IPL के करोड़पति चाहर ब्रदर्स की कहानी:बडे़ भाई को देखकर राहुल ने उठाई थी गेंद, दीपक के पापा ने नहीं बनने दिया फास्ट बॉलर

आईपीएल 2025 के लिए मेगा ऑक्शन हो चुका है। इस ऑक्शन में आगरा के चाहर ब्रदर्स या यूं कहें कि आईपीएल के करन-अर्जुन को भी नई टीमों में जगह मिल गई है। चाहर ब्रदर्स की कीमत साढे़ 12 करोड़ रुपए है। दीपक चाहर का 6 साल बाद चेन्नई से नाता टूट गया है। मुंबई इंडियंस ने दीपक को अपनी टीम में लेने के लिए 9.25 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं, जबकि राहुल को हैदराबाद ने 3.20 करोड़ में अपनी टीम में शामिल किया है। आईपीएल में एक-दूसरे के खिलाफ खेलने वाले चाहर ब्रदर्स के क्रिकेटर बनने की कहानी बहुत ही रोचक है। दोनों भाइयों ने मोहल्ले की गली से आईपीएल और इंटरनेशनल क्रिकेट तक का सफर तय किया है। आइए बताते हैं चाहर ब्रदर्स के क्रिकेटर बनने की पूरी कहानी। पहले बताते हैं दोनों भाइयों का रिश्ता दीपक और राहुल चाहर सगे भाई नहीं है, बल्कि ये चचेरे और मौसरे भाई है। दीपक चाहर के चाचा और उनकी मौसी ने आपस में शादी की है। इसके चलते उनकी मौसी ही उनकी चाची भी बन गई। इसी वजह से राहुल उनके मौसी के बेटे भी हुए और चाचा के बेटे भी हुए। दोनों भाइयों की उम्र में 7 साल का फासला है। दीपक बड़े हैं। दोनों भाइयों में आपस में बहुत प्यार है। मगर, क्रिकेट के मैदान में दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं। दोनों अलग-अलग टीम से खेलते हैं। दीपक और राहुल की कहानी उनके कोच की जुबानी आगरा के नारौल गांव के रहने वाले लोकेंद्र सिंह चाहर क्रिकेटर दीपक चाहर के पिता हैं। वो एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं। उन्होंने बताया कि जब वे 2004 में श्रीगंगानगर में तैनात थे तो वो बेटे दीपक को गली में क्रिकेट खेलते देखते थे। उन्होंने देखा कि दीपक दूसरे लड़कों से अच्छा खेलता है। गेंदबाजी अच्छी है। बस वहीं से उन्होंने बेटे को क्रिकेटर बनाने की ठान ली। इसके बाद वो दीपक को एक क्रिकेट एकेडमी में ले गए। 20 दिन दीपक ने वहां पर ट्रेनिंग ली। मगर, उन्हें लगा कि एकेडमी में जो मेहनत वो कर रहा है। उससे वो इंडिया टीम नहीं पहुंच पाएगा। ऐसे में उन्होंने खुद ही दीपक को ट्रेंड करने की ठानी। बताया कि वो खुद क्रिकेट खेलना चाहते थे, लेकिन घर से सपोर्ट नहीं मिला था। ऐसे में बेटे को क्रिकेटर बनाने का सोचा। दीपक के साथ राहुल भी आया तो बढ़ गई चुनौती लोकेंद्र सिंह चाहर ने बताया कि पहले वो दीपक को ट्रेंड कर रहे थे। इसके बाद उनके छोटे भाई देशराज का बेटा राहुल भी आ गया। ऐसे में अब दोनों को टीम इंडिया तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने इस जिम्मेदारी को उठाया। दोनों को ट्रेनिंग देनी शुरू की। घर के सामने ही नेट लगाए। वहां पर सुबह दोनों अपनी प्रैक्टिस करते थे। ऐसा कोई दिन होगा जिस दिन प्रैक्टिस से छुट्‌टी मिलती होगी। इसके अलावा उन्होंने दोनों का स्कूल ड्रॉप कराया। एग्जाम के समय दोनों को पढ़ाई पर फोकस कराते थे। दीपक को खेलते देख उठाई गेंद राहुल चाहर के पिता देशराज चाहर ने बताया कि राहुल के क्रिकेट की शुरुआत अपने बडे़ भाई दीपक को देखकर में हुई थी। उनके बडे़ भाई और दीपक के पिता लोकेंद्र चाहर दीपक को घर के सामने बालिंग प्रैक्टिस कराते थे। तब राहुल उन्हें बैठकर देखता था। करीब आठ साल की उम्र में राहुल ने दीपक को देखकर गेंद उठाई थी। इसके बाद उनके भाई लोकेंद्र चाहर ने उनसे कहा कि इसको भी क्रिकेट खिलाते हैं। राहुल ने दीपक के साथ खेलना शुरू कर दिया। मगर, राहुल की स्पीड दीपक से कम थी। ऐसे में स्पिन की तरफ सोचा। शुरू से राहुल की गेंद काफी टर्न लेती थीं। एक साल के बाद इसमें काफी इंप्रूवमेंट देखने को मिला। इसके बाद राहुल लगातार अच्छा करने लगा। लोकल मैचों में अच्छी परफार्मेंस आने लगी। इसके अलावा एक सोच यह भी थी कि दोनों को तेज गेंदबाज बनाने से घर में ही कंपटीशन होगा। आज एक तेज गेंदबाज तो दूसरा स्पिनर है। दोनों के सफल होने पर मिला 11 गुना फल लोकेंद्र चाहर ने बताया कि दोनों की ट्रेनिंग के दौरान उनकी प्राथमिकता सिर्फ ग्राउंड से घर और घर से ग्राउंड थी। पहले दीपक था तो एक लक्ष्य था, लेकिन राहुल के आने के बाद एक और एक 11 हो गए। दोनों आज इंटरनेशनल से लेकर आईपीएल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। दोनों के सलेक्शन के बाद उनकी तपस्या का 11 गुना फल मिला है। दीपक बोले- नई टीम के साथ जिम्मेदारी और बढ़ गई है दीपक के पिता व कोच लोकेंद्र चाहर ने ऑक्शन के बाद दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहाकि बेटे के मुंबई इंडियंस में जाने से वो खुश हैं। वो चाहते थे कि अगर चेन्नई न मिले तो मुंबई इंडियंस मिले। दोनों ही टीम आईपीएल की फेवरेट हैं। उन्होंने बताया कि दीपक का चेन्नई से साथ छूटने से थोड़ी निराशा है, चेन्नई सुपरकिंग्स एक परिवार की तरह हो गई थी। दीपक भी चेन्नई और मुंबई में से एक में जाना चाहता था। ऑक्शन के बाद दीपक से बात हुई है। वो भी खुश हैं। दीपक का कहना है कि नई टीम में जाने के बाद उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। राहुल के घर वाले भी खुश दीपक चाहर के छोटे भाई लेग स्पिनर राहुल चाहर को हैदराबाद ने 3.20 करोड़ में खरीदा है। राहुल के पिता देशराज बेटे की तरक्की से खुश हैं। उनका कहना है कि राहुल के पास अपनी प्रतिभा को दिखाने का अवसर है।

Nov 26, 2024 - 07:05
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IPL के करोड़पति चाहर ब्रदर्स की कहानी:बडे़ भाई को देखकर राहुल ने उठाई थी गेंद, दीपक के पापा ने नहीं बनने दिया फास्ट बॉलर
आईपीएल 2025 के लिए मेगा ऑक्शन हो चुका है। इस ऑक्शन में आगरा के चाहर ब्रदर्स या यूं कहें कि आईपीएल के करन-अर्जुन को भी नई टीमों में जगह मिल गई है। चाहर ब्रदर्स की कीमत साढे़ 12 करोड़ रुपए है। दीपक चाहर का 6 साल बाद चेन्नई से नाता टूट गया है। मुंबई इंडियंस ने दीपक को अपनी टीम में लेने के लिए 9.25 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं, जबकि राहुल को हैदराबाद ने 3.20 करोड़ में अपनी टीम में शामिल किया है। आईपीएल में एक-दूसरे के खिलाफ खेलने वाले चाहर ब्रदर्स के क्रिकेटर बनने की कहानी बहुत ही रोचक है। दोनों भाइयों ने मोहल्ले की गली से आईपीएल और इंटरनेशनल क्रिकेट तक का सफर तय किया है। आइए बताते हैं चाहर ब्रदर्स के क्रिकेटर बनने की पूरी कहानी। पहले बताते हैं दोनों भाइयों का रिश्ता दीपक और राहुल चाहर सगे भाई नहीं है, बल्कि ये चचेरे और मौसरे भाई है। दीपक चाहर के चाचा और उनकी मौसी ने आपस में शादी की है। इसके चलते उनकी मौसी ही उनकी चाची भी बन गई। इसी वजह से राहुल उनके मौसी के बेटे भी हुए और चाचा के बेटे भी हुए। दोनों भाइयों की उम्र में 7 साल का फासला है। दीपक बड़े हैं। दोनों भाइयों में आपस में बहुत प्यार है। मगर, क्रिकेट के मैदान में दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं। दोनों अलग-अलग टीम से खेलते हैं। दीपक और राहुल की कहानी उनके कोच की जुबानी आगरा के नारौल गांव के रहने वाले लोकेंद्र सिंह चाहर क्रिकेटर दीपक चाहर के पिता हैं। वो एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं। उन्होंने बताया कि जब वे 2004 में श्रीगंगानगर में तैनात थे तो वो बेटे दीपक को गली में क्रिकेट खेलते देखते थे। उन्होंने देखा कि दीपक दूसरे लड़कों से अच्छा खेलता है। गेंदबाजी अच्छी है। बस वहीं से उन्होंने बेटे को क्रिकेटर बनाने की ठान ली। इसके बाद वो दीपक को एक क्रिकेट एकेडमी में ले गए। 20 दिन दीपक ने वहां पर ट्रेनिंग ली। मगर, उन्हें लगा कि एकेडमी में जो मेहनत वो कर रहा है। उससे वो इंडिया टीम नहीं पहुंच पाएगा। ऐसे में उन्होंने खुद ही दीपक को ट्रेंड करने की ठानी। बताया कि वो खुद क्रिकेट खेलना चाहते थे, लेकिन घर से सपोर्ट नहीं मिला था। ऐसे में बेटे को क्रिकेटर बनाने का सोचा। दीपक के साथ राहुल भी आया तो बढ़ गई चुनौती लोकेंद्र सिंह चाहर ने बताया कि पहले वो दीपक को ट्रेंड कर रहे थे। इसके बाद उनके छोटे भाई देशराज का बेटा राहुल भी आ गया। ऐसे में अब दोनों को टीम इंडिया तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने इस जिम्मेदारी को उठाया। दोनों को ट्रेनिंग देनी शुरू की। घर के सामने ही नेट लगाए। वहां पर सुबह दोनों अपनी प्रैक्टिस करते थे। ऐसा कोई दिन होगा जिस दिन प्रैक्टिस से छुट्‌टी मिलती होगी। इसके अलावा उन्होंने दोनों का स्कूल ड्रॉप कराया। एग्जाम के समय दोनों को पढ़ाई पर फोकस कराते थे। दीपक को खेलते देख उठाई गेंद राहुल चाहर के पिता देशराज चाहर ने बताया कि राहुल के क्रिकेट की शुरुआत अपने बडे़ भाई दीपक को देखकर में हुई थी। उनके बडे़ भाई और दीपक के पिता लोकेंद्र चाहर दीपक को घर के सामने बालिंग प्रैक्टिस कराते थे। तब राहुल उन्हें बैठकर देखता था। करीब आठ साल की उम्र में राहुल ने दीपक को देखकर गेंद उठाई थी। इसके बाद उनके भाई लोकेंद्र चाहर ने उनसे कहा कि इसको भी क्रिकेट खिलाते हैं। राहुल ने दीपक के साथ खेलना शुरू कर दिया। मगर, राहुल की स्पीड दीपक से कम थी। ऐसे में स्पिन की तरफ सोचा। शुरू से राहुल की गेंद काफी टर्न लेती थीं। एक साल के बाद इसमें काफी इंप्रूवमेंट देखने को मिला। इसके बाद राहुल लगातार अच्छा करने लगा। लोकल मैचों में अच्छी परफार्मेंस आने लगी। इसके अलावा एक सोच यह भी थी कि दोनों को तेज गेंदबाज बनाने से घर में ही कंपटीशन होगा। आज एक तेज गेंदबाज तो दूसरा स्पिनर है। दोनों के सफल होने पर मिला 11 गुना फल लोकेंद्र चाहर ने बताया कि दोनों की ट्रेनिंग के दौरान उनकी प्राथमिकता सिर्फ ग्राउंड से घर और घर से ग्राउंड थी। पहले दीपक था तो एक लक्ष्य था, लेकिन राहुल के आने के बाद एक और एक 11 हो गए। दोनों आज इंटरनेशनल से लेकर आईपीएल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। दोनों के सलेक्शन के बाद उनकी तपस्या का 11 गुना फल मिला है। दीपक बोले- नई टीम के साथ जिम्मेदारी और बढ़ गई है दीपक के पिता व कोच लोकेंद्र चाहर ने ऑक्शन के बाद दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहाकि बेटे के मुंबई इंडियंस में जाने से वो खुश हैं। वो चाहते थे कि अगर चेन्नई न मिले तो मुंबई इंडियंस मिले। दोनों ही टीम आईपीएल की फेवरेट हैं। उन्होंने बताया कि दीपक का चेन्नई से साथ छूटने से थोड़ी निराशा है, चेन्नई सुपरकिंग्स एक परिवार की तरह हो गई थी। दीपक भी चेन्नई और मुंबई में से एक में जाना चाहता था। ऑक्शन के बाद दीपक से बात हुई है। वो भी खुश हैं। दीपक का कहना है कि नई टीम में जाने के बाद उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। राहुल के घर वाले भी खुश दीपक चाहर के छोटे भाई लेग स्पिनर राहुल चाहर को हैदराबाद ने 3.20 करोड़ में खरीदा है। राहुल के पिता देशराज बेटे की तरक्की से खुश हैं। उनका कहना है कि राहुल के पास अपनी प्रतिभा को दिखाने का अवसर है।

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