अभी उपचुनाव नहीं हो रहा है। यह उपचुनाव TMC के लिए ही काफी अहम हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला जूनियर महिला से बलात्कार और हत्या की घटना के बाद ममता सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा देखने को मिला है। इसके अलावा बशीरहाट सहित कई अन्य मामलों में महिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं। हालांकि, लोकसभा चुनाव में बशीरहाट मामले को भाजपा ने मुद्दा बनाया था, लेकिन उसका असर देखने को नहीं मिला। TMC राज्य की 42 में से 29 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। आरजी कर मामले में देशभर में प्रदर्शन हुआ था। राज्य के डॉक्टर अभी भी विरोध कर रहे हैं। ऐसे में उपचुनाव के नतीजे राज्य की राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं। असम: दोनों पक्षों से सांसदों के रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे, वंशवाद फिर भी मुद्दा राज्य की पांच सीटों में से दो पर सांसदों के रिश्तेदार उपचुनाव लड़ रहे हैं। बारपेटा के सांसद फणि भूषण चौधरी की पत्नी दीप्तिमयी बोंगाईगांव सीट से असम गण परिषद (AGP) के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, कांग्रेस ने धुबरी सांसद रकीबुल हुसैन के बेटे तंजील को सामागुड़ी से मैदान में उतारा है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने तंजील के टिकट पर कहा कि कांग्रेस वंशवाद की राजनीति करके प्रतिभाशाली युवाओं को राजनीति में शामिल होने से रोक रही है। पलटवार करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने दावा किया कि केंद्रीय मंत्रियों सहित कम से कम 30 बड़े भाजपा नेता राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखते हैं। पांच में से चार सीटों पर NDA और एक पर कांग्रेस का कब्जा था। उपचुनाव में भी गठबंधन पुराने फॉर्मूला पर चुनाव लड़ रहा है। भाजपा तीन सीटों पर लड़ रही है। जबकि एक-एक सीट सहयोगी पार्टी AGP और UPPL को दी गई है। कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इस पांच सीटों पर 9 लाख मतदाता वोट डालेंगे। इसके लिए 1078 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। कर्नाटक: देवगौड़ा और बोम्मई परिवार की तीसरी पीढ़ी चुनाव मैदान में परिवारवादी राजनीति का चेहरा कर्नाटक में खुलकर सामने आ रहा है। यहां तीन सीटों में से दो सीटों पर दो पूर्व CM के बेटे चुनाव लड़ रहे हैं। खास बात यह भी है कि इन दोनों पूर्व CM के पिता भी मुख्यमंत्री रहे हैं। इस तरह देवगौड़ा और बोम्मई परिवार की तीसरी पीढ़ी चुनाव मैदान में है। वहीं, तीसरी सीट पर कांग्रेस सांसद की पत्नी चुनाव लड़ रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी चन्नपटना सीट से JD(S) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट कुमारस्वामी के सांसद चुने जाने से खाली हुई है। वहीं, निखिल का यह तीसरा चुनाव है। वे इससे पहले 2019 में मांड्या लोकसभा सीट और 2023 में रामनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, दोनों चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं, कांग्रेस ने सीपी योगेश्वर को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के बेटे भरत बोम्मई शिग्गांव सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यह बसवराज बोम्मई के हावेरी सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई है। वे इस सीट से चार बार विधायक रहे हैं। हालांकि, उनसे पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। कांग्रेस ने इस पर यासिर अहमद खान को टिकट दिया है। तीसरी सीट संदूर से कांग्रेस सांसद ई तुकाराम की पत्नी अन्नपूर्णा चुनाव लड़ रही हैं। यह सीट तुकाराम के बेल्लारी से सांसद चुने जाने से खाली हुई है। वे यहां से चार बार विधायक रहे हैं। वहीं, भाजपा ने अभिनेता से नेता बने राज्य भाजपा एसटी मोर्चा के अध्यक्ष बंगारू हनुमंथु को उम्मीदवार बनाया है। गुजरात: दो सीटें खाली लेकिन सिर्फ एक सीट पर हो रहा उपचुनाव राज्य विधानसभा की दो सीटें वाव और विसावदर खाली हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने सिर्फ वाव सीट पर उपचुनाव की घोषणा की है। वाव सीट कांग्रेस विधायक गिनीबेन ठाकोर के बनासकांठा से सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई है। वहीं, विसावदर सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) विधायक भूपत भायाणी के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से खाली हुई है। चूंकि 2022 विधानसभा चुनाव में उनके निर्वाचन से जुड़ी कुछ याचिकाएं गुजरात हाईकोर्ट में लंबित हैं, इसलिए इस सीट पर उपचुनाव नहीं हो रहा है। विधानसभा की 182 सीटों में से 161 पर भाजपा, 12 पर कांग्रेस, 4 पर AAP, 1 पर सपा और 2 पर निर्दलीय विधायक हैं। भाजपा ने वाव सीट से स्वरूपजी ठाकोर को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने गुलाब सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया है। मेघालय: भाजपा प्रत्याशी पर उग्रवाद और सेक्स रैकेट चलाने का आरोपी कांग्रेस विधायक सलेंग ए संगमा के तुरा लोकसभा सीट से सांसद बनने के कारण राज्य की गाम्बेग्रे सीट खाली हुई थी। पार्टी ने इस सीट पर जिंगजांग मराक को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने बर्नार्ड मारक को टिकट दिया है। मारक उग्रवादी रहे हैं। साल 2022 में उन पर सेक्स रैकेट चलाने के आरोप भी लगे थे। पुलिस ने उन पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया था। पुलिस ने 22 जुलाई को उनके फार्महाउस पर छापा मारा था और आरोप लगाए थे कि यहीं से रैकेट चलाया जा रहा था। छापेमारी के दौरान 35 जिलेटिन रॉड, 100 डेटोनेटर्स सहित कई पारंपरिक हथियार बरामद हुए थे। पुलिस ने 73 लोगों की गिरफ्तारी के साथ छह नाबालिगों को भी रेस्क्यू किया था। छापेमारी के बाद मारक फरार हो गए थे। उन्हें 26 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हापुड़ से गिरफ्तार किया गया था। पूरे घटनाक्रम पर मारक का कहना था कि मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें फंसाया जा रहा है। जबकि, भाजपा नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (MDA) का हिस्सा थी। केरल: एक विधानसभा और वायनाड लोकसभा बाइ-इलेक्शन, प्रियंका गांधी का पहला चुनाव केरल विधानसभा की चेलाक्कारा सीट के अलावा वायनाड लोकसभा सीट पर भी वोटिंग होनी है। चेलाक्कारा से CPI(M) विधायक के राधाकृष्णन के अलाथुर से सांसद बनने से खाली हुई है। कांग्रेस ने यहां से राम्या हरिदास और भाजपा ने के बालकृष्णन को टिकट दिया है। वहीं, वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उतारा है। वे पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। अगर वे चुनाव जीतती हैं, जो लगभग तय है, तो पहली बार होगा कि गांधी परिवार के सभी सदस्य यानी सोनिया, राहुल और प्रियंका संसद के सदस्य होंगे। सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद अटकलें लगाई गई थीं कि प्रियंका रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। हालांकि, राहुल ने रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और जीत के बाद रायबरेली सीट चुनी। भाजपा ने प्रियंका के सामने नव्या हरिदास को टिकट दिया है। वे भाजपा महिला मोर्चा की राज्य महासचिव हैं। साथ ही कोझिकोड नगर निगम में दो बार की पार्षद और भाजपा पार्षद दल की नेता हैं। वे 2021 विधानसभा चुनाव में कोझिकोड दक्षिण सीट से चुनाव भी लड़ चुकी हैं, हालांकि वे हार गई थीं। लेफ्ट गठबंधन LDF ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) नेता सत्यन मोकेरी (70) चुनावी मैदान में हैं। वे 1987 से 2001 तक नादापुरम विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। उन्होंने 2014 में वायनाड लोकसभा सीट से LDF की ओर से चुनाव लड़ा था। हालांकि, कांग्रेस के एमआई शानवास से हार गए थे। मोकेरी इस समय CPI की किसान विंग अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव हैं। दक्षिण भारत हमेशा से गांधी परिवार के लिए भरोसेमंद रहा है। आपातकाल के बाद 1977 लोकसभा चुनाव में रायबरेली से हार के बाद इंदिरा गांधी ने भी दक्षिण का रुख किया था। उन्होंने 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से उपचुनाव लड़ा और जीतीं। इसके अलावा सोनिया गांधी ने 1999 में अपना पहला लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की बेल्लारी और उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से पर्चा भरा और दोनों पर जीत दर्ज की। बाद में उन्होंने अमेठी सीट चुनी। राहुल गांधी ने 2019 में अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ा। वे अमेठी से हार गए, लेकिन दक्षिण ने उनका साथ निभाया और वे वायनाड से लोकसभा पहुंचे।