अवनीश दीक्षित और हरेन्द्र मसीह बने मुख्य आरोपित, चार्जशीट दाखिल:एक हजार करोड़ की जमीन कब्जाने के मामले में पुलिस ने दो चार्जशीट दाखिल की, अवनीश और हरेन्द्र मसीह संगठित अपराध के भी दोषी

कानपुर के सिविल लाइंस स्थित एक हजार करोड़ की मैरी एंड मेरीमैन स्कूल कम्पाउंड की जमीन पर कब्जा करने के प्रयास में जेल भेजे गए पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित समेत 13 साथियों के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने दो चार्जशीट दाखिल कर दी है। पुलिस ने सभी को डकैती समेत अन्य धाराओं में मुल्जिम बनाया है। साथ ही संगठित अपराध के लिए गिरोह बनाने की धारा बीएनएस 111 में भी चार्जशीट दाखिल कर दी है। पुलिस ने मामले में हरेन्द्र मसीह को पर्दे के पीछे का मास्टरमाइंड और अवनीश दीक्षित को मुख्य आरोपित बनाया है। इस मामले में अब सिर्फ मोहित बाजपेई के खिलाफ चार्जशीट लगना शेष रह गई है। जल्द ही पुलिस उसमें भी पूरक चार्जशीट दाखिल करेगी। पुलिस ने शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। जमीन कब्जाने के मामले में कोतवाली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें एक में वादी लेकपाल विपिन कुमार थे और दूसरे में जमीन पर काबिज सैमुएल गुरुदेव सिंह वादी थे। एफआईआऱ दर्ज करने के बाद 29 जुलाई 2024 को कोतवाली पुलिस ने पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बाद में घटना में शामिल अन्य लोगों को जेल भेजा गया। झांसी निवासी हरेन्द्र मसीह को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है मगर उसके खिलाफ धारा 82 (फरारी) और धारा 83 (कुर्की) की कार्रवाई की जा चुकी है। फरार घोषित होने के कारण पुलिस को कानून में चार्जशीट लगाने का प्रावधान मिला है जिसके कारण उसका नाम भी शामिल किया गया है। दोनों मामलों में पुलिस द्वारा दो चार्जशीट शुक्रवार को कोर्ट में दाखिल कर दी गई है। इनके खिलाफ दाखिल हुई चार्जशीट हरेन्द्र मसीह, पूर्व प्रेसक्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित, राहुल वर्मा, मौरिस एरियल, कमला एरियल, अभिषेक एरियल, अर्पण एरियल, जीतेश झा, संदीप, विक्की चार्ल्स, अब्बास, जितेन्द्र और विवेक पाण्डेय के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। वैज्ञानिक और दस्तावेजी सबूतों से चार्जशीट को किया मजबूत कोतवाली इंस्पेक्टर संतोष शुक्ला ने बताया कि दस्तावेजी सबूतों में जमीन की लिखापढ़ी, लीज के कागजात, अवनीश दीक्षित की पावर ऑफ एटर्नी, बैंक में लेन देन के सबूत, जमीन कब्जाने के लिए बनाई गई श्री आनंदेश्वर एसोसिएट्स कम्पनी के दस्तावेज, बैंकों में लेन देन की रिपोर्ट को अहम सबूत बनाया गया है। इसी तरह डकैती को साबित करने के लिए वीडियो फुटेज, वहां पर मौजूद लोगों के बयान और आरोपी संदीप शुक्ला के बयान को आधार बनाया है। जिसमें उसने बताया है कि अवनीश दीक्षित के कहने पर ही उसने घटना वाले दिन सीसीटीवी फुटेज वाली डीवीआर गंगा में फेंक दी थी। इसी तरह वैज्ञानिक सबूतों को मजबूत करने के लिए आरोपियों की सीडीआर रिपोर्ट दाखिल की गई है। जिसमें आरोपियों की आपस में फोन पर बातचीत होने की बात को प्रूव किया गया है। विवेचना के दौरान बढ़ गई यह धाराएं कोतवाली इंस्पेक्टर के मुताबिक 3200 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई है। जिसमें विवेचना के दौरान साक्ष्य छुपाने की धारा के अलावा दफा 34(अपराधिक कार्य के लिए एक जगह इकट्ठा होना) और 120 बी (षड्यंत्र रचना) की धाराओं की बढ़ोत्तरी की गई है। इसमें हरेन्द्र मसीह और अवनीश दीक्षित दोनों को मुख्य आरोपी बनाया गया है। संगठित अपराध करने के लिए गिरोह बनाने के लिए यह सबूत दिया अवनीश दीक्षित और उसके साथियों के खिलाफ बीएनएस 111 (संगठित अपराध) की धारा को साबित करने के लिए पुलिस ने सन 2010 की एक एफआईआर को भी माध्यम बनाया है। जिसमें बताया गया है कि हरेन्द्र मसीह ने सन 2010 में भी जमीन को बेचने का प्रयास किया था। जिसमें एफआईआर दर्ज हुई थी। बाद में वह रिपोर्ट खत्म कर दी गई थी। इसके जरिए पुलिस ने यह दर्शाया है कि आरोपी संगठित गिरोह बनाकर अपराध करने में माहिर है। क्या था मामला 28 जुलाई 2024 को कोतवाली पुलिस ने लेखपाल विपिन कुमार की तहरीर पर 33 लोगों के खिलाफ बीएनएस 329(4) (गृह अतिचार करना) और सार्वजनिक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 व 5 में एफआईआर दर्ज की। इसमें 33 में 20 अज्ञात शामिल है। बाद में सैमुएल गुरुदेव सिंह की तहरीर पर 37 आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 191(2) (गैर कानूनी सभा द्वारा बल प्रयोग में सजा), 127(2) (किसी को गलत तरह से कैद करना), 324(4) (बीस हजार या उससे अधिक का नुकसान हो जाना), 310 (2) (डकैती), 61 (2) (दो या उससे ज्यादा व्यक्ति अपराध करते हैं), 352(शांति भंग के इरादे से जानबूझकर अपमानित करना), 351(2) (अपराधिक धमकी देना), 308(5) (जबरन वसूली), 329(3) (अपराधिक अतिचार के लिए दंड) और 74 (महिलाओं के प्रति अपराधिक बल प्रयोग करना)। इसमें 37 में 25 अज्ञात शामिल है। इन लोगों ने मिलकर सिविल लाइंस स्थित जमीन को कब्जाने का प्रयास किया था। जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों के मामला संज्ञान में लेने के बाद कार्रवाई हुई थी।

Oct 25, 2024 - 20:35
 63  501.8k
अवनीश दीक्षित और हरेन्द्र मसीह बने मुख्य आरोपित, चार्जशीट दाखिल:एक हजार करोड़ की जमीन कब्जाने के मामले में पुलिस ने दो चार्जशीट दाखिल की, अवनीश और हरेन्द्र मसीह संगठित अपराध के भी दोषी
कानपुर के सिविल लाइंस स्थित एक हजार करोड़ की मैरी एंड मेरीमैन स्कूल कम्पाउंड की जमीन पर कब्जा करने के प्रयास में जेल भेजे गए पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित समेत 13 साथियों के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने दो चार्जशीट दाखिल कर दी है। पुलिस ने सभी को डकैती समेत अन्य धाराओं में मुल्जिम बनाया है। साथ ही संगठित अपराध के लिए गिरोह बनाने की धारा बीएनएस 111 में भी चार्जशीट दाखिल कर दी है। पुलिस ने मामले में हरेन्द्र मसीह को पर्दे के पीछे का मास्टरमाइंड और अवनीश दीक्षित को मुख्य आरोपित बनाया है। इस मामले में अब सिर्फ मोहित बाजपेई के खिलाफ चार्जशीट लगना शेष रह गई है। जल्द ही पुलिस उसमें भी पूरक चार्जशीट दाखिल करेगी। पुलिस ने शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। जमीन कब्जाने के मामले में कोतवाली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें एक में वादी लेकपाल विपिन कुमार थे और दूसरे में जमीन पर काबिज सैमुएल गुरुदेव सिंह वादी थे। एफआईआऱ दर्ज करने के बाद 29 जुलाई 2024 को कोतवाली पुलिस ने पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बाद में घटना में शामिल अन्य लोगों को जेल भेजा गया। झांसी निवासी हरेन्द्र मसीह को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है मगर उसके खिलाफ धारा 82 (फरारी) और धारा 83 (कुर्की) की कार्रवाई की जा चुकी है। फरार घोषित होने के कारण पुलिस को कानून में चार्जशीट लगाने का प्रावधान मिला है जिसके कारण उसका नाम भी शामिल किया गया है। दोनों मामलों में पुलिस द्वारा दो चार्जशीट शुक्रवार को कोर्ट में दाखिल कर दी गई है। इनके खिलाफ दाखिल हुई चार्जशीट हरेन्द्र मसीह, पूर्व प्रेसक्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित, राहुल वर्मा, मौरिस एरियल, कमला एरियल, अभिषेक एरियल, अर्पण एरियल, जीतेश झा, संदीप, विक्की चार्ल्स, अब्बास, जितेन्द्र और विवेक पाण्डेय के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। वैज्ञानिक और दस्तावेजी सबूतों से चार्जशीट को किया मजबूत कोतवाली इंस्पेक्टर संतोष शुक्ला ने बताया कि दस्तावेजी सबूतों में जमीन की लिखापढ़ी, लीज के कागजात, अवनीश दीक्षित की पावर ऑफ एटर्नी, बैंक में लेन देन के सबूत, जमीन कब्जाने के लिए बनाई गई श्री आनंदेश्वर एसोसिएट्स कम्पनी के दस्तावेज, बैंकों में लेन देन की रिपोर्ट को अहम सबूत बनाया गया है। इसी तरह डकैती को साबित करने के लिए वीडियो फुटेज, वहां पर मौजूद लोगों के बयान और आरोपी संदीप शुक्ला के बयान को आधार बनाया है। जिसमें उसने बताया है कि अवनीश दीक्षित के कहने पर ही उसने घटना वाले दिन सीसीटीवी फुटेज वाली डीवीआर गंगा में फेंक दी थी। इसी तरह वैज्ञानिक सबूतों को मजबूत करने के लिए आरोपियों की सीडीआर रिपोर्ट दाखिल की गई है। जिसमें आरोपियों की आपस में फोन पर बातचीत होने की बात को प्रूव किया गया है। विवेचना के दौरान बढ़ गई यह धाराएं कोतवाली इंस्पेक्टर के मुताबिक 3200 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई है। जिसमें विवेचना के दौरान साक्ष्य छुपाने की धारा के अलावा दफा 34(अपराधिक कार्य के लिए एक जगह इकट्ठा होना) और 120 बी (षड्यंत्र रचना) की धाराओं की बढ़ोत्तरी की गई है। इसमें हरेन्द्र मसीह और अवनीश दीक्षित दोनों को मुख्य आरोपी बनाया गया है। संगठित अपराध करने के लिए गिरोह बनाने के लिए यह सबूत दिया अवनीश दीक्षित और उसके साथियों के खिलाफ बीएनएस 111 (संगठित अपराध) की धारा को साबित करने के लिए पुलिस ने सन 2010 की एक एफआईआर को भी माध्यम बनाया है। जिसमें बताया गया है कि हरेन्द्र मसीह ने सन 2010 में भी जमीन को बेचने का प्रयास किया था। जिसमें एफआईआर दर्ज हुई थी। बाद में वह रिपोर्ट खत्म कर दी गई थी। इसके जरिए पुलिस ने यह दर्शाया है कि आरोपी संगठित गिरोह बनाकर अपराध करने में माहिर है। क्या था मामला 28 जुलाई 2024 को कोतवाली पुलिस ने लेखपाल विपिन कुमार की तहरीर पर 33 लोगों के खिलाफ बीएनएस 329(4) (गृह अतिचार करना) और सार्वजनिक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 व 5 में एफआईआर दर्ज की। इसमें 33 में 20 अज्ञात शामिल है। बाद में सैमुएल गुरुदेव सिंह की तहरीर पर 37 आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 191(2) (गैर कानूनी सभा द्वारा बल प्रयोग में सजा), 127(2) (किसी को गलत तरह से कैद करना), 324(4) (बीस हजार या उससे अधिक का नुकसान हो जाना), 310 (2) (डकैती), 61 (2) (दो या उससे ज्यादा व्यक्ति अपराध करते हैं), 352(शांति भंग के इरादे से जानबूझकर अपमानित करना), 351(2) (अपराधिक धमकी देना), 308(5) (जबरन वसूली), 329(3) (अपराधिक अतिचार के लिए दंड) और 74 (महिलाओं के प्रति अपराधिक बल प्रयोग करना)। इसमें 37 में 25 अज्ञात शामिल है। इन लोगों ने मिलकर सिविल लाइंस स्थित जमीन को कब्जाने का प्रयास किया था। जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों के मामला संज्ञान में लेने के बाद कार्रवाई हुई थी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow