आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल का चयन निरस्त:17 महीने से चल रही थी खींचतान, उच्च शिक्षा आयोग ने माना फर्जी हैं दस्तावेज
आगरा कॉलेज में लंबे समय से चल रहे प्रिंसिपल पद की खींचतान पर उच्च शिक्षा आयोग ने विराम लगा दिया है। उच्च शिक्षा निदेशक ने प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला के चयन को निरस्त कर आगरा कालेज के प्रिंसिपल का पद रिक्त घोषित कर दिया है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला के खिलाफ पिछले साल जून से जांच का सिलसिला चल रहा है। लगभग 17 महीने बाद उच्च शिक्षा आयोग ने उनका अभ्यर्थन(एप्लीकेशन) शून्य घोषित किया। अब उच्च शिक्षा निदेशक ने उनके चयन को निरस्त कर आगरा कालेज का प्राचार्य पद रिक्त घोषित कर दिया है। डॉ. अनुराग शुक्ला के खिलाफ पहली जांच जून 2023 में हुई थी। उच्च शिक्षा के संयुक्त निदेशक के नेतृत्व में उच्चस्तरीय कमेटी आगरा आई थी। इसके बाद डा. शुक्ला को निलंबित कर कालेज के ही डॉ. सीके गौतम को कार्यवाहक प्रिंसिपल बना दिया गया था। डॉ. सीके गौतम के कार्यकाल में भी चार सीनियर प्रोफेसर्स की टीम ने कमिश्नर के आदेश पर घपलों की जांच कर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। इसके बाद इसी साल 25 और 26 अप्रैल को उच्च शिक्षा निदेशक के नेतृत्व में एक और जांच टीम ने आगरा में दो दिन रुककर आरोपों की जांच की थी। निदेशक की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही शासन ने उच्च शिक्षा सेवा आयोग को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने को कहा था। हो चुका है मुकदमा भी डॉ. शुक्ला के खिलाफ आगरा कालेज बोर्ड आफ ट्रस्टीज के सदस्य सुभाष ढल के प्रार्थना पत्र पर सीजेएम ने रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे। थाना लोहामंडी में मुकदमा दर्ज होने के बाद प्रो.शुक्ला कई हफ्ते तक आगरा से बाहर रहे थे। आगरा में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे के खिलाफ डॉ. शुक्ला हाईकोर्ट गए। यहां सिंगल बेंच ने मामला सुना। तथ्यों को देखने के बाद हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। इसके बाद वे इस मामले को मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में ले गए, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने भी तीखी टिप्पणी करते हुए उनका यह मामला तुरंत सुनने से इंकार कर दिया था। 11 नवंबर को रखा था पक्ष उच्च शिक्षा आयोग के बुलावे पर डॉ. शुक्ला ने विगत 11 नवंबर को आयोग के सामने अपना पक्ष रखा था। 12 नवंबर को आयोग की बैठक में पक्ष पर विचार करने के बाद प्रिंसिपल पद पर उनका अभ्यर्थन शून्य अथवा निरस्त करने का निर्णय ले लिया गया था। आयोग ने माना कि डॉ. शुक्ला ने आयोग के सामने जो शोध संबंधी दस्तावेज पेश किए थे, वो फर्जी थे। उच्च शिक्षा निदेशक की जांच आख्या के आधार पर शासन ने आयोग को आदेशित किया कि आगरा कालेज के प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला के विरुद्ध तत्काल नियमानुसार कार्यवाही करते हुए कृत कार्यवाही से शासन को अवगत कराया जाए। बनाई थी 5 सदस्यीय कमेटी उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग ने डॉ. शुक्ला का अभ्यर्थन शून्य घोषित करने से पहले पांच सदस्यीय समिति से जांच कराई। उक्त समिति की आख्या आयोग को विगत 24 अक्टूबर को प्राप्त हुई। आयोग की पांच सदस्यीय जांच समिति ने भी यही निष्कर्ष निकाला कि डॉ. अनुराग शुक्ला के दस्तावेज फर्जी हैं।
What's Your Reaction?