300 बेड का मेडिकल-कॉलेज बिना फायर NOC के संचालित:रियल्टी चेक में 16 नवजात SNCU में भर्ती मिले, आग बुझाने के 2 उपकरण लगे हैं

झांसी के मेडिकल कालेज में 10 बच्चों की मौत के बाद दैनिक भास्कर ने शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज का रियल्टी चेक किया। यहां 300 बेड का राजकीय मेडिकल कालेज बगैर फायर एनओजी के संचालित होता मिला। नवजात शिशु सघन चिकित्सा इकाई में इस समय 16 नवजात भर्ती हैं, लेकिन यहां आग बुझाने के मात्र 2 फायर उपकरण लगे हैं। हालांकि इस बीच प्राचार्य और सीएमएस निरीक्षण करते मिल गए। प्राचार्य ने कहा- अगर आग लगने की घटना होती है तो हमारे पास सभी व्यवस्थाएं हैं। फायर एनओसी के लिए बजट पास हो गया है। बगैर एनओसी के राजकीय मेडिकल कालेज उस जिले में चल रहा है। जहां से सूबे के दो बड़े मंत्री आते हैं। 6 साल पहले मिला था मेडिकल कालेज का दर्जा शाहजहांपुर में करीब 6 साल पहले जिला अस्पताल को राजकीय मेडिकल कालेज का दर्जा दिया गया था। तब कहा गया था कि अब शाहजहांपुर के मरीजों को लखनऊ और बरेली थाने की जरूरत नही होगी। उनकी पूरा इलाज राजकीय मेडिकल कालेज में होगा। राजकीय मेडिकल कालेज की पुरानी बिल्डिंग में 300 बेड की क्षमता है। जहां अलग-अलग जिलों के मरीज भी इलाज कराने आते हैं। झांसी के मेडिकल कालेज में 10 बच्चो की मौत के बाद दैनिक भास्कर की टीम ने राजकीय मेडिकल कालेज में उस जगह का रियल्टी चेक किया। जहां पर नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता है। नवजात शिशु सघन चिकित्सा इकाई में 16 बेड हैं। वर्तमान में पूरा वार्ड फुल है। 16 नवजात का इलाज चल रहा है। झांसी जैसी कोई घटना अगर राजकीय मेडिकल कालेज में होती है तो उससे निपटने के लिए राजकीय मेडिकल कालेज प्रशासन ने आग बुझाने के महज दो फायर उपकरण लगाए हुए हैं। प्राचार्य डॉक्टर राजेश कुमार ने कहा कि चार फायर उपकरण यंत्र बढाए जाएंगे तो कुल मिलाकर 6 हो जाएंगे। बगैर फायर एनओसी चल रहा मेडिकल कॉलेज सबसे बड़ी लापरवाही तब सामने आई जब पता चला कि 300 बेड का राजकीय मेडिकल कालेज बगैर फायर एनओसी के चल रहा है। जिला अस्पताल को जब राजकीय मेडिकल कालेज का दर्जा दिया गया था। तब सर्वे करने वाली टीम ने फायर एनओसी है या नही, इसकी अनदेखी करते हुए उसको पास कर दिया। ऐसे में झांसी जैसी घटना हो जाती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। इसका जवाब कोई भी देने को तैयार नही है। झांसी में घटना हो जाने के बाद अब जानकारी मिली है कि फायर एनओसी के लिए एक करोड़ रुपये का बजट पास किया गया है। पूरे राजकीय मेडिकल कालेज में करीब डेढ़ सौ फायर उपकरण यंत्र लगने होने का दावा किया गया है। नवजात शिशुओं की देखरेख के लिए 10 स्टाफ नर्स, 3 ईएमओ, 3 फैकल्टी, 3 गार्ड, 2 स्वीपर, 3 वार्ड आया, 1 डाटा एंट्री आपरेटर, तैनात रहते हैं। नवजात शिशु सघन चिकित्सा इकाई के दो रास्ते हैं। निकलने के दो रास्ते हैं प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि इलेक्ट्रिक सेफ्टी और फायर सेफ्टी का ऑडिट कराते रहते हैं। हमारे पास ज्यादा मशीनें विद्युत से चलती हैं। बीच में बीच सभी की चेकिंग कराते रहते हैं। कुछ दिन पहले एक वार्ड में चिंगारी निकली थी। उसको बुझा लिया गया था। अगर आग लगती है तो यहां निकलने से दो रास्ते हैं। ये बिल्डिंग ग्राउंड प्लस टू की है। सरकार से इसके लिए पैसा मंजूर हो गया है। फायर सेफ्टी के सभी गैजेट्स लगने हैं।

Nov 16, 2024 - 16:55
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300 बेड का मेडिकल-कॉलेज बिना फायर NOC के संचालित:रियल्टी चेक में 16 नवजात SNCU में भर्ती मिले, आग बुझाने के 2 उपकरण लगे हैं
झांसी के मेडिकल कालेज में 10 बच्चों की मौत के बाद दैनिक भास्कर ने शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज का रियल्टी चेक किया। यहां 300 बेड का राजकीय मेडिकल कालेज बगैर फायर एनओजी के संचालित होता मिला। नवजात शिशु सघन चिकित्सा इकाई में इस समय 16 नवजात भर्ती हैं, लेकिन यहां आग बुझाने के मात्र 2 फायर उपकरण लगे हैं। हालांकि इस बीच प्राचार्य और सीएमएस निरीक्षण करते मिल गए। प्राचार्य ने कहा- अगर आग लगने की घटना होती है तो हमारे पास सभी व्यवस्थाएं हैं। फायर एनओसी के लिए बजट पास हो गया है। बगैर एनओसी के राजकीय मेडिकल कालेज उस जिले में चल रहा है। जहां से सूबे के दो बड़े मंत्री आते हैं। 6 साल पहले मिला था मेडिकल कालेज का दर्जा शाहजहांपुर में करीब 6 साल पहले जिला अस्पताल को राजकीय मेडिकल कालेज का दर्जा दिया गया था। तब कहा गया था कि अब शाहजहांपुर के मरीजों को लखनऊ और बरेली थाने की जरूरत नही होगी। उनकी पूरा इलाज राजकीय मेडिकल कालेज में होगा। राजकीय मेडिकल कालेज की पुरानी बिल्डिंग में 300 बेड की क्षमता है। जहां अलग-अलग जिलों के मरीज भी इलाज कराने आते हैं। झांसी के मेडिकल कालेज में 10 बच्चो की मौत के बाद दैनिक भास्कर की टीम ने राजकीय मेडिकल कालेज में उस जगह का रियल्टी चेक किया। जहां पर नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता है। नवजात शिशु सघन चिकित्सा इकाई में 16 बेड हैं। वर्तमान में पूरा वार्ड फुल है। 16 नवजात का इलाज चल रहा है। झांसी जैसी कोई घटना अगर राजकीय मेडिकल कालेज में होती है तो उससे निपटने के लिए राजकीय मेडिकल कालेज प्रशासन ने आग बुझाने के महज दो फायर उपकरण लगाए हुए हैं। प्राचार्य डॉक्टर राजेश कुमार ने कहा कि चार फायर उपकरण यंत्र बढाए जाएंगे तो कुल मिलाकर 6 हो जाएंगे। बगैर फायर एनओसी चल रहा मेडिकल कॉलेज सबसे बड़ी लापरवाही तब सामने आई जब पता चला कि 300 बेड का राजकीय मेडिकल कालेज बगैर फायर एनओसी के चल रहा है। जिला अस्पताल को जब राजकीय मेडिकल कालेज का दर्जा दिया गया था। तब सर्वे करने वाली टीम ने फायर एनओसी है या नही, इसकी अनदेखी करते हुए उसको पास कर दिया। ऐसे में झांसी जैसी घटना हो जाती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। इसका जवाब कोई भी देने को तैयार नही है। झांसी में घटना हो जाने के बाद अब जानकारी मिली है कि फायर एनओसी के लिए एक करोड़ रुपये का बजट पास किया गया है। पूरे राजकीय मेडिकल कालेज में करीब डेढ़ सौ फायर उपकरण यंत्र लगने होने का दावा किया गया है। नवजात शिशुओं की देखरेख के लिए 10 स्टाफ नर्स, 3 ईएमओ, 3 फैकल्टी, 3 गार्ड, 2 स्वीपर, 3 वार्ड आया, 1 डाटा एंट्री आपरेटर, तैनात रहते हैं। नवजात शिशु सघन चिकित्सा इकाई के दो रास्ते हैं। निकलने के दो रास्ते हैं प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि इलेक्ट्रिक सेफ्टी और फायर सेफ्टी का ऑडिट कराते रहते हैं। हमारे पास ज्यादा मशीनें विद्युत से चलती हैं। बीच में बीच सभी की चेकिंग कराते रहते हैं। कुछ दिन पहले एक वार्ड में चिंगारी निकली थी। उसको बुझा लिया गया था। अगर आग लगती है तो यहां निकलने से दो रास्ते हैं। ये बिल्डिंग ग्राउंड प्लस टू की है। सरकार से इसके लिए पैसा मंजूर हो गया है। फायर सेफ्टी के सभी गैजेट्स लगने हैं।

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