15 राज्यों की 46 विधानसभा, 2 लोकसभा का रिजल्ट आज:प्रियंका गांधी का पहला चुनाव; यूपी की 9, राजस्थान की 7, पं बंगाल की 6 सीटें

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही 15 राज्यों की 46 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों के परिणाम आज आएंगे। काउंटिंग सुबह 8 बजे शुरू होगी। 12 बजे तक सबकुछ साफ हो जाएगा। इन 46 विधानसभा सीटों के साथ ही सिक्किम की 2 सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा हुई थी, लेकिन 30 अक्टूबर को ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) के दोनों प्रत्याशियों को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया था। चुनाव से पहले इन 46 सीटों में से 27 सीटों पर विपक्ष का कब्जा था। इनमें अकेले कांग्रेस के पास 13 सीटें थीं। वहीं, भाजपा की 11 सीटों सहित NDA के पास कुल 17 सीटें थीं। 2 सीटों पर अन्य दलों के विधायक थे। इनमें 41 विधानसभा सीटें विधायकों के सांसद बनने, 3 के निधन, 1 के जेल और 1 के दलबदल की वजह से खाली हुई थीं। ये उपचुनाव दो चरणों में हुए थे। पहले चरण में 13 नवंबर को 10 राज्यों की 31 विधानसभा और केरल की वायनाड लोकसभा सीट जबकि दूसरे चरण में 20 नवंबर को 4 राज्यों की 15 विधानसभा और एक राज्य महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट पर वोटिंग हुई थी। वायनाड लोकसभा सीट राहुल गांधी के इस सीट को छोड़कर रायबरेली सीट चुनने की वजह से खाली हुई थी। इस सीट से राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ रही हैं। लंबे अरसे से राजनीति में सक्रिय प्रियंका पहली बार कोई चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला भाजपा की नव्या हरिदास और लेफ्ट के सत्यन मोकेरी से है। वहीं, नांदेड़ लोकसभा सीट कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण के निधन से खाली हुई थी। लोकसभा चुनाव के सिर्फ दो महीने बाद ही अगस्त, 2024 में उनका देहांत हो गया था। कहीं बम चले, कहीं SDM पीटे; पत्थरबाजी हुई तो पुलिस भागी पश्चिम बंगाल में 13 नवंबर को वोटिंग हुई थी। यहां के उत्तर 24 परगना जिले में वोटिंग के दौरान TMC नेता अशोक साहू पर बम फेंका गया और गोलीबारी हुई। इसमें उनकी मौत हो गई। इसके अलावा राजस्थान के देवली-उनियारा सीट पर कांग्रेस से बागी और निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने SDM अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया। मीणा समरावता मतदान केंद्र जबरन घुसने की कोशिश कर रहे थे। काफी हंगामें के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। यूपी की 9 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग हुई। यहां मीरापुर सीट पर वोटिंग के दौरान भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया तो पुलिस को जान बचाकर भागना पड़ा। इसके बाद इंस्पेक्टर ने भीड़ को खदेड़ने के लिए पिस्टल तान दी और गोली मारने की धमकी दी। यह विवाद इतना बढ़ा कि समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने X पर वीडियो शेयर करके इंस्पेक्टर को निलंबित करने की मांग कर दी। वहीं, करहल में वोटिंग के बीच एक दलित युवती की हत्या कर दी गई। पिता ने आरोप लगाया कि सपा को वोट देने से मना करने पर युवक ने बेटी को मार डाला। वायनाड लोकसभा उपचुनाव, केरल: राष्ट्रीय महासचिव के खिलाफ राज्य महासचिव वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उतारा है। वे पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद अटकलें थीं कि प्रियंका रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। लेकिन, राहुल ने रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और जीत के बाद रायबरेली सीट चुनी। भाजपा ने प्रियंका के सामने नव्या हरिदास को टिकट दिया है। वे भाजपा महिला मोर्चा की राज्य महासचिव हैं। साथ ही कोझिकोड नगर निगम में दो बार की पार्षद और भाजपा पार्षद दल की नेता हैं। वे 2021 विधानसभा चुनाव में कोझिकोड दक्षिण सीट से चुनाव भी लड़ चुकी हैं, हालांकि वे हार गई थीं। लेफ्ट गठबंधन LDF ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानी CPI(M) नेता सत्यन मोकेरी चुनावी मैदान में हैं। वे 1987 से 2001 तक नादापुरम विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। उन्होंने 2014 में वायनाड लोकसभा सीट से LDF की ओर से चुनाव लड़ा था। हालांकि, कांग्रेस के एमआई शानवास से हार गए थे। मोकेरी इस समय पार्टी की किसान विंग के राष्ट्रीय सचिव हैं। नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव, महाराष्ट्र: पूर्व CM अशोक चव्हाण की साख दांव पर मराठवाड़ा क्षेत्र की नांदेड़ लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए साख का सवाल बन चुकी है। भाजपा के लिए चुनौती और भी कड़ी है क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को इस इलाके में करारी हार मिली है। कांग्रेस ने दिवंगत सांसद वसंतराव के बेटे रवींद्र चव्हाण को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. संतुक हंबार्डे को मैदान में उतारा है। संतुक के भाई मोहन हंबार्डे नांदेड़ दक्षिण से कांग्रेस के निवर्तमान विधायक हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं। वे पूर्व CM अशोक चव्हाण के करीबी माने जाते हैं। नांदेड़ कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे (अब भाजपा में हैं) अशोक चव्हाण का गढ़ है। स्थानीय निकाय से लोकसभा तक तमाम चुनावों में चव्हाण परिवार का दबदबा रहता है। फरवरी, 2024 में चव्हाण के भाजपा में जाने के बाद यहां कांग्रेस की स्थिति खराब मानी जा रही थी, लेकिन वसंतराव की जीत ने सभी को चौंका दिया था। महाराष्ट्र चुनाव में चव्हाण की बेटी श्रीजया भी भोकर विधानसभा सीट से अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर रही हैं। यह सीट भी नांदेड़ लोकसभा में आती है। यही वजह है कि इस चुनाव में अशोक चव्हाण की प्रतिष्ठा दांव पर है। विधानसभा उपचुनाव के राज्यवार राजनीतिक समीकरण... उत्तर प्रदेश: पूर्वांचल, अवध और वेस्ट UP की 9 सीटों पर 2027 का लिटमस टेस्ट उपचुनाव की 9 सीटें प्रदेश के कई राजनीतिक और सांस्कृतिक इलाकों का हिस्सा हैं। यही कारण है कि इसे 2027 के विधानसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है। सपा, लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका देते हुए 80 में से 37 सीटों पर कब्जा जमा चुकी है। जबकि भाजपा आधी होकर 62 से 33 सीटों पर सिमट गई है। इस लिहाज से यह उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए अहम है। दोनों पार्टियों ने इस उपचुनाव में 2027 के जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं। भाजपा ने 8 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। मीरापुर सीट सहयोगी पार्टी RLD के लिए छोड

Nov 23, 2024 - 05:05
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15 राज्यों की 46 विधानसभा, 2 लोकसभा का रिजल्ट आज:प्रियंका गांधी का पहला चुनाव; यूपी की 9, राजस्थान की 7, पं बंगाल की 6 सीटें
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही 15 राज्यों की 46 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों के परिणाम आज आएंगे। काउंटिंग सुबह 8 बजे शुरू होगी। 12 बजे तक सबकुछ साफ हो जाएगा। इन 46 विधानसभा सीटों के साथ ही सिक्किम की 2 सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा हुई थी, लेकिन 30 अक्टूबर को ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) के दोनों प्रत्याशियों को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया था। चुनाव से पहले इन 46 सीटों में से 27 सीटों पर विपक्ष का कब्जा था। इनमें अकेले कांग्रेस के पास 13 सीटें थीं। वहीं, भाजपा की 11 सीटों सहित NDA के पास कुल 17 सीटें थीं। 2 सीटों पर अन्य दलों के विधायक थे। इनमें 41 विधानसभा सीटें विधायकों के सांसद बनने, 3 के निधन, 1 के जेल और 1 के दलबदल की वजह से खाली हुई थीं। ये उपचुनाव दो चरणों में हुए थे। पहले चरण में 13 नवंबर को 10 राज्यों की 31 विधानसभा और केरल की वायनाड लोकसभा सीट जबकि दूसरे चरण में 20 नवंबर को 4 राज्यों की 15 विधानसभा और एक राज्य महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट पर वोटिंग हुई थी। वायनाड लोकसभा सीट राहुल गांधी के इस सीट को छोड़कर रायबरेली सीट चुनने की वजह से खाली हुई थी। इस सीट से राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ रही हैं। लंबे अरसे से राजनीति में सक्रिय प्रियंका पहली बार कोई चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला भाजपा की नव्या हरिदास और लेफ्ट के सत्यन मोकेरी से है। वहीं, नांदेड़ लोकसभा सीट कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण के निधन से खाली हुई थी। लोकसभा चुनाव के सिर्फ दो महीने बाद ही अगस्त, 2024 में उनका देहांत हो गया था। कहीं बम चले, कहीं SDM पीटे; पत्थरबाजी हुई तो पुलिस भागी पश्चिम बंगाल में 13 नवंबर को वोटिंग हुई थी। यहां के उत्तर 24 परगना जिले में वोटिंग के दौरान TMC नेता अशोक साहू पर बम फेंका गया और गोलीबारी हुई। इसमें उनकी मौत हो गई। इसके अलावा राजस्थान के देवली-उनियारा सीट पर कांग्रेस से बागी और निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने SDM अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया। मीणा समरावता मतदान केंद्र जबरन घुसने की कोशिश कर रहे थे। काफी हंगामें के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। यूपी की 9 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग हुई। यहां मीरापुर सीट पर वोटिंग के दौरान भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया तो पुलिस को जान बचाकर भागना पड़ा। इसके बाद इंस्पेक्टर ने भीड़ को खदेड़ने के लिए पिस्टल तान दी और गोली मारने की धमकी दी। यह विवाद इतना बढ़ा कि समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने X पर वीडियो शेयर करके इंस्पेक्टर को निलंबित करने की मांग कर दी। वहीं, करहल में वोटिंग के बीच एक दलित युवती की हत्या कर दी गई। पिता ने आरोप लगाया कि सपा को वोट देने से मना करने पर युवक ने बेटी को मार डाला। वायनाड लोकसभा उपचुनाव, केरल: राष्ट्रीय महासचिव के खिलाफ राज्य महासचिव वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उतारा है। वे पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद अटकलें थीं कि प्रियंका रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। लेकिन, राहुल ने रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और जीत के बाद रायबरेली सीट चुनी। भाजपा ने प्रियंका के सामने नव्या हरिदास को टिकट दिया है। वे भाजपा महिला मोर्चा की राज्य महासचिव हैं। साथ ही कोझिकोड नगर निगम में दो बार की पार्षद और भाजपा पार्षद दल की नेता हैं। वे 2021 विधानसभा चुनाव में कोझिकोड दक्षिण सीट से चुनाव भी लड़ चुकी हैं, हालांकि वे हार गई थीं। लेफ्ट गठबंधन LDF ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानी CPI(M) नेता सत्यन मोकेरी चुनावी मैदान में हैं। वे 1987 से 2001 तक नादापुरम विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। उन्होंने 2014 में वायनाड लोकसभा सीट से LDF की ओर से चुनाव लड़ा था। हालांकि, कांग्रेस के एमआई शानवास से हार गए थे। मोकेरी इस समय पार्टी की किसान विंग के राष्ट्रीय सचिव हैं। नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव, महाराष्ट्र: पूर्व CM अशोक चव्हाण की साख दांव पर मराठवाड़ा क्षेत्र की नांदेड़ लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए साख का सवाल बन चुकी है। भाजपा के लिए चुनौती और भी कड़ी है क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को इस इलाके में करारी हार मिली है। कांग्रेस ने दिवंगत सांसद वसंतराव के बेटे रवींद्र चव्हाण को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. संतुक हंबार्डे को मैदान में उतारा है। संतुक के भाई मोहन हंबार्डे नांदेड़ दक्षिण से कांग्रेस के निवर्तमान विधायक हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं। वे पूर्व CM अशोक चव्हाण के करीबी माने जाते हैं। नांदेड़ कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे (अब भाजपा में हैं) अशोक चव्हाण का गढ़ है। स्थानीय निकाय से लोकसभा तक तमाम चुनावों में चव्हाण परिवार का दबदबा रहता है। फरवरी, 2024 में चव्हाण के भाजपा में जाने के बाद यहां कांग्रेस की स्थिति खराब मानी जा रही थी, लेकिन वसंतराव की जीत ने सभी को चौंका दिया था। महाराष्ट्र चुनाव में चव्हाण की बेटी श्रीजया भी भोकर विधानसभा सीट से अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर रही हैं। यह सीट भी नांदेड़ लोकसभा में आती है। यही वजह है कि इस चुनाव में अशोक चव्हाण की प्रतिष्ठा दांव पर है। विधानसभा उपचुनाव के राज्यवार राजनीतिक समीकरण... उत्तर प्रदेश: पूर्वांचल, अवध और वेस्ट UP की 9 सीटों पर 2027 का लिटमस टेस्ट उपचुनाव की 9 सीटें प्रदेश के कई राजनीतिक और सांस्कृतिक इलाकों का हिस्सा हैं। यही कारण है कि इसे 2027 के विधानसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है। सपा, लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका देते हुए 80 में से 37 सीटों पर कब्जा जमा चुकी है। जबकि भाजपा आधी होकर 62 से 33 सीटों पर सिमट गई है। इस लिहाज से यह उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए अहम है। दोनों पार्टियों ने इस उपचुनाव में 2027 के जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं। भाजपा ने 8 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। मीरापुर सीट सहयोगी पार्टी RLD के लिए छोड़ी है। NDA ने 5 OBC, 2 ब्राह्मण, 1 दलित और 1 क्षत्रिय को टिकट दिया है। गठबंधन ने पिछड़ा वर्ग में भी सभी जातियों को साधने की कोशिश की है। इसके लिए मौर्य, कुर्मी, पाल, निषाद और यादव समाज के नेताओं को मौका दिया है। वहीं, सपा ने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को दोहराते हुए 3 OBC, 2 दलित और 4 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। हालांकि, सपा के 9 में से 6 उम्मीदवार राजनीतिक घरानों से हैं, जबकि भाजपा ने नए चेहरों को भी मौका दिया है। इन 9 सीटों में सपा 4, भाजपा 3, निषाद पार्टी और RLD 1-1 सीट पर काबिज थी। मैनपुरी जिले की करहल सीट मुलायम सिंह परिवार का गढ़ मानी जाती है। यहां से अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उतारा है। वे मैनपुरी के सांसद रह चुके हैं। यह सीट अखिलेश के कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। यहां भाजपा ने सपा के परिवारवाद से मुकाबला करने के लिए रिश्ते में अखिलेश के बहनोई अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया है। मुरादाबाद की मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट से भाजपा ने रामवीर सिंह ठाकुर को टिकट दिया है। वे 2012 और 2017 में इस सीट से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। भाजपा यहां सिर्फ एक बार 1993 में जीती है। यही कारण है कि भाजपा ने यह सीट जीतने के लिए अपने 4 मंत्रियों को मैदान में उतारा है। इतना ही नहीं, यह सीट जीतने के लिए भाजपा ने 7000 पन्ना प्रमुख नियुक्त किए हैं। इसके साथ ही कुल 436 बूथ पर बूथ अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी भी जी-जान से जुटी हुई है। यह सीट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह के गृह जनपद मुरादाबाद में आने की वजह से भी अहम है। दूसरी तरफ सपा ने इस सीट पर हाजी रिजवान को उतारा है। वे यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। राजस्थान: 7 में से सिर्फ 1 पर भाजपा का विधायक, कांग्रेस 4 और BAP-RLP का 1-1 पर कब्जा था पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के 11 महीने के भीतर ही सात सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इनमें से केवल सलूंबर सीट से अमृतलाल मीणा भाजपा विधायक थे, बाकी 4 पर कांग्रेस और 1-1 सीट भारतीय आदिवासी पार्टी और हनुमान बेनीवाल की RLP के पास थी। पिछले 5 सालों के उपचुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। करीब 89% उपचुनावों में कांग्रेस की जीत हुई है। हालांकि, हरियाणा में जीत के बाद भाजपा का आत्मविश्वास बढ़ा है। यदि नतीजे भाजपा के खिलाफ आए तो पार्टी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सामने सियासी संकट खड़े होने तय हैं। उपचुनाव के नतीजे सीधे तौर पर प्रदेश की भजनलाल सरकार की पहली परीक्षा के तौर पर भी देखे जाएंगे। हालांकि, विधानसभा चुनाव के करीब छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 25 में से 18 सीटें जीती थीं। लेकिन ये नतीजे संतोषजनक नहीं थे, क्योंकि 2019 में भाजपा ने 24 और 2014 में सभी 25 सीटें जीती थीं। बिहार: 4 सीटों पर उपचुनाव, विधानसभा चुनाव- 2025 का सेमीफाइनल बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को 2025 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में चार में से तीन सीटों पर महागठबंधन का कब्जा था। बिहार में NDA की अगुवाई कर रहे नीतीश कुमार को भरोसा है कि लोकसभा चुनाव की तरह उपचुनाव में भी लोगों ने उनके काम पर वोट दिया है। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने 17 महीने सरकार में रहने के दौरान दी गई नौकरियों को हाईलाइट किया। हालांकि, लोकसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं हुआ था। अगर उपचुनाव के नतीजे RJD के पक्ष में नहीं रहे तो तेजस्वी की साख कमजोर होगी ही, उनके नेतृत्व पर भी सवालिया निशान लगाएगा। यह उपचुनाव इलेक्शन मैनेजमेंट के रास्ते राजनीति में सक्रिय हुए प्रशांत किशोर (पीके) की पार्टी जनसुराज के लिए भी काफी अहम है। पीके ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। वे मुकाबले में तो दिख रहे थे, लेकिन प्रदेश की जातीय गणित में वोटर उनका कितना साथ दिया है ये जल्द ही साफ हो जाएगा। पंजाब: वंशवाद और दलबदलुओं पर भरोसा, भाजपा के चारों प्रत्याशी दूसरे दलों से राज्य की चारों विधानसभा सीटों पर सभी पार्टियों ने दलबदलुओं और वंशवाद पर भरोसा जताया था। कांग्रेस, AAP और BJP के 12 उम्मीदवारों में 6 दलबदलू, 2 सांसदों की पत्नियां और 1 सांसद का बेटा शामिल है। भाजपा के चारों प्रत्याशी दूसरे दलों से थे। वहीं, अकाली दल उपचुनाव में हिस्सा नहीं ले रहा है। चारों सीटें पंजाब के रूरल बेल्ट में आती हैं। इनमें तीन पर कांग्रेस और एक पर AAP का कब्जा था। गिद्दड़बाहा सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और लुधियाना सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग चुनाव लड़ रही हैं। अमरिंदर यहां से लगातार 3 चुनाव जीते हैं। AAP ने हरदीप सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं, भाजपा ने मनप्रीत बादल को टिकट दिया है। वे जनवरी, 2023 में कांग्रेस छोड़कर आए थे। मनप्रीत पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के भतीजे और अकाली दल के पूर्व प्रधान सुखबीर बादल के चचेरे भाई हैं। डेरा बाबा नानक सीट पर कांग्रेस ने गुरदासपुर सांसद और पूर्व डिप्टी CM सुखजिंदर सिंह रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर को टिकट दिया है। वे भी पिछले तीन चुनावों से यह सीट जीत रहे हैं। हालांकि उनका वोट शेयर हर बार कम होता रहा है। भाजपा ने इस सीट से रविकरण सिंह को उतारा है। उन्होंने 2022 में अकाली दल के टिकट पर सुखजिंदर के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन 466 वोटों से हार गए थे। लोकसभा चुनाव से पहले वे भाजपा में शामिल हो गए। अकाली दल के उपचुनाव न लड़ने से रविकरण की जीत की संभावना बढ़ गई है। AAP से गुरदीप सिंह रंधावा चुनाव लड़ रहे हैं। चब्बेवाल सीट पर AAP ने होशियारपुर सांसद डॉ. राजकुमार के बेटे इशांक चब्बेवाल को टिकट दिया गया है। राजकुमार 2022 में कांग्रेस टिकट पर चब्बेवाल से विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव से पहले वे AAP में चले गए और सांसद बने। कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) से आए रंजीत कुमार को टिकट दिया है। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे चुके रंजीत ने BSP के टिकट पर होशियारपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था। भाजपा ने इस सीट पर सोहन सिंह ठंडल को प्रत्याशी बनाया है। वे नॉमिनेशन की तारीख खत्म होने से एक दिन पहले ही अकाली दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। बरनाला सीट पर AAP ने संगरूर सांसद गुरमीत सिंह हेयर के दोस्त हरिंदर सिंह धालीवाल को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने कांग्रेस से दो बार विधायक रहे केवल सिंह ढिल्लों को उतारा है। कांग्रेस ने कुलदीप सिंह को टिकट दिया है। मध्य प्रदेश: बुधनी में शिवराज तो विजयपुर में सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर राज्य की दोनों विधानसभा सीटें भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी हैं। दरअसल, बुधनी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सीट है। वे पहली बार 1990 में यहां से विधायक बने थे। इसके बाद 2006 से 2023 तक लगातार यहां से विधायक चुने गए। लोकसभा चुनाव में विदिशा सीट से जीत के बाद शिवराज ने बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उनके लिए विदिशा सीट छोड़ने वाले रमाकांत भार्गव को भाजपा ने बुधनी से टिकट दिया है। एक और खास बात यह है कि बुधनी सीट पर अब तक तीन बार उपचुनाव हुए हैं और तीनों बार इसकी वजह शिवराज सिंह चौहान ही रहे हैं। इसके अलावा तीनों उपचुनाव में कांग्रेस ने राजकुमार पटेल को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। विजयपुर सीट से राज्य के वन मंत्री रामनिवास रावत मैदान में हैं। वे इस सीट पर 6 बार कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। 2023 विधानसभा चुनाव में भी वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे, लेकिन अप्रैल 2023 में भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद जुलाई, 2023 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री बने। कांग्रेस ने उनके सामने आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा को टिकट दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्षेत्र की जनता छह बार के विधायक और दलबदल के बाद वन मंत्री बने रामनिवास रावत को चुनती है या कांग्रेस पर भरोसा जताती है। छत्तीसगढ़: भाजपा ने झोंकी ताकत, नामांकन में CM समेत 8 मंत्री आए थे रायपुर दक्षिण सीट पर भाजपा पूरी ताकत से उपचुनाव लड़ा है। इसकी बानगी पार्टी प्रत्याशी सुनील सोनी की नामांकन रैली में ही देखने को मिली थी। 25 अक्टूबर को हुई रैली में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत आठ मंत्री मौजूद थे। बृजमोहन अग्रवाल इस सीट से तीन बार विधायक रहने के साथ ही कुल आठ बार विधायक रह चुके हैं। वहीं, सुनील सोनी रायपुर के सांसद और मेयर रह चुके हैं। कांग्रेस ने युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा को यहां से टिकट दिया था। सीट पर कुल 2.71 लाख मतदाता हैं। इनमें 53% OBC, 10% SC, 4% ST और 17% अल्पसंख्यक हैं। हालांकि, किसी भी चुनाव में जातिगत समीकरण काम करता नहीं दिखता, क्योंकि सामान्य वर्ग से आने वाले बृजमोहन अग्रवाल लगातार जीतते आए हैं। उत्तराखंड: कांग्रेस-भाजपा को पूर्व विधायकों पर भरोसा, CM धामी भी प्रचार में उतरे उपचुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों ने अपने पूर्व विधायकों पर भरोसा जताया था। कांग्रेस ने इसी सीट से 2017 में विधायक बने मनोज रावत को टिकट दिया था। पार्टी ने कई बड़े नामों को दरकिनार कर उन्हें उम्मीदवार बनाया था। कारण यह था कि वे 2022 विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद इलाके में लगातार सक्रिय थे। भाजपा ने दो बार की पूर्व विधायक आशा नौटियाल को मैदान में उतारा है। वे 2002 और 2007 में इसी सीट से विधायक रही हैं। वे 2012 में कांग्रेस की शैलारानी रावत से हार गई थीं। आशा नौटियाल महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक प्रचार में जुटे थे। प. बंगाल: 6 सीटों पर उपचुनाव, 5 पर TMC के विधायक थे सभी छह विधानसभा सीटों के विधायकों के सांसद बने जाने की वजह से ये सीटें खाली हुई थीं। इनमें से एकमात्र मदारीहाट सीट पर मनोज टिग्गा भाजपा से विधायक थे। बाकी सभी TMC के कब्जे में थीं। हरोआ के विधायक हाजी नुरुल इस्लाम बशीरहाट से सांसद चुने गए थे, लेकिन सितंबर में उनका निधन हो गया। इस कारण बशीरहाट लोकसभा सीट भी खाली है। हालांकि, उस पर उपचुनाव नहीं हुआ है। यह उपचुनाव TMC के लिए काफी अहम हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला जूनियर महिला से बलात्कार और हत्या की घटना के बाद ममता सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा देखने को मिला है। इसके अलावा बशीरहाट सहित कई अन्य मामलों में महिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में बशीरहाट मामले को भाजपा ने मुद्दा बनाया था, लेकिन उसका असर देखने को नहीं मिला। TMC राज्य की 42 में से 29 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। ऐसे में उपचुनाव के नतीजे राज्य की राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं। असम: दोनों पक्षों से सांसदों के रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे, वंशवाद फिर भी मुद्दा राज्य की पांच सीटों में से दो पर सांसदों के रिश्तेदार उपचुनाव लड़ रहे हैं। बारपेटा के सांसद फणि भूषण चौधरी की पत्नी दीप्तिमयी बोंगाईगांव सीट से असम गण परिषद (AGP) के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, कांग्रेस ने धुबरी सांसद रकीबुल हुसैन के बेटे तंजील को सामागुड़ी से मैदान में उतारा है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने तंजील के टिकट पर कहा था कि कांग्रेस वंशवाद की राजनीति करके प्रतिभाशाली युवाओं को राजनीति में शामिल होने से रोक रही है। पलटवार करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने दावा किया था कि केंद्रीय मंत्रियों सहित कम से कम 30 बड़े भाजपा नेता राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखते हैं। पांच में से चार सीटों पर NDA और एक पर कांग्रेस का कब्जा था। उपचुनाव में भी गठबंधन पुराने फॉर्मूला पर चुनाव लड़ गया है। भाजपा ने 3 जबकि 1-1 सीट पर सहयोगी पार्टी AGP और UPPL ने चुनाव लड़ा है। कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। कर्नाटक: देवगौड़ा और बोम्मई परिवार की तीसरी पीढ़ी चुनाव मैदान में परिवारवादी राजनीति का चेहरा कर्नाटक में खुलकर सामने आया है। यहां तीन में से दो सीटों पर दो पूर्व CM के बेटों ने चुनाव लड़ा है। खास बात यह भी है कि इन दोनों पूर्व CM के पिता भी मुख्यमंत्री रहे हैं। वहीं, तीसरी सीट पर कांग्रेस सांसद की पत्नी चुनाव लड़ रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी चन्नपटना सीट से JD(S) के टिकट पर चुनाव लड़ा है। यह सीट कुमारस्वामी के सांसद चुने जाने से खाली हुई थी। निखिल का यह तीसरा चुनाव है। इससे पहले वे 2019 में मांड्या लोकसभा सीट और 2023 में रामनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, वे दोनों चुनाव हार गए थे। कांग्रेस ने सीपी योगेश्वर को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के बेटे भरत बोम्मई शिग्गांव सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है। यह बसवराज बोम्मई के हावेरी सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई थी। वे इस सीट से चार बार विधायक रहे हैं। कांग्रेस ने इस पर यासिर अहमद खान को टिकट दिया है। तीसरी सीट संदूर से कांग्रेस सांसद ई तुकाराम की पत्नी ई अन्नपूर्णा चुनाव लड़ रही हैं। यह सीट तुकाराम के बेल्लारी से सांसद चुने जाने से खाली हुई थी। वे यहां से चार बार विधायक रहे हैं। वहीं, भाजपा ने अभिनेता से नेता बने राज्य भाजपा एसटी मोर्चा के अध्यक्ष बंगारू हनुमंथु को उम्मीदवार बनाया है। केरल: पलक्कड़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस के बागी उम्मीदवार से चुनाव रोचक हुआ पलक्कड़ विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक शफी परम्बिल के वडकारा से सांसद चुने जाने से खाली हुई थी। कांग्रेस ने यहां से युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राहुल बीआर को और भाजपा ने अपने राज्य महासचिव सी कृष्णकुमार को टिकट दिया है। कृष्णकुमार चार बार पार्षद और पलक्कड़ म्यूनिसिपैलिटी के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी पी सरीन ने उपचुनाव को रोचक बना दिया। वे कांग्रेस की प्रदेश डिजिटल मीडिया सेल के चीफ थे। राहुल बीआर को टिकट मिलने पर सरीन ने नाराजगी जाहिर की तो कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 17 अक्टूबर को उन्हें पार्टी से निकाल दिया। इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस (IAAS) अधिकारी रहे सरीन अब निर्दलीय ही मैदान में हैं। 2021 विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी ई श्रीधरन सिर्फ 3859 वोट से हार गए थे। इस बार भी मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। संघ भी पूरी ताकत के साथ चुनाव अभियान में लगा हुआ था। कई अन्य जिलों के स्वयंसेवक हफ्तों से यहां डेरा जमाए हुए थे। वहीं, चेलाक्कारा सीट CPI(M) विधायक के राधाकृष्णन के अलाथुर से सांसद बनने से खाली हुई थी। कांग्रेस ने यहां से राम्या हरिदास और भाजपा ने के बालकृष्णन को टिकट दिया है। गुजरात: दो सीटें खाली लेकिन सिर्फ एक सीट पर हो रहा उपचुनाव राज्य विधानसभा की दो सीटें वाव और विसावदर खाली हैं, सिर्फ वाव सीट पर उपचुनाव हुआ है। यह सीट कांग्रेस विधायक गिनीबेन ठाकोर के बनासकांठा से सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई थी। वहीं, विसावदर सीट से AAP विधायक भूपत भायाणी के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से खाली हुई थी। चूंकि 2022 विधानसभा चुनाव में उनके निर्वाचन से जुड़ी कुछ याचिकाएं गुजरात हाईकोर्ट में लंबित हैं, इसलिए इस सीट पर उपचुनाव नहीं हुआ है। भाजपा ने वाव सीट से स्वरूपजी ठाकोर को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने गुलाब सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया है। विधानसभा की 182 सीटों में से 161 पर भाजपा, 12 पर कांग्रेस, 4 पर AAP, 1 पर सपा और 2 पर निर्दलीय विधायक हैं। मेघालय: भाजपा प्रत्याशी उग्रवाद और सेक्स रैकेट चलाने का आरोपी कांग्रेस विधायक सलेंग ए संगमा के तुरा लोकसभा सीट से सांसद बनने के कारण राज्य की गाम्बेग्रे सीट खाली हुई थी। पार्टी ने इस सीट पर जिंगजांग मराक को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने बर्नार्ड मारक को टिकट दिया है। मारक उग्रवादी रहे हैं। साल 2022 में उन पर सेक्स रैकेट चलाने के आरोप भी लगे थे। पुलिस ने उन पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया था। पुलिस ने 22 जुलाई को उनके फार्महाउस पर छापा मारा था और आरोप लगाए थे कि यहीं से रैकेट चलाया जा रहा था। छापेमारी के दौरान 35 जिलेटिन रॉड, 100 डेटोनेटर्स सहित कई पारंपरिक हथियार बरामद हुए थे। पुलिस ने 73 लोगों की गिरफ्तारी के साथ छह नाबालिगों को भी रेस्क्यू किया था। छापेमारी के बाद मारक फरार हो गए थे। उन्हें 26 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हापुड़ से गिरफ्तार किया गया था। पूरे घटनाक्रम पर मारक का कहना था कि मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें फंसाया जा रहा है। जबकि, भाजपा नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (MDA) का हिस्सा थी। सिक्किम: दोनों सीटों पर SKM प्रत्याशी निर्विरोध जीते, विधानसभा से विपक्ष गायब राज्य की दोनों विधानसभा सीटों पर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। दरअसल, नॉमिनेशन फॉर्म की जांच के समय कुछ उम्मीदवारों के फॉर्म रद्द कर दिए गए थे। इसके बाद 25 साल सत्ता में रही सिक्किम लोकतांत्रिक मोर्चा (SDF) के दोनों उम्मीदवारों ने भी अपने नाम वापस ले लिए। इनमें से एक ने कहा था कि पार्टी से समर्थन न मिलने की वजह से उन्होंने नामांकन वापस ले लिया। जबकि दूसरे ने नाम वापसी का कारण नहीं बताया है। इसके बाद नाम वापसी के आखिरी दिन 30 अक्टूबर को आदित्य गोले, सोरेंग-चाकुंग सीट से और सतीश चंद्र राय, नामची-सिंघीथांग सीट से निर्विरोध विजेता घोषित कर दिए गए। लोकसभा चुनाव के साथ ही जून, 2024 में यहां विधानसभा चुनाव हुए थे। तब SKM ने राज्य की सभी 32 सीटों पर जीत हासिल की थी। SKM प्रमुख प्रेम सिंह तमांग ने रेनॉक और सोरेंग-चाकुंग दो सीटों से चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने सोरेंग-चाकुंग सीट छोड़ दी थी। वहीं, नामची-सिंघीथांग सीट पर उनकी पत्नी कृष्णा कुमारी राय ने जीत हासिल की थी। उन्होंने विधायक की शपथ लेने के एक दिन बाद 13 जून को विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया था।

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