अनशनकारी की हालत बिगड़ी, डॉक्टर्स ने किया रेफर:बलिया के रेवती में रेल आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे सपा के राष्ट्रीय सचिव

बलिया जिले के रेवती रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। 20 अक्टूबर से स्टेशन के पास धरना और अनशन जारी है। स्थानीय लोगों की मांग है कि रेवती को फिर से "पूर्ण स्टेशन" का दर्जा दिया जाए। रेलवे द्वारा इसे इंटरमीडिएट ब्लॉक स्टेशन (IBS) घोषित किए जाने से लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। रेवती स्टेशन: इतिहास से वर्तमान तक रेवती स्टेशन का बलिया के स्वतंत्रता संग्राम में खास योगदान रहा है। आज़ादी से पहले यहां "स्वराज सरकार" की स्थापना हुई थी। ऐसे ऐतिहासिक महत्व वाले स्टेशन को हॉल्ट से भी नीचे का दर्जा देने पर लोग नाराज हैं। रेलवे के तीन प्रकार के स्टेशनों में, पूर्ण स्टेशन, IBS और हॉल्ट शामिल हैं। पहले रेवती स्टेशन का दर्जा पूर्ण स्टेशन था, लेकिन अब इसे केवल IBS बना दिया गया है। रेवती स्टेशन से 52 गांव और नगर पंचायत के लोग जुड़े हैं। यहां की जनता का कहना है कि स्टेशन के दर्जा घटने से रेलवे की सुविधाएं कम हो गई हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक समर्थन और जनता का आक्रोश समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अवलेश सिंह आंदोलनकारियों के समर्थन में पहुंचे। उन्होंने इसे "रेलवे की बड़ी नाइंसाफी" करार दिया। उन्होंने कहा, "तीन सांसदों से बात करूंगा और सदन में इसे दमदार तरीके से उठाया जाएगा। यहां तीन लाइनों की जगह चार लाइनें होनी चाहिए थीं, लेकिन उल्टा एक लाइन हटा दी गई।" उन्होंने आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि जरूरत पड़ने पर वे फिर आएंगे और जनता की मांग पूरी होने तक साथ देंगे। अनशन से बिगड़ रही स्वास्थ्य स्थिति अनशन पर बैठे लोगों की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। अब तक छह अनशनकारियों को रेफर किया जा चुका है। आज सातवें अनशनकारी के रूप में गोपाल जी धरने पर बैठे। डॉक्टरों ने पहले मुन्नू कुंवर, सूरज यादव, पीयूष पांडेय, लक्ष्मण पांडेय, मुन्ना यादव और मनोज पाल को जिला अस्पताल भेजा है। बावजूद इसके आंदोलन की ऊर्जा कम नहीं हुई है। रेलवे के फैसले पर सवाल रेलवे का कहना है कि IBS के जरिए ट्रेनों की क्रॉसिंग में समय की बचत होगी और संचालन आसान होगा। लेकिन स्थानीय लोगों का तर्क है कि जब स्टेशन के रूप में इसे पहले ही दर्जा मिल चुका था, तो इसे IBS क्यों बनाया गया? आंदोलनकारियों का कहना है कि रेवती क्षेत्र की जनता के साथ नाइंसाफी हुई है। क्या धरना देगा परिणाम? रेवती रेलवे स्टेशन का मामला अब तूल पकड़ चुका है। स्थानीय जनता, 52 गांवों के प्रतिनिधि और नगर पंचायत के लोग आंदोलन के जरिए अपनी मांगें बुलंद कर रहे हैं। रेलवे की चुप्पी से सवाल और बढ़ रहे हैं। अब देखना यह है कि यह आंदोलन कब तक चलता है और क्या रेलवे विभाग जनता की मांगों को सुनकर रेवती को वापस "पूर्ण स्टेशन" का दर्जा देगा।

Nov 16, 2024 - 16:35
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अनशनकारी की हालत बिगड़ी, डॉक्टर्स ने किया रेफर:बलिया के रेवती में रेल आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे सपा के राष्ट्रीय सचिव
बलिया जिले के रेवती रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। 20 अक्टूबर से स्टेशन के पास धरना और अनशन जारी है। स्थानीय लोगों की मांग है कि रेवती को फिर से "पूर्ण स्टेशन" का दर्जा दिया जाए। रेलवे द्वारा इसे इंटरमीडिएट ब्लॉक स्टेशन (IBS) घोषित किए जाने से लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। रेवती स्टेशन: इतिहास से वर्तमान तक रेवती स्टेशन का बलिया के स्वतंत्रता संग्राम में खास योगदान रहा है। आज़ादी से पहले यहां "स्वराज सरकार" की स्थापना हुई थी। ऐसे ऐतिहासिक महत्व वाले स्टेशन को हॉल्ट से भी नीचे का दर्जा देने पर लोग नाराज हैं। रेलवे के तीन प्रकार के स्टेशनों में, पूर्ण स्टेशन, IBS और हॉल्ट शामिल हैं। पहले रेवती स्टेशन का दर्जा पूर्ण स्टेशन था, लेकिन अब इसे केवल IBS बना दिया गया है। रेवती स्टेशन से 52 गांव और नगर पंचायत के लोग जुड़े हैं। यहां की जनता का कहना है कि स्टेशन के दर्जा घटने से रेलवे की सुविधाएं कम हो गई हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक समर्थन और जनता का आक्रोश समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अवलेश सिंह आंदोलनकारियों के समर्थन में पहुंचे। उन्होंने इसे "रेलवे की बड़ी नाइंसाफी" करार दिया। उन्होंने कहा, "तीन सांसदों से बात करूंगा और सदन में इसे दमदार तरीके से उठाया जाएगा। यहां तीन लाइनों की जगह चार लाइनें होनी चाहिए थीं, लेकिन उल्टा एक लाइन हटा दी गई।" उन्होंने आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि जरूरत पड़ने पर वे फिर आएंगे और जनता की मांग पूरी होने तक साथ देंगे। अनशन से बिगड़ रही स्वास्थ्य स्थिति अनशन पर बैठे लोगों की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। अब तक छह अनशनकारियों को रेफर किया जा चुका है। आज सातवें अनशनकारी के रूप में गोपाल जी धरने पर बैठे। डॉक्टरों ने पहले मुन्नू कुंवर, सूरज यादव, पीयूष पांडेय, लक्ष्मण पांडेय, मुन्ना यादव और मनोज पाल को जिला अस्पताल भेजा है। बावजूद इसके आंदोलन की ऊर्जा कम नहीं हुई है। रेलवे के फैसले पर सवाल रेलवे का कहना है कि IBS के जरिए ट्रेनों की क्रॉसिंग में समय की बचत होगी और संचालन आसान होगा। लेकिन स्थानीय लोगों का तर्क है कि जब स्टेशन के रूप में इसे पहले ही दर्जा मिल चुका था, तो इसे IBS क्यों बनाया गया? आंदोलनकारियों का कहना है कि रेवती क्षेत्र की जनता के साथ नाइंसाफी हुई है। क्या धरना देगा परिणाम? रेवती रेलवे स्टेशन का मामला अब तूल पकड़ चुका है। स्थानीय जनता, 52 गांवों के प्रतिनिधि और नगर पंचायत के लोग आंदोलन के जरिए अपनी मांगें बुलंद कर रहे हैं। रेलवे की चुप्पी से सवाल और बढ़ रहे हैं। अब देखना यह है कि यह आंदोलन कब तक चलता है और क्या रेलवे विभाग जनता की मांगों को सुनकर रेवती को वापस "पूर्ण स्टेशन" का दर्जा देगा।

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