आगरा में उल्लुओं की निगरानी कर रहा वन विभाग:दीपावली से पहले अलर्ट मोड पर, बढ़ा दी गई सुंदरी प्रजाति के कछुओं की पहरेदारी
आगरा की चंबल सेंक्चुअरी की बाह रेंज में दीपावली से पहले वन विभाग ने उल्लुओं और कछुओं की निगरानी बढ़ा दी है। उल्लुओं के लिए जंगल और कछुओं के लिए चंबल नदी में गश्त की जा रही है। नदी और जंगल तक आने वाले हर रास्ते पर वन विभाग के कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है। दीपावली पर उल्लुओं और कछुओं की बलि के अंधविश्वास के चलते वन विभाग ने पहरेदारी बढ़ा दी है। उल्लू को लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। बाह के जंगल में उल्लू की दो प्रजातियां मुआ और घुग्घू मौजूद हैं। मुआ पानी के आसपास और घुग्घू पुराने खंडहरों और पेड़ों पर रहते हैं। दोनों के नर-मादा एक जैसे होते हैं। नदी किनारे के टीलों की खुखाल, खंडहर और पेड़ों पर इनका दिखना आम है। रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि उल्लू का वैज्ञानिक नाम स्ट्रिगिफोर्मिस है। दीपावली के आसपास तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। वो उल्लूओं को पकड़कर बेचते हैं। उल्लुओं के शरीर के अंगों का इस्तेमाल भी होता है। साथ ही उल्लू की बलि चढ़ाने की भी परंपरा है। इसीलिए 60 वन समितियों एवं तटवर्ती ग्रामीणों को जागरूक किया है। उल्लू को मारने और पकड़ने वाले लोग दिखने पर सूचना देने के लिए प्रेरित किया है। पिछले सालों में कोशिशें हो चुकी हैं। इसलिए इस साल पहले से ही सतर्कता बढ़ा दी गई है। कैसे दिखते हैं मुआ और घुग्घू उल्लू मुआ के ऊपर के पर कत्थई, दुम गहरी भूरे रंग की, गला सफ़ेद होता है। इसकी चोंच टेढ़ी और गहरी मटमैली हरी, पैर धूमिल पीले रंग के होते हैं। इनका भोजन चिड़िया, चूहे, मेंढक और मछलियां हैं। घुग्घू के शरीर का रंग भूरा रहता है। आंख की पुतली पीली, चोंच सलेटी रंग की और पैर रोएंदार और काले होते हैं। यह चूहे, मेंढक और कौओं के अंडों को खाता है। संरक्षित श्रेणी का है उल्लू भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची एक के तहत उल्लू संरक्षित श्रेणी का पक्षी है। उल्लू के शिकार या तस्करी पर कम से कम तीन वर्ष सजा का प्रावधान है। तंत्र-मंत्र में इस्तेमाल होते हैं सुंदरी कछुए चंबल के बाह क्षेत्र में सुंदरी प्रजाति के कछुए मिलते हैं। यह कछुए तंत्र मंत्र में इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए इनकी तस्करी होती है। सुंदर प्रजाति के कछुओं को लेकर वन विभाग अलर्ट मोड पर है। चोर रास्तों से लेकर चंबल नदी तक वन विभाग मोटरबोट से गश्त कर रहा है। कहा जाता है कि सुंदरी कछुए के नाखून और कवच तंत्र साधना में इस्तेमाल होते हैं। 14 कछुओं के साथ हुई थी गिरफ्तार पिछले साल दीपावली पर मथुरा की मां-बेटी को सुंदरी प्रजाति के 14 कछुओं के साथ नोएडा में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी में कानपुर एसटीएफ ने मैनपुरी, इटावा सीमा पर 745 कछुए पकड़े थे। नदी के कच्चे, पक्के रास्तों पर आने जाने वालों पर नजर रखी जा रही है। संदिग्ध लोगों पर नजर रखने को ग्रामीणों की भी मदद ली जा रही है।
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