KGMU में ट्रॉमा सर्जरी कांफ्रेंस का तीसरा दिन:पसली में फ्रैक्चर कर सकता है लंग्स को डैमेज, पेशेंट हैंडलिंग में सावधानी बेहद जरूरी
ट्रॉमा में पहुंचे मरीज में यदि पसली में फ्रैक्चर तो ये बेहद घातक साबित हो सकता है। एक्सीडेंट के दौरान दो पसली में फ्रैक्चर होने पर लंग्स में डैमेज होने का खतरा रहता है। यही कारण है कि ऐसे मरीजों का इलाज ट्रॉमा एक्सपर्ट द्वारा ही किया जाना चाहिए। एक और अहम बात ये है कि गंभीर रूप से घायल मरीजों कैरी करने में भी सजगता बेहद जरूरी है। कई बार एक्सीडेंट स्पॉट से मरीज को अस्पताल पहुंचने के बीच बरती गई थोड़ी से लापरवाही भारी पड़ सकती है। मरीज को ठीक से कैरी न करने पर उसकी इंजरी और ज्यादा गंभीर हो सकती है। कुछ मामलों में ये भी देखा गया है कि मरीज को अस्पताल लाने के दौरान भी पहले से चोटिल शरीर के कुछ हिस्सों में फ्रैक्चर हो जाता है। यही कारण है कि ट्रॉमा पेशेंट के हैंडलिंग के लिए ट्रेनिंग बेहद जरूरी है। ये कहना था KGMU ट्रॉमा सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी का। वो रविवार को ट्रॉमा सर्जरी की कांफ्रेंस के तीसरे दिन के सेशन में बोल रहे थे। ड्रिंक एंड ड्राइव से निपटना अभी भी चुनौती KGMU ट्रॉमा सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी के मुताबिक सड़क दुर्घटना के लिए मोबाइल फोन व शराब पीकर वाहन चलाना सबसे बड़ी वजह हैं। सभी डॉक्टरों को ट्रॉमा संबंधी प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से देना चाहिए। हर मरीज को समय से ट्रॉमा सेंटर पहुंचाना संभव नहीं है। ऐसे में उन्हें प्राथमिक इलाज मिल जाएगा तो लोगों की जान बचाई जा सकेगी। पर आज भी ड्रिंक एंड ड्राइव का चलन जानलेवा साबित हो रहा। कई बार किडनी पर चोट लगने से हाइपरटेंशन की समस्या होती है। यह सामान्य हाइपरटेंशन से ज्यादा खतरनाक है। समय से पता चलने पर इसका इलाज संभव है। टाइमली ट्रीटमेंट पर फोकस डॉ. समीर मिश्र ने कहा, मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए जिलास्तर पर मेडिकल कॉलेज व ट्रॉमा सेंटरों की स्थिति को और बेहतर करने की जरूरत है। ताकि मरीजों को घटना के तुरंत बाद प्राथमिक इलाज मिले व जांचें हो सके। समय-समय पर डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ को ट्रॉमा मैनेजमेंट का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री ने किया शुभारंभ इससे पहले शनिवार को कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया। उन्होंने कहा, ट्रॉमा एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, जो मुख्य रूप से युवाओं को प्रभावित करती है। सरकार ट्रॉमा टीमों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विशिष्ट अतिथि मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा, एमबीबीएस छात्रों और युवा डॉक्टरों को सही समय पर प्रशिक्षण देना बहुत जरूरी है।
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