11 हजार दीपों से जगमगाई गंगा की धारा:उन्नाव में गंगातट पर मनाई गई देव दीपावली, शंख, घंटा और घड़ियाल के साथ महाआरती

उन्नाव के बालूघाट स्थित नमामि गंगे घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के दूसरे दिन देव दीपावली के अवसर पर भव्य आयोजन हुआ। नित्य गंगा आरती सेवा समिति की ओर से गंगातट पर हजारों दीप प्रज्वलित किए गए, और रंगोली से सजे घाट ने अलौकिक छटा बिखेर दी। टिमटिमाते दीपों की रोशनी में मां गंगा की गोदी अद्वितीय और दिव्य दिख रही थी। गंगा भक्तों ने शंख, घंटा और घड़ियाल की गूंज के बीच महाआरती कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। गंगा की लहरों पर दीपदान आरती के बाद गंगा की लहरों में 11,000 दीप प्रवाहित किए गए। दीपों की जगमगाहट और गंगा की लहरों के संग बहता यह अद्भुत दृश्य श्रद्धालुओं के दिलों में गहरी आस्था और आनंद भर गया। श्रद्धालुओं का कहना था कि इस दृश्य ने उनके हृदय को आस्था और विश्वास से भर दिया। परंपरा को निभाते हुए खिचड़ी भोज समिति की शिल्पी राकेश दीक्षित ने बताया कि उनके पति राकेश दीक्षित हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगातट पर खिचड़ी भोज का आयोजन करते थे। इस परंपरा को उन्होंने जीवित रखते हुए इस वर्ष भी भव्य खिचड़ी भोज का आयोजन किया। बड़ी संख्या में लोगों ने गर्मागर्म खिचड़ी का स्वाद लिया। स्थानीय लोगों के अलावा आसपास के गांवों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचे और सभी ने एक साथ बैठकर भोजन किया। देखें देव दीपावली की 4 तस्वीरें... आस्था और उत्साह में डूबा घाट गंगा आरती और दीपदान के साथ-साथ खिचड़ी भोज ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया। हर कोई मां गंगा की महिमा का गुणगान कर रहा था। यह आयोजन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी लोगों के दिलों को छू गया। प्रमुख भक्तों की रही खास उपस्थिति इस आयोजन में कई प्रमुख लोग भी मौजूद रहे, जिनमें डॉ. महेश चंद्र शुक्ला, ध्रुव दीक्षित, गणेश मिश्रा, राजू पंडा, शिवराम राजपूत, चंद्रशेखर अवस्थी, विजय कांत बाजपेई, जय तिवारी, और आयुष जैसे गंगा भक्तों के नाम प्रमुख रूप से लिए जा सकते हैं। इन सभी की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गौरवमय बना दिया। देव दीपावली बनी श्रद्धा और एकता का प्रतीक देव दीपावली के इस पावन आयोजन ने न केवल भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव कराया, बल्कि गंगा की शुद्धता और पवित्रता का संदेश भी फैलाया। आयोजन ने यह भी दिखाया कि कैसे आस्था, संस्कृति और समाज एक मंच पर आ सकते हैं और गंगा के प्रति श्रद्धा को और मजबूत कर सकते हैं।

Nov 17, 2024 - 08:00
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11 हजार दीपों से जगमगाई गंगा की धारा:उन्नाव में गंगातट पर मनाई गई देव दीपावली, शंख, घंटा और घड़ियाल के साथ महाआरती
उन्नाव के बालूघाट स्थित नमामि गंगे घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के दूसरे दिन देव दीपावली के अवसर पर भव्य आयोजन हुआ। नित्य गंगा आरती सेवा समिति की ओर से गंगातट पर हजारों दीप प्रज्वलित किए गए, और रंगोली से सजे घाट ने अलौकिक छटा बिखेर दी। टिमटिमाते दीपों की रोशनी में मां गंगा की गोदी अद्वितीय और दिव्य दिख रही थी। गंगा भक्तों ने शंख, घंटा और घड़ियाल की गूंज के बीच महाआरती कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। गंगा की लहरों पर दीपदान आरती के बाद गंगा की लहरों में 11,000 दीप प्रवाहित किए गए। दीपों की जगमगाहट और गंगा की लहरों के संग बहता यह अद्भुत दृश्य श्रद्धालुओं के दिलों में गहरी आस्था और आनंद भर गया। श्रद्धालुओं का कहना था कि इस दृश्य ने उनके हृदय को आस्था और विश्वास से भर दिया। परंपरा को निभाते हुए खिचड़ी भोज समिति की शिल्पी राकेश दीक्षित ने बताया कि उनके पति राकेश दीक्षित हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगातट पर खिचड़ी भोज का आयोजन करते थे। इस परंपरा को उन्होंने जीवित रखते हुए इस वर्ष भी भव्य खिचड़ी भोज का आयोजन किया। बड़ी संख्या में लोगों ने गर्मागर्म खिचड़ी का स्वाद लिया। स्थानीय लोगों के अलावा आसपास के गांवों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचे और सभी ने एक साथ बैठकर भोजन किया। देखें देव दीपावली की 4 तस्वीरें... आस्था और उत्साह में डूबा घाट गंगा आरती और दीपदान के साथ-साथ खिचड़ी भोज ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया। हर कोई मां गंगा की महिमा का गुणगान कर रहा था। यह आयोजन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी लोगों के दिलों को छू गया। प्रमुख भक्तों की रही खास उपस्थिति इस आयोजन में कई प्रमुख लोग भी मौजूद रहे, जिनमें डॉ. महेश चंद्र शुक्ला, ध्रुव दीक्षित, गणेश मिश्रा, राजू पंडा, शिवराम राजपूत, चंद्रशेखर अवस्थी, विजय कांत बाजपेई, जय तिवारी, और आयुष जैसे गंगा भक्तों के नाम प्रमुख रूप से लिए जा सकते हैं। इन सभी की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गौरवमय बना दिया। देव दीपावली बनी श्रद्धा और एकता का प्रतीक देव दीपावली के इस पावन आयोजन ने न केवल भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव कराया, बल्कि गंगा की शुद्धता और पवित्रता का संदेश भी फैलाया। आयोजन ने यह भी दिखाया कि कैसे आस्था, संस्कृति और समाज एक मंच पर आ सकते हैं और गंगा के प्रति श्रद्धा को और मजबूत कर सकते हैं।

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